सीएसआर योजना के तहत पीजीसीईएल कर रहा छात्रावास पुनर्निर्माण का कार्य

सीएम साइंस कॉलेज के वर्षों से क्षतिग्रस्त आर्यभट्ट छात्रावास के पुनर्निर्माण का कार्य पावर ग्रिड कारपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (पीजीसीईएल) ने अपने कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (सीएसआर) योजना के तहत शुरू कर दिया है. पीजीसीईएल ने इस कार्य योजना के लिए कुल 5 करोड़ 2 लाख 72 हजार 599 रूपये की राशि स्वीकृत करते हुए पटना की कंस्ट्रक्शन कंपनी त्रिशूल इंजीकोन प्राईवेट लिमिटेड के नाम कार्यादेश निर्गत किया है. पीजीसीईएल द्वारा जारी कार्यादेश में निर्माण कार्य की अवधि 12 महीने निर्धारित करते हुए इस कार्य को पूरा करने की तिथि 9 दिसंबर 2022 तय कर दी है.

बता दें कि पावर ग्रिड कारपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के पूर्व मुख्य महाप्रबंधक एवं सीएम साइंस कॉलेज के 1972 बैच के छात्र रह चुके इंदुशेखर झा ने 12 जनवरी 2019 को कॉलेज भ्रमण के दौरान प्रधानाचार्य डा प्रेम कुमार प्रसाद एवं बर्सर डा अशोक कुमार झा द्वारा महाविद्यालय परिवार की ओर से लाए गये प्रस्ताव पर त्वरित पहल करने का भरोसा दिलाते हुए उन्होंने खुले मंच से कहा था कि यह उनके लिए गौरव की बात होगी कि जिस महाविद्यालय में उनका छात्र जीवन बीता, उसके छात्रों की सुविधा के लिए पोजीसीआईएल छात्रावास का निर्माण कर सकेगा. इसके साथ ही उन्होंने महाविद्यालय परिसर के सौंदयकरण एवं समुचित प्रकाश की व्यवस्था बस किए जाने संबंधी महाविद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ. प्रेम कुमार प्रसाद के प्रस्ताव पर भी सहमति जाहिर करते हुए अपने साथ आए अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए थे. महाविद्यालय में तब उनके साथ पीजीसीआईएल के पूर्व क्षेत्र के निर्देशक एसएन सहाय एवं जेनरल मैनेजर (एचआर) बीके मुंडा के साथ तीस्ता के निदेशक एवं सीएम साइंस कॉलेज के 1979 बैच के छात्र रहे बीएस झा भी पधारे थे. यह इंदु शेखर झा की सक्रिय पहल का ही नतीजा रहा कि कोरोना के सुरक्षा मानकों के मद्देनजर 23 सितम्बर 2020 को स्वतंत्र प्रभार वाले केन्द्रीय ऊर्जा राज्यमंत्री आर के सिंह ने न सिर्फ छात्रावास के निर्माण की आनलाइन आधारशिला रखी, बल्कि इसके ऐतिहासिक महत्व और इस छात्रावास के पूरे उत्तरी बिहार के छात्रों के लिए उपयोगिता को देखते हुए अपने संबोधन में कई जरूरी दिशा-निर्देश भी जारी किए.

1974 में न्यू हॉस्टल से जुड़ा महान वैज्ञानिक आर्यभट्ट का नाम

वर्ष 1938 में मिथिला कॉलेज की स्थापना के साथ ही स्थानीय व्यवसायी एवं बुद्धिजीवियों के सहयोग से महथा छात्रावास एवं न्यू हॉस्टल का निर्माण कराया गया। 1974 में कला-वाणिज्य संकाय के लिए सीएम कॉलेज को पुनर्स्थापित करते हुए महथा छात्रावास उसे दे दिया गया. वहीं न्यू हॉस्टल चन्द्रारी मिथिला विज्ञान महाविद्यालय को मिला और इसका नाम महान वैज्ञानिक आर्यभट्ट के नाम पर रखा गया. जानकारों की माने तो पूर्व रेलमंत्री स्व. ललितनारायण मिश्र, पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर, पूर्व शिक्षा मंत्री स्व. नागेन्द्र झा, शिक्षाविद डा संत कुमार चौधरी, डा बैद्यनाथ चौधरी बैजू सहित कई विशिष्ट लोग इस छात्रावास में रह कर शिक्षा ग्रहण कर चुके है.

करीब 33 सालों से अपने उद्धारक का बाट जोहता रहा है आर्यभट्ट छात्रावास

वर्ष 1988 में आये भीषण भूकंप में खंडहर में तब्दील हो चुका आर्यभट्ट छात्रावास पिछले करीब 33 सालों से अपनी बदहाली पर आंसू बहाते हुए अपने उद्धारक का बाट जोहता रहा है. हालांकि पूर्व प्रधानाचार्य डा आर के मिश्रा एवं डा अरविन्द कुमार झा के कार्यकाल में भी इसके जीर्णोद्धार को लेकर प्रयास हुए, लेकिन उसका कोई मुकम्मल हल सामने नहीं आ सका. सनद रहे कि यह वही छात्रावास है जहां रहकर मिथिला क्षेत्र के कई महापुरुषों ने अपनी शिक्षा ग्रहण की, लेकिन आज यहां कोई छात्र नहीं रहते. छात्रावास की बदहाल स्थिति के कारण कॉलेज में नामांकित दूरदराज के छात्रों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता रहा है. वर्तमान में कॉलेज के पास छात्रों के रहने के लिए एकमात्र आइंस्टीन छात्रावास है। ऐसे में कॉलेज में पढ़ने वाले छात्रों को निजी लॉज का सहारा लेना पड़ रहा है। वहां छात्रों का ना केवल आर्थिक शोषण होता है बल्कि उन्हें समुचित शैक्षणिक माहौल भी नहीं मिलता।

कॉलेज के लिए आंतरिक श्रोत का बन सकता है जरिया

आर्यभट्ट छात्रावास कॉलेज के निकट ही स्थित नगर निगम कार्यालय के ठीक सामने अवस्थित है. शहर के हृदयस्थली में अवस्थित होने के कारण आज छात्रावास के लगभग छह कट्ठा जमीन की बाजार कीमत करोड़ों में है. जानकारों की मानें तो यदि इस छात्रावास के भूतल के बाहरी हिस्से में व्यावसायिक प्रतिष्ठान के लिए उपयुक्त निर्माण कर दिया जाए तो यह ना केवल छात्रों के लिए लाभकर होगा बल्कि कॉलेज के लिए आंतरिक स्रोत का बेहतर जरिया भी बन सकता है।

मूलभूत जरूरतों के अनुरूप होगा छात्रावास

पीजीसीआईएल द्वारा पुनर्निर्माण कराया जा रहा आर्यभट्ट छात्रावास छात्रों की सभी मूलभूत जरूरतों के मानकों के अनुरूप होगा. 150 बिस्तर वाले छात्रावास के चार मंजिला भवन में सिंगल बेड वाले 50 कमरे होंगे. जबकि 50 अन्य कमरों में दो-दो छात्रों के रहने की सुविधा होगी। इसके अतिरिक्त वार्डन, मेस, सिक्यूरिटी गार्ड, प्रतीक्षालय, कॉमन रूम, अधीक्षक आवास आदि के लिए अलग-अलग कमरों के निर्माण के साथ ही, छात्रावास परिसर में खेलने के उपयुक्त जगह के साथ ही समुचित पार्किंग की सुविधा बहाल होगी.

आवासीय सुविधा के लिए छात्रों अन्य जगहों पर नहीं भटकना पड़ेगा : डा प्रेम कुमार प्रसाद

छात्रावास के पुनर्निर्माण कार्य के शुरू होने पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए प्रधानाचार्य डा प्रेम कुमार प्रसाद ने बताया कि इस छात्रावास का निर्माण होने से राज्य के विभिन्न हिस्से एवं नेपाल की तराई के इलाकों से यहां पढ़ने आने वाले छात्रों को अब आवासीय सुविधा के लिए किसी अन्य जगहों पर नहीं भटकना पड़ेगा. इस कार्य के लिए उन्होंने महाविद्यालय के 1972 बैच के छात्र रहे पीजीसीआईएल के पूर्व सीएमडी इंदु शेखर झा, लनामिवि के पूर्व डीएसडब्लू सह महाविद्यालय के बर्सर डॉ अशोक कुमार झा एवं रसायन विभागाध्यक्ष डा दिलीप कुमार चौधरी के प्रति विशेष रूप से आभार जताया, जिनके अथक प्रयास से यह प्रोजेक्ट मूर्त रूप लेने जा रहा है. उन्होंने इस प्रोजेक्ट को तैयार करने में महाविद्यालय के शिक्षकों, शिक्षकेत्तर कर्मचारियों एवं छात्रसंघ के योगदान की भी सराहना की।

दरभंगा से,,,पत्रकार,,,राजू सिंह कि रिपोर्ट