प्रेस दिवस हर पत्रकार के लिये खाश होता है. इस खाश मौके को दरभंगा में भी अच्छे तरीते से मनाया गया. जिले के बड़े अधिकारी और पुलिस पदाधिकारी जहां दिन के उजाले में पत्रकारों को बधाई देते नजर आये। उनके साथ सहयोग करने की बातें करते नजर आये।
उसके ठीक उलट दिन ढला नहीं की सब कुछ बदल गया। पुलिसवालों का कहर एक पत्रकार पर ऐसा टूटा कि पूरा परिवार घायल अवस्था में अस्पताल में इलाज कराने को मजबूर हो गया. पुलिस की पिटाई से पत्रकार के परिवार सहित अगल-बगल के कई लोग घायल हो गए, जिसमें से आठ गंभीर घायलों को बिरौल सीएचसी से डीएमसीएच रेफर कर दिया गया.
पुलिस ने अपनी वर्दी की ताकत ऐसे दिखाया की घर में सोई पत्रकार की 108 वर्षीय बुजुर्ग मां सहित घर के छोटे-छोटे बच्चे-बच्चियों के आलावा गर्भवती महिला और विकलांग को भी नहीं बख्शा. एक तरफ से सभी को डंडे से बुरी तरह मारा गया. प्राप्त जानकारी के अनुसार सबसे आश्चर्य की बात यह है कि महिला की पिटाई सभी पुरुष पुलिस ने ही की . घटना के वक्त एक भी महिला पुलिस साथ में नहीं थी.
आपको बताते चलें कि यह पूरा मामला दरभंगा के बिरौल थाना के बुआरी गांव का है.
बताया जाता है कि शाम में गांव के चौकीदार का एक रिश्तेदार शराब के नशे में हंगामा कर रहा था. इसी हंगामे का विरोध पत्रकार के परिवार ने किया. कुछ लोगों के बीच बचाव के बाद मामला शांत भी हो गया लेकिन कुछ घंटे बाद अचानक देर रात तीन से चार पुलिस जीप पत्रकार के घर पहुंचती है और घर में अचानक धावा बोलने के साथ ही सभी की पिटाई शुरू कर दी. किसी पुलिसवाले के पास कोई ठोस जवाब नहीं था. गांव के लोगों के बीच जब हल्ला मचा तो पुलिसवाले पत्रकार के परिवार वालों पर शराब बेचने का आरोप लगा निकल गए.
पुलिस की पिटाई से जख्मी और चोटिल हुए लोगों को परिजनों द्वारा उपचार के लिए सीएचसी में भर्ती कराया गया है. सवाल यहां इसलिए खड़े होते हैं कि अगर शराब की सूचना पर पुलिस पत्रकार के घर पहुंची थी तो कायदे से शराब की तलाशी लेनी चाहिए थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ. फिलहाल पूरे मामले पर न तो पुलिस के अधिकारी और न ही थाने की पुलिस कुछ भी कैमरे पर बताते को तैयार है. देर रात एसएसपी अवकाश कुमार के निर्देश पर अस्पताल पहुंचकर एसडीपीओ बिरौल मनीष चंद्र चौधरी ने घायलों से मुलाकात की लेकिन कैमरे पर कुछ भी नहीं कहा. ऑफ कैमरा उन्होंने दो लोगों के घायल होने की बात कही.
(स्थानीय संवाददाता)