पुरुष दौड़ में मो सादिक व महिला दौड़ में नीली रानी तथा पुरुष गोला फेंक में मंगेश व महिला गोला फेंक में अनुपम रहे प्रथम।
किसी भी क्षेत्र में यदि छात्र अपनी 100 % प्रतिभा नियमित व सकारात्मक रूप से लगाएं तो सफलता मिलना निश्चित- प्रधानाचार्य।
प्रतियोगिताओं में भागीदारी से अपनी गलतियों को सुधारने व बेहतर करने की मिलती है सीख- डा अशोक पोद्दार।
खेलकूद शिक्षा का अभिन्न अंग, जिनसे न केवल शारीरिक व मानसिक विकास होता है, बल्कि मिलता है व्यावहारिक ज्ञान- डा चौरसिया।
ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय- स्थापना की स्वर्ण जयंती के अवसर पर सी एम कॉलेज, दरभंगा में खेलकूद के अंतर्गत दौड़ एवं गोला फेंक प्रतियोगिता का आयोजन महाविद्यालय परिसर में किया गया, जिसमें काफी संख्या में छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। इस अवसर पर आयोजन समिति के संयोजक प्रो मंजू राय, सदस्य डा आर एन चौरसिया, डा संदीप कुमार, डा सुरेंद्र भारद्वाज, डा शैलेंद्र श्रीवास्तव तथा अखिलेश कुमार राठौर के साथ ही बीबीए एवं बीसीए के कोऑर्डिनेटर डा अशोक कुमार पोद्दार, परीक्षा नियंत्रक डा मयंक श्रीवास्तव, विपिन कुमार सिंह, नीरज कुमार तथा अमरजीत कुमार आदि सहित 60 से अधिक प्रतिभागी उपस्थित थे।
पुरुष दौड़ प्रतियोगिता में मो सादिक अंसारी- प्रथम, गणेश कुमार महतो- द्वितीय तथा चंदन सिंह ने तृतीय स्थान प्राप्त किया, जबकि महिला दौड़ प्रतियोगिता में नीली रानी- प्रथम, इमरोज़ी खानम-द्वितीय तथा संजना कुमारी ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। वहीं पुरुष गोला फेंक प्रतियोगिता में मंगेश कुमार सिंह- प्रथम, रोशन कुमार- द्वितीय तथा नंदन कुमार ने तृतीय स्थान प्राप्त किया, जबकि महिला गोला फेंक प्रतियोगिता में अनुपम कुमारी- प्रथम, आकांक्षा निधि- द्वितीय तथा नीली रानी ने तृतीय स्थान प्राप्त किया।
खेल प्रतियोगिता का उद्घाटन करते हुए प्रधानाचार्य डा अनिल कुमार मंडल ने कहा कि पढ़ाई के साथ- साथ ही एक्स्ट्रा एक्टिविटिओं में भाग लेने से छात्रों का न केवल शारीरिक और मानसिक विकास ही नहीं, बल्कि उनका सर्वांगीण विकास भी होता है। प्रधानाचार्य ने कहा कि स्लो एंड स्टेडी विंस द रेस सिद्धांत का पालन करने वाले छात्र ही जीवन में बेहतर करते हैं। किसी भी क्षेत्र में यदि छात्र अपनी 100 प्रतिशत प्रतिभा नियमित और सकारात्मक रूप से लगाएं तो सफलता मिलना निश्चय है।
महाविद्यालय के बीबीए एवं बीसीए के कोऑर्डिनेटर डा अशोक कुमार पोद्दार ने कहा कि प्रतियोगिताओं में भागीदारी से छात्रों को अपनी गलतियों को सुधारने और बेहतर प्रदर्शन करने की सीख मिलती है। उन्होंने प्रतिभागियों से पढ़ाई के साथ ही अन्य कौशल विकास कार्यक्रम में भाग लेने का आह्वान करते हुए प्रतिभागियों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी।
संस्कृत विभागाध्यक्ष एवं खेल प्रतियोगिताओं के संयोजक डा आर एन चौरसिया ने कहा कि खेलकूद हमारी शिक्षा व्यवस्था का अभिन्न अंग है, जिनसे न केवल शारीरिक व मानसिक विकास होता है, बल्कि व्यावहारिक ज्ञान भी प्राप्त होता है। खेल युवाओं में नेतृत्व क्षमता व अनुशासन का विकास तथा सामूहिकता का गुण विकसित कर उनका तेजी से सामाजिकरण करता है।
प्रतियोगिता में निर्णायक मंडल के सदस्य के रूप में महाविद्यालय के खेल पदाधिकारी डा यादवेंद्र सिंह, डा नीरज कुमार तथा डा अनुपम कुमार सिंह के नाम शामिल हैं,जिन्होंने प्रतिभागियों को आज आयोजित खेलों के नियमों एवं बारीकियों की विस्तार से जानकारी दी।
खेल प्रतियोगिता के संयोजक डा आर एन चौरसिया ने बताया कि शीघ्र ही छात्र-छात्राओं के बीच और भी कई प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी, जिनमें सफल प्रतिभागियों को समारोह पूर्वक प्रमाण पत्र व मेडल आदि से सम्मानित किया जाएगा।