अहमदाबाद के सत्य साईं अस्पताल में किया गया ऑपरेशन
शून्य से 18 वर्ष तक के बच्चों के लिए कार्य करती है आरबीएसके की टीम
स्क्रीनिंग से ऑपरेशन व आने- जाने का खर्च करती है वहन सरकार
दरभंगा. स्वास्थ्य विभाग की ओर से जन्मजात 40 से अधिक बीमारियों से ग्रसित बच्चों के नि:शुल्क उपचार की पूरी व्यवस्था की गयी है. राष्ट्रीय स्वास्थ्य बाल कार्यक्रम कार्यक्रम के तहत शून्य से 18 साल के बच्चों को स्क्रीनिंग के बाद बेहतर चिकित्सा के लिये हायर सेंटर भेजा जाता है.
इस क्रम में अब तक 15 बच्चों के हृदय के सर्जरी के बाद सफल ऑपरेशन किया गया. सर्जरी के बाद सभी बच्चे अपने घर पर पहुंच चुके हैं. वहीं तीन बच्चों का ऑपरेशन होना है. विभागीय जानकारी के अनुसार उनको अहमदाबाद भेजा जायेगा. विदित हो कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की टीम जिले के विभिन्न स्कूलों तथा आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों को स्क्रीनिंग कर दिल में छेद से ग्रसित बच्चों को चिह्नित करती है.
उसके बाद एम्बुलेंस से बच्चों को इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान पटना में भेजकर स्क्रीनिंग करायी जाती है. इनमें से चयनित बच्चों को ऑपरेशन के लिए अहमदाबाद के सत्य साईं हॉस्पिटल में निःशुल्क ऑपरेशन कराया जाता है. बच्चे के साथ एक अटेंडेंट भी हवाई यात्रा कर अहमदाबाद जाते हैं. उनके रहने खाने, चिकित्सकीय प्रबंधन, दवा की निशुल्क व्यवस्था की जाती है.
इन 15 बच्चों का हुआ सफल ऑपरेशन
विभागीय जानकारी के अनुसार जिले में हृदय में छेद के साथ जन्में एक दर्जन से अधिक बच्चों का सर्जरी हो चुका है. इसमें सदर निवासी आशु कुमार, नुजहत प्रवीण व नमन कुमार, मनीगाछी निवासी आशुतोष कुमार व अन्नया कुमारी, सिंहवाड़ा निवासी खुशवंशु कुमार, अलीनर निवासी शिवम कुमार यादव व हर्ष कुमार, बहादुपुर निवासी जिविका कुमारी व बिपाशा कुमारी, कुशेश्वरस्थान निवासी जयंत रंजन, घनश्यामपुर निवासी आरव कुमार झा, केवटी निवासी अमिशा सिंह, बहेरी निवासी तसकीन रौनक, व बेनीपुर निवासी मनीकांत शामिल हैं.
इन सभी बच्चों की स्क्रीनिंग की गयी व सफलतापूर्वक ऑपरेशन किया गया. सभी बच्चे स्वस्थ हैं. एक अध्ययन के अनुसार जन्म लेने वाले 1000 बच्चों में से नौ बच्चे जन्मजात हृदय रोग से ग्रसित होते हैं, जिनमें से लगभग 25 प्रतिशत नवजात बच्चों को प्रथम वर्ष में शल्य क्रिया की आवश्यकता रहती है।
शून्य से 18 वर्ष तक के बच्चों के लिए कार्य करती है आरबीएसके की टीम
सिविल सर्जन डॉ एके सिन्हा ने बताया कि बच्चों का राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत 18 वर्ष तक के बच्चों को किसी प्रकार की गंभीर समस्या होने पर आईजीआईएमएस, एम्स, पीएमसीएच भेजा जाता है. टीम में शामिल एएनएम, बच्चों का वजन, उनकी लंबाई व सिर एवं पैर आदि की माप व नाप तौल आदि करती हैं. फार्मासिस्ट रजिस्टर में स्क्रीनिंग किये गये बच्चों का ब्योरा तैयार करते हैं. राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत सभी बच्चों को चार मुख्य समस्याओं पर केंद्रित किया जाता है. इनमें डिफेक्ट एट बर्थ, डिफिशिएंसी डिजीज, डेवलपमेंट डीले तथा डिसेबिलिटी आदि शामिल हैं. इससे जुड़ी सभी तरह की बीमारी या विकलांगता को चिह्नित कर इलाज किया जाता है.