●आज ज्यादा से ज्यादा जरूरत है छात्र-छात्राओं को पुस्तकालय से कनेक्ट करने की:- प्रो० मुनेश्वर यादव।
● स्वाध्याय के लिये पुस्तकालय से बेहतर कोई जगह नहीं है:- प्रो० मुकुल बिहारी वर्मा।
#MNN@24X7 दरभंगा- आज दिनांक 3 नवंबर 2022 को भठियारीसराय में टीवीएस शो रूम के सामने मिथिला पुस्तकालय का संयुक्त रूप से फीता काटकर मिथिला विश्वविद्यालय के सामाजिक विज्ञान संकायाध्यक्ष सह विश्वविद्यालय राजनीति विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो० जितेंद्र नारायण, मिथिला विश्वविद्यालय के पूर्व सीसीडीसी सह विश्वविद्यालय राजनीति विज्ञान विभाग के विभागीय शिक्षक प्रो० मुनेश्वर यादव व विश्वविद्यालय राजनीति विज्ञान विभाग के विभागीय शिक्षक प्रो० मुकुल बिहारी वर्मा ने फीता काट कर किया और पुस्तकालय के संस्थापक सिद्धार्थ राज व सन्नी कुमार को शुभकामनाएं व बधाई दिया।
इस मौके पर अपने संबोधन में मिथिला विश्वविद्यालय के सामाजिक विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रो० जितेंद्र नारायण ने कहा कि किसी भी शहर का संस्कार होता है आदर्श पुस्तकालय। ये बड़े हर्ष की बात है कि दरभंगा शहर में निजी पुस्तकालय की शुरुआत हो रही है। यह इस शहर के लिये मील का पत्थर साबित होगा। शहर को देवालय-शिवालय की भी जरूरत है और शहर को पुस्तकालय की भी जरूरत है। देवालय-शिवालय और पुस्तकालय मॉडल को आत्मसात करने वाला व्यक्ति धनी व्यक्तित्व का होता है। वो कभी सदमार्ग से भटक नहीं सकता है। जरूरत है नये पीढ़ी को पुस्तकालय से जोड़ने की। गूगल सर्च इंजन जरूर है लेकिन पुस्तकालय का स्थान नहीं ले सकता है। दरभंगा जैसे छोटे शहरों में पुस्तकालय में जितनी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही है ये काबिलेतारीफ है जिसके लिये संस्थापक धन्यवाद के पात्र हैं।
मिथिला विश्वविद्यालय के पूर्व सीसीडीसी सह राजनीति विज्ञान विभाग के विभागीय शिक्षक प्रो० मुनेश्वर यादव ने अपने संबोधन में कहा कि ज्ञान का आलय यानि ज्ञानालय है पुस्तकालय। किसी भी शिक्षित समाज की पहचान होती है पुस्तकालय। जिस शहर का पुस्तकालय जितना समृद्ध रहता है उस शहर में शिक्षा का उतना ही दीप प्रज्वलित रहता है। आज ज्यादा से ज्यादा जरूरत है छात्र-छात्राओं को पुस्तकालय से कनेक्ट करने की।
राजनीति विज्ञान विभाग के विभागीय शिक्षक प्रो० मुकुल बिहारी वर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि शिक्षक तो सिर्फ मार्गदर्शक होता है लेकिन ज्ञान तो स्वाध्याय से ही मिलती है और स्वाध्याय के लिये पुस्तकालय से बेहतर कोई जगह नहीं है। पुस्तकालय विद्या का एक ऐसा मंदिर है जहां एक छत के नीचे सारे राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पुस्तकों का स्टॉक होता है। जिसका अध्ययन आप सुलभता से कर सकते हैं।
इस मौके पर शहर के कई प्रबुद्ध व गणमान्य लोग भी उपस्थित थे।