दरभंगा, 27 जनवरी 2022 :- मुख्य सचिव, बिहार श्री आमिर सुबाहनी की अध्यक्षता में ताड़ी व्यवसाय से जुड़े परिवारों के लिए नीरा के माध्यम से रोजगार के अवसर पैदा करने को लेकर उद्योग विभाग, जीविका, कॉम्फेड, बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के पदाधिकारियों तथा संबंधित 16 जिलों के जिलाधिकारी एवं संबंधित पदाधिकारी के साथ ऑनलाईन बैठक की गयी।
  बैठक में जीविका के मिशन निदेशक -सह-मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी बाला मुरूगनडी ने बताया कि वर्ष 2016 में नये उत्पाद अधिनियम के लागू होने के साथ ही ताड़ी व्यवसाय को अवैध घोषित कर दिया गया। अतः ताड़ी उत्पादन से जुड़े परिवारों के लिए रोजगार के अवसर प्रदान करने हेतु नीरा का उत्पादन प्रारंभ कराया गया। वर्ष 2017 में 11 लाख 62 हजार 253 लीटर नीरा का उत्पादन किया गया था, जो कि धीरे-धीरे घट गया है। इसे पुनः बढ़ाने की आवश्यकता है। इसके लिए जीविका द्वारा वर्ष 2022 के लिए कार्य योजना बनायी गयी है। जिसके अनुसार 47 लाख लीटर नीरा का उत्पादन, 12 हजार 893 नीरा उत्पादक को चिह्नित करना, 2063 नीरा बिक्री केन्द्र तथा  कॅम्फेड के प्रसंस्करण हेतु 1.5 लाख लीटर नीरा उपलब्ध करवाना तथा 460 उत्पादक समूहों का गठन करवाना शामिल है।
  इसके लिए नोडल पदाधिकारी की नियुक्ति, इसका प्रशिक्षण, पर्यवेक्षक की नियुक्ति, सर्वेक्षण दल का गठन करवाकर 15 फरवरी तक सर्वेक्षण का कार्य करवाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके अलावा नीरा उत्पादकों को अनुज्ञप्ति प्रदान करना, उन्हें प्रखंड स्तर पर प्रशिक्षण दिलाना तथा उत्पादक समूहों का गठन कर उन्हें वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने का कार्यक्रम तिथिवार निर्धारित है।
    उन्होंने बताया कि नीरा का उत्पादन 15 मार्च से जून माह तक होता है।
      नीरा की बिक्री के लिए शहरी क्षेत्र में नीरा बिक्री केन्द्र की संख्या बढ़ाने का सुझाव मिशन निदेशक-सह-मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी द्वारा दिया गया। जिसपर अपनी सहमति प्रदान करते हुए मुख्य सचिव ने बिक्री केंद्र को और आकर्षक बनाने का निर्देश दिया गया।
  बैठक में बताया गया कि नीरा से बनाये जाने वाले जैगरी (गुड़) 360 रुपये प्रति किलोग्राम होने के कारण इसकी बिक्री में कठिनाई होती है। बैठक मे उपस्थित उद्योग विभाग, बिहार के अपर मुख्य सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा के सुझाव पर इसे सभी जेलों एवं सरकारी अवासीय विद्यालयों में आपूर्ति करने का निर्देश मुख्य सचिव द्वारा जीविका के एम.डी. को दिया गया। बैठक में प्राप्त सुझाव के आलोक में चलन्त बिक्री केन्द्र बनाने का भी निर्देश दिया गया।
  बैठक में तार/खजूर वाले ट्रेपरों को पुनः चिन्ह्ति करते हुए उन्हें प्रशिक्षण दिलाने का निर्देश दिया गया।
  दरभंगा के एन.आई.सी. से जिलाधिकारी राजीव रौशन ने बताया कि दरभंगा जिला में 164 ट्रेपर चिन्ह्ति हैं, जल्द ही शेष ट्रेपरर्स को चिन्ह्ति कर उन्हें प्रखंड स्तर पर प्रशिक्षण दिलाया जाएगा।
  बैठक में उप विकास आयुक्त तनय सुल्तानिया, उप निदेशक, जन सम्पर्क नागेन्द्र कुमार गुप्ता, उत्पाद अधीक्षक ओम प्रकाश, जीविका के डी.पी.एम. सुधाँशू तिवारी उपस्थित थे।
  ऑनलाईन बैठक के उपरान्त जिलाधिकारी की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में जिलाधिकारी ने जीविका के डी.पी.एम. को जिले में उपलब्ध तार/खजूर के पेड़ को अनुज्ञप्ति प्राप्त ट्रेपरर्स के साथ टैग करने तथा तार/खजूर के पेड़ पर अनुज्ञप्ति संख्या अंकित करवाने तथा नीरा के बर्त्तन को पीला रंग से रंगवाने एवं उस पर काला रंग से अनुज्ञप्ति संख्या अंकित करवाने के निर्देश दिये।
  उन्होंने डीपीएम जीविका को सभी नीरा बिक्री केन्द्र पर पी.एच. मीटर रखवाने का निर्देश दिया, ताकि ग्राहकों को शुद्ध नीरा प्राप्त हो सके। जिलाधिकारी ने कहा कि नीरा से बने हुए जेगरी का बंगाल में बनने वाले रसगुल्ला में प्रयोग किया जाता है। उन्होंने बताया कि फारबिसगंज के रसगुल्ले में भी नीरा का जेगरी मिलाया जाता है जिससे रसगुल्ला काफी स्वादिष्ट लगता है। उन्होंने डीपीएम को सुझाव दिया कि इसका प्रयोग दरभंगा में भी करवाया जा सकता है।
   बैठक में उप विकास आयुक्त तनय सुल्तानिया, उप निदेशक, जन सम्पर्क नागेन्द्र कुमार गुप्ता, उत्पाद अधीक्षक ओम प्रकाश, जीविका के डी.पी.एम. सुधाँशू तिवारी उपस्थित थे।