दरभंगा । वर्ष 1988 के विनाशकारी भूकंप में बुरी तरह से क्षतिग्रस्त होने के करीब 33 वर्षों बाद सीएम साइंस कॉलेज के आर्यभट्ट छात्रावास के पुनर्निर्माण होने की खबर से विद्यापति सेवा संस्थान के महासचिव एवं लनामिवि विज्ञान विषय के छात्र रहे । इस छात्रावास से काफी गहरा नाता रहा है। वर्ष 1971 में स्नातक (जीव विज्ञान) के छात्र के रूप में इस छात्रावास (तत्कालीन न्यू हॉस्टल) के कमरा नंबर 7 में रहकर न सिर्फ उन्होंने अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी की है बल्कि, एकीकृत सीएम कॉलेज छात्र संघ के पहले महासचिव एवं तत्कालीन बिहार विश्वविद्यालय छात्र संघ के पहले अध्यक्ष भी वे यहां रहकर निर्वाचित हो चुके हैं।
डॉ बैजू के अनुसार 1970 के दशक में इस छात्रावास की ख्याति राष्ट्रीय स्तर पर हुआ करती थी। क्योंकि उस समय इंजीनियरिंग, मेडिकल एवं सिविल सेवा में चयनित होने वाले छात्रों में 99 फीसदी से अधिक छात्रों की तादाद इस छात्रावास में रहकर शिक्षा अर्जित करने वाले प्रतिभावान छात्रों की होती थी। वे बताते हैं कि उस जमाने में छात्रावास अधीक्षक के रूप में छात्रों को डॉ शालिक नाथ मिश्र सरीखे कुशल शिक्षक का सान्निध्य प्राप्त होता था, जिनका अधिकतर समय छात्रों की प्रतिभा को निखारने में बीतता था।
छात्रों के बीच उनकी लोकप्रियता और प्रशासनिक दक्षता का आलम था कि आगे चलकर उन्होंने बिहार विश्वविद्यालय एवं ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलसचिव सहित अनेक प्रशासनिक पदों को सुशोभित किया। उनके अनुसार ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय की स्थापना को लेकर भी शिक्षाविदों की पहली बैठक इसी छात्रावास में हुई थी। जिसमें डॉ उषाकर झा, तंत्रनाथ झा, तत्कालीन प्रधानाचार्य डॉ एलके मिश्रा एवं डॉ शालिक नाथ मिश्र आदि प्रमुख रूप से शामिल हुए थे। जबकि वर्ष 1978-79 में एमएलएसएम कॉलेज सहित अनेक शिक्षण संस्थानों की स्थापना की कवायद भी उन्होंने इस छात्रावास में रहते हुए ही शुरू की थी। छात्रावास में आयोजित होने वाले सरस्वती पूजनोत्सव की भव्यता को भी वे काफी खास बताते हैं।
करीब तीन दशक से भी अधिक समय अंतराल के बाद महाविद्यालय के पूर्व छात्र इंदु शेखर झा के अथक प्रयास से इस छात्रावास का पावर ग्रिड कारपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के सौजन्य से हो रहे पुनर्निर्माण को लेकर समस्त मिथिलावासी एवं पूर्ववर्ती छात्रों की ओर से कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए उन्होंने महाविद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ प्रेम कुमार प्रसाद एवं बर्सर डा अशोक कुमार झा सहित पूर्व विधान पार्षद सह महाविद्यालय के वरिष्ठ शिक्षक डा दिलीप कुमार चौधरी को इस ऐतिहासिक विरासत को सहेजने की दिशा में उठाए गए कदम के लिए धन्यवाद देते हुए समस्त महाविद्यालय परिवार को शुभकामनाएं दी है।