दरभंगा – ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय का विवादों से पुराना नाता रहा है। अभी 100 नंबर के बदले 151 नंबर देने का विवाद खत्म भी नहीं हुआ था कि विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के सहायक प्राचार्य अखिलेश कुमार पर बेहद संगीन और शिक्षा जगत को शर्मशार करने वाला मामला सामने आया है। हिंदी विभाग के सहायक प्राचार्य अखिलेश कुमार महतो पर छात्र छात्राओं ने न केवल बेहद गंभीर आरोप लगाए हैं। बल्कि इसके सबूत भी विश्वविद्यालय को दिए हैं। वही शिकायत मिलने के बाद कुलसचिव ने कहा कि विश्वविद्यालय ने कड़ा रुख अपनाते हुए, एक टीम गठित किया है तथा रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई की जाएगी।
विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में पढ़ने वाली छात्राओं ने साफ शब्दों में अपने विभाग के सहायक प्राचार्य अखिलेश कुमार की नियत पर सवाल खड़े करते हुए आरोप लगाया कि सर न सिर्फ देर रात छात्राओं को फोन कर उल्टी सीधी और गंदी बात करते हैं बल्कि रात में वो अपने घर पर भी आने की जिद करते हैं। खुद की नंगी तस्वीर भी भेजते हैं, साथ ही बात नहीं मानने पर परीक्षा में फेल कर देने के अलावा कई तरह की धमकी भी देते हैं।
वही हिंदी विभाग में पढ़ने वाले छात्र दीपक ने बताया कि प्रो अखिलेश कुमार महतो अपनी मनमानी करते हैं। यहां पढ़ने वाली लड़कियों पर उनकी गलत नियत रहती है, इसके कई सबूत भी हैं। इस मामले में हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष राजेंद्र साह और कुलपति से लिखित भी की गई है। वही उन्होंने कहा कि फोन पर मां-बहन की गाली भी देते हैं। साथ ही अपनी ऊंची पहुंच का हवाला देकर छात्रों के ऊपर न सिर्फ धौंस जमाते हैं। बल्कि बड़े राजनितिक लोगों के साथ अपनी तस्वीर दिखा कर अपने प्रभाव में भी लाने का प्रयास करते हैं।
विश्वविद्यालय के कुलसचिव मुस्ताक अहमद ने भी शिकायत मिलने की पुष्टि करते हुए कहा कि छात्र-छात्राओं की अखिलेश प्रसाद के खिलाफ लिखित शिकायत की है। तत्काल जांच के आदेश दे दिए गए हैं। जांच रिपोर्ट के बाद उचित कार्रवाई की जायेगी। इधर जैसे ही मामला सामने आया आरोपी अखिलेश कुमार की कई तस्वीर बड़े-बड़े नेताओं के साथ वायरल होने लगी। वायरल तस्वीरों में राज्यपाल के अलावा उप मुख्यमंत्री से लेकर मंत्री तक के साथ की तस्वीर उनके ऊंचे पहुंच की कहानी खुद भी बता रही है।
वही पूरे मामले में अखिलेश कुमार का पक्ष लेने जब हम उनके दफ्तर पहुंचे तो वो वर्ग संचालन के समय भी अपने कुर्सी पर नहीं मिले. उनकी कुर्सी खाली पड़ी थी। अखिलेश प्रसाद कहां मिलेंगे इसकी जानकारी भी दफ्तर में उपस्थित लोगों के पास नहीं थी।