दिनांक 13 नवम्बर के विश्वविद्यालय हिंदी विभाग, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा में साहित्यकार मुक्तिबोध केर जयंती मनाओल गेल। अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रो० राजेन्द्र साह कहलनि जे मुक्तिबोध मूलतः मानवीय मूल्य सबहक सशक्त आ प्रतिबद्ध कवि छथि।ओ पुराने प्रतिमान सबकेँ बदलि नव प्रतिमान सबकेँ उपस्थापित कएलन्हि। जत-जत ओ समाज में संकट देखलन्हि,ओम्हर अपन लेखनी चलेलन्हि आ शोषणमुक्त आ वर्गविहीन समाज’क स्थापना के लेल अपना- आपके समर्पित कएलन्हि।

हुनकर सम्पूर्ण लेखन जनचेतना सं ओतप्रोत अछि। प्रयोगवाद आ नव कविता के दौर में सेहो मुक्तिबोध अप्पन प्रगतिशील चेतना के नहि छोड़लनि|एहि अवसर पर डॉ० सुरेंद्र प्रसाद सुमन कहलन्हि जे सुविख्यात साहित्यकार मुक्तिबोध कई युग’क युगबोध के मार्क्सवादी कवि आ आलोचक छथि।ओ अनुभव केने छलाह जे दुनिया भरि के समस्या की अछि।मुक्तिबोध केवल राष्ट्रीये नहि, बल्कि अंतरराष्ट्रीय कवि छथि।ओ कहलनि जे मुक्तिबोध पूंजीवादी व्यवस्था के विध्वंस आ समाजवादी व्यवस्था के निर्माण’क लेल जीवन पर्यन्त संघर्ष करैत रहलैथ।ओ ईहो कहलनि जे जाहि प्रकारे मुक्तिबोध अपन युग में अवसरवादी साहित्यकार सब सं प्रश्न पूछैत छलाह,”पार्टनर तुम्हारी पॉलिटिक्स क्या है”,ओहि प्रकारे आजुक समय मे मुक्तिबोध केर विचारधारा सं घालमेल कर बला आलोचक सब सं पूछल जेबाक चाही कि “पार्टनर तुम्हारी पॉलिटिक्स क्या है”?

कार्यक्रम केर संचालन करैत डॉ० आनन्द प्रसाद गुप्ता कहलन्हि जे मुक्तिबोध प्रयोगवाद आ नव कविता आंदोलन’क दौर के दुर्घर्ष मार्क्सवादी कवि छलाह।डॉ० अखिलेश कुमार कहलन्हि जे मुक्तिबोध प्रयोगवाद आ नव कविता के पैघ मार्क्सवादी कवि छलाह। श्री अखिलेश कुमार राठौर कहलनि जे मुक्तिबोध अपन युग में अभिव्यक्ति के सबटा खतरा सब के उठेलथि।

चन्द्रशेखर आजाद कहलनि जे मुक्तिबोध आत्मसंघर्ष आ जनसंघर्ष के महत्वपूर्ण कवि छथि।द्वितीय छमाही के छात्रा स्नेह कुमारी आ छात्र दीपक कुमार सेहो मुक्तिबोध पर अपन विचार रखलनि।कार्यक्रम के अंत मे धन्यवाद – ज्ञापन विभाग के शोधप्रज्ञ धर्मेन्द्र दास कएलन्हि।एहि अवसर पर शोधप्रज्ञ सुशील कुमार मंडल , मंजू कुमार सोरेन समेत पैघ संख्या में शोधार्थी आ छात्र-छात्रा सब उपस्थित रहथि।