दरभंगा। बिहार के दरभंगा स्थित ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय की अंगीभूत इकाई मारवाड़ी महाविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग के द्वारा “सामाजिक न्याय की स्थापना में छत्रपति शाहूजी महाराज का योगदान” विषय पर गूगल मीट द्वारा 26 जून 2022 एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया।

वेबिनार का उद्घाटन करते हुए मारवाड़ी महाविद्यालय के प्रधानाचार्य डा दिलीप कुमार ने कहा कि छत्रपति शाहूजी महाराज सुधारवादी जननायक थे। उन्होंने बाल- विवाह तथा छुआछूत की प्रथा पर रोक लगाते हुए अंतरजातीय विवाह तथा विधवा पुनर्विवाह को प्रारंभ किया।

अतिथियों का स्वागत एवं विषयप्रवर्तन महाविद्यालय के संस्कृत विभागाध्यक्ष डा विकास सिंह ने किया। उन्होंने शाहूजी महाराज के जीवन एवं शासन संबंधी विभिन्न तथ्यों की ओर ध्यानाकर्षित किया। उन्होंने कहा कि कोल्हापुर रियासत के महाराज छत्रपति शाहूजी सत्ता को सामाजिक परिवर्तन का माध्यम स्वीकार करते थे। भारतीय इतिहास की टूटी हुई कड़ियों को जोड़ते हुए उन्होंने सम्राट् अशोक की तरह जनकल्याणकारी कार्य किए। शिक्षा और संसाधनों का लोकतंत्रीकरण करते हुए उन्होंने 50 प्रतिशत पद पिछड़ों, दलितों के लिए आरक्षित किए।

अध्यक्षीय संबोधन में जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय के भारतीय भाषा अध्ययन केंद्र के प्रो. रामचंद्र ने कहा कि छत्रपति शाहूजी महाराज का उदात्त चिंतन जनसामान्य के उद्धार हेतु प्रयास करता है। वे न केवल जनसामान्य में इस तरह का आदर्श माहौल बनाते हैं अपितु विभिन्न अध्यादेशों के माध्यम से उन्हें वैधानिक रूप प्रदान करते हैं। तत्कालीन कुप्रथाओं को कानूनी तौर पर न केवल रोका, अपितु विधवा पुनर्विवाह और अंतरजातीय विवाह जैसे आदर्शों को स्थापित भी किया। ऐसा ही एक अध्यादेश था कि अगर अस्पताल का कोई भी कर्मी किसी भी रोगी के साथ भेदभाव करता है तो छः सप्ताह के भीतर कारवाई की जाएगी।

मुख्य वक्ता ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के उपकुलसचिव प्रथम डा कामेश्वर पासवान ने कहा कि बाबासाहेब और शाहूजी महाराज का प्रभाव समाज पर सकारात्मक रहा है। आज के समय यदि उच्च शिक्षित और अधिकारी वर्ग समाज के बीच जाना आरंभ कर दे तो यह सच्ची श्रद्धांजलि महापुरुषों को होगी।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि दिल्ली विश्वविद्यालय के जाकिर हुसैन दिल्ली कॉलेज सांध्य के राजनीति विज्ञान विभाग के सह प्राध्यापक डा संजय कुमार ने कहा कि शाहूजी महाराज एक सामाजिक परिवर्तनकर्त्ता थे तथा समाज में पिछड़े लोगो की उन्नति से जुड़े हुए तमाम ऐसे कार्यो को किया जिनसे उस वर्ग को उचित प्रतिनिधित्व मिला। उन्होंने समाज में व्याप्त विभिन्न कुप्रथाओं को जड़ों से खत्म करने के लिए जमीनी स्तर पर काम किया। बाल विवाह, विधवा विवाह पर कानून बनाए। सार्वजनिक जगह पर किसी तरह का भेदभाव न हो इस पर साहू जी महाराज ने कार्य किया।

चंद्रधारी मिथिला महाविद्यालय के सह-प्राध्यापक एवं संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ रविन्द्र नारायण चौरसिया ने विशिष्ट अतिथि के रूप में वक्तव्य देते हुए कहा कि छत्रपति शाहू जी महाराज ने महाराज होते हुए भी जाति भेदभाव को उन्होंने महसूस किया और दलितो – पिछड़ों के लिए अनेकानेक कार्य किए।

धन्यवाद ज्ञापन करते हुए ज़ाकिर हुसैन दिल्ली कॉलेज सांध्य की डा राजकुमारी ने शाहूजी महाराज के महिलाओं के उद्धार के लिए किए गए प्रयासों पर चर्चा की।

वेबिनार का संचालन मारवाड़ी कॉलेज की समाजशास्त्र विभागाध्यक्षा डॉ सुनीता कुमारी ने किया। उन्होंने बताया कि छत्रपति शाहू जी महाराज ने ज्योतिराव फुले और सावित्रीबाई फुले के सपनो को साकार करने के लिए लड़कियो की शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया। साथ ही प्राथमिक शिक्षा को अनिवार्य और निःशुल्क बनाया।

वेबिनार में दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, बिहार, उत्तर प्रदेश के अभ्यागतो सहित लगभग 50 प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिनमें अभय कुमार, अदिति भारती, डा अनिता मीना, अतुल कुमार झा, आशीष रंजन, डा अशोक कुमार, डा सत्यमुदिता, मुकेश कुमार, नीलम सेन, डा शगुफ्ता खानम, शत्रुघ्न कुमार, सोमनाथ दास, डा सत्यनारायण, डा विनोद बैठा, तन्वी आदर्श आदि हैं।