अयोध्या।रामनगरी अयोध्या के राम मंदिर न्यास के सदस्य और पूर्व सांसद डॉ. रामविलास दास वेदांती ने अंग्रेजी पत्रिका द वीक में छपी हिंदू देवी-देवताओं की नग्न तस्वीर का विरोध किया है।रामविलास दास वेदांती ने कहा कि इस पत्रिका पर तत्काल प्रतिबंध लगना चाहिए।सभी शंकराचार्य,रामानंदाचार्य और सभी धर्म के आचार्यों से निवेदन किया है कि सभी लोग इस मामले पर एक साथ होकर अपनी आवाज उठाएं और इसका विरोध करें और प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति को एक ज्ञापन देने की बात भी कही है।
रामविलास वेदांती ने आरोप लगाते हुए कहा कि इस तरह से देवी-देवताओं के अपमान पर लोगों में अनास्था पैदा करने का एक पड्यंत्र अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किया जा रहा है।इसके पीछे आतंकवादियों का हाथ है।उन्होंने पत्रिका पर तत्काल प्रतिबंध लगाकर संपादक और मालिक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है।
रामनगरी के राम मंदिर आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाने वाले भारतीय जनता पार्टी के पूर्व फायरब्रांड नेता वेदांती ने कहा कि द वीक नामक पत्रिका चेन्नई से प्रकाशित होती है, उसमें छपी हुई हिंदू देवी- देवताओं की तस्वीर पर बड़ा आश्चर्य हुआ। उन्होंने कहा कि देश के सभी संप्रदाय के जगद्गुरु से निवेदन करना चाहूंगा कि एक बहुत बड़ा अनर्थ साप्ताहिक पत्रिका द वीक के जरिए किया जा रहा है।हिंदू देवी-देवताओं के तस्वीर को नग्न प्रदर्शित करके समाज के अंदर घृणास्पद व्यवहार किया जा रहा है।इसके विरोध में सभी साधु महात्माओं को एक होना चाहिए।
वेदांती ने कहा कि देश की गद्दी पर मोदी विराजमान हैं और उनके रहते हुए पत्रिका के संचालक और मालिक के द्वारा मां दुर्गा के पैर भगवान शंकर के छाती पर लगा दिया गया।पत्रिका में छपे हुए दृश्य में मां दुर्गा और भगवान शंकर की नग्न छवि को प्रदर्शित किया गया है।भगवान के प्रति अनआस्था पैदा करने का एक अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र रचा गया है।
वेदांती ने कहा कि इस्लामिक आतंकवादियों ने द वीक नामक पत्रिका को प्रेरित करके पैसा देकर हिंदू धर्म के प्रति अनआस्था पैदा करने का षड्यंत्र किया है।इसके लिए हम महामहिम राष्ट्रपति महोदय से और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से निवेदन करते है कि इस तरीके का कृत्य करने वाली पत्रिका पर तत्काल प्रतिबंध लगाया जाए।उन्होंने कहा कि पत्रिका के संपादक और मालिक को तत्काल हिरासत में लिया जाए।
वेदांती ने कहा कि ये लोग समाज में इस तरह से धार्मिक गंदगी फैलाने का काम कर रहे हैं।देश के सभी शंकराचार्य जगद्गुरु रामानंदाचार्य साथ सभी संप्रदाय के आचार्य से निवेदन करते हुए कहा कि इसका विरोध करें।
(सौ स्वराज सवेरा)