अगले 60 दिनों तक चिह्नित 80 पंचायत के प्रत्येक घरों में दवा का किया जाएगा छिड़काव।

छिड़काव करने के लिए 22 दलों का किया गया है गठन

दरभंगा. जिले में कालाजार उन्मूलन को लेकर द्वितीय चरण में  सिंथेटिक पायराथायराइड का छिड़काव कार्यक्रम की शुरुआत की गई. यह अभियान अगले 60 दिनों तक चिह्नित 17 प्रखंड के  80 पंचायत में चलाया जाएगा. सोमवार को अभियान की शुरुआत सीएस सह जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ जेपी महतो, एसीएमओ डॉ एसएस झा, भीडीसीओ आशुतोष कुमार, भीबीडीसी बबन प्रसाद, भिबीडीएस सुजीत कुमार एवं सर्विलांस इंस्पेक्टर नागेंद्र कुमार की मौजूदगी में सदर प्रखंड के बलहा गांव में किया गया.

छिड़काव के लिए 22 टीम का गठन किया गया है. सही तरीके से छिड़काव के लिए सभी कर्मियों को प्रशिक्षण दे दिया गया है. प्रशिक्षण में कर्मियों को एक भी घर नहीं छूटे इसका ख्याल रखने को कहा गया. छिड़काव में आशा, फैसिलिटेटर व प्रखंड स्तर के कर्मियों व अधिकारियों को शामिल किया गया है. जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. महतो  ने बताया कि कालाजार की वाहक बालू मक्खी को खत्म करने तथा कालाजार के प्रसार को कम करने के लिए इंडोर रेसिडूअल स्प्रे (आईआरएस) किया जाता है.

यह छिड़काव घर के अंदर दीवारों पर छह फीट की ऊंचाई तक होता है. कहा कि लोगों को प्रत्येक घरों में अवश्य छिड़काव करानी चाहिए, चाहे वह पूजा घर हो, बाथरूम हो या मवेशियों का स्थान. सभी जगहों पर छिड़काव कराने से कालाजार संक्रमण का खतरा कम हो जाता है. छिड़काव के दो घण्टा बाद घर में  प्रवेश करना चाहिये. साथ ही छिड़काव के छह महीने तक घर मे पेंटिग नहीं करानी चाहिए. इसे लेकर लोगों को जागरूक करने की ज़रूरत है.

ऐसे फैलता है कालाजार

भीडीसीओ आशुतोष कुमार ने कहा कि कालाजार एक संक्रमण बीमारी है जो परजीवी लिस्मैनिया डोनोवानी के कारण होता है. यह एक वेक्टर जनित रोग भी है. इस बीमारी का असर शरीर पर धीरे-धीरे पड़ता है.कालाजार बीमारी परजीवी बालू मक्खी के जरिये फैलती है. जो कम रोशनी  और नम जगहों जैसे कि मिट्टी की दीवारों की दरारों, चूहे के बिलों तथा नम मिट्टी में रहती है. बालू मक्खी यही संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलाती है. इस रोग से ग्रस्त मरीज खासकर गोरे व्यक्तियों के हाथ, पैर, पेट और चेहरे का रंग भूरा हो जाता है. इसी से इसका नाम कालाजार यानि काला बुखार पड़ा.

हर पीएचसी पर मुफ्त जांच सुविधा उपलब्ध 

भीबीडीसी बबन प्रसाद ने बताया की हर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर कालाजार जांच की सुविधा उपलब्ध है.  कालाजार की किट (आरके-39) से 10 से 15 मिनट के अंदर टेस्ट हो जाता है. हर सेंटर पर कालाजार के इलाज में विशेष रूप से प्रशिक्षित एमबीबीएस डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी उपलब्ध हैं.

कालाजार के कारण 

एसीएमओ डॉ एसएस झा ने बताया की कालाजार मादा फाइबोटोमस अर्जेंटिपस(बालू मक्खी)  के काटने के कारण होता है, जो कि लीशमैनिया परजीवी का वेक्टर (या ट्रांसमीटर) है. किसी जानवर या मनुष्य को काट कर हटने के बाद भी अगर वह उस जानवर या मानव के खून से युक्त है तो अगला व्यक्ति जिसे वह काटेगा वह संक्रमित हो जायेगा. इस प्रारंभिक संक्रमण के बाद के महीनों में यह बीमारी और अधिक गंभीर रूप ले सकती है, जिसे आंत में लिशमानियासिस या कालाजार कहा जाता है.

सरकार द्वारा रोगी को मिलती है आर्थिक सहायता 

कालाजार से पीड़ित रोगी को मुख्यमंत्री कालाजार राहत योजना के तहत श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में पैसे भी दिए जाते हैं. बीमार व्यक्ति को 6600 रुपये राज्य सरकार की ओर से और 500 रुपए केंद्र सरकार की ओर से दिए जाते हैं.. यह राशि वीएल (ब्लड रिलेटेड) कालाजार में रोगी को प्रदान की जाती है. वहीं चमड़ी से जुड़े कालाजार (पीकेडीएल) में 4000 रुपये  की राशि केंद्र सरकार की ओर से दी जाती है.