•कोरोना टीका से वंचित लोगों को जिले में एक और टीके लेने का मिलेगा विकल्प
•कोविशिल्ड,कोवैक्सीन के अलावा जायकोव-डी भी दिया जाएगा
•टीके लेने के 28 वें दिन दूसरे डोज तथा 56 वें दिन बूस्टर डोज दी जाएगी
मधुबनी,4 फरवरी। कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ जिले में जोर शोर से टीका अभियान चलाया जा रहा है। इस क्रम में जिले में अब तक कोविशील्ड, कोवैक्सीन के टीके लगाए जा रहे थे। लेकिन जिले में टीके से अब तक वंचित लोगों को टीके के तीसरे विकल्प के रूप में जायकोव-डी का भी टीका लगाया जाएगा। जाइकोव-डी वैक्सीन को जाइडस कैडिला ने भारत सरकार के बायोटेक्नोलॉजी विभाग के साथ मिल कर बनाया गया है। इसकी तीन खुराकें लेनी पड़ती हैं । जिन्हें ट्रोपिस नाम के एक सुई रहित तरीके के जरिए त्वचा में डाला जाता है। जिससे किसी प्रकार का दर्द नहीं होता है।शुरुआती दौर में आज से मधुबनी में सहकारिता भवन सहित जिले के दो प्रखंड विस्फी व बेनीपट्टी में इस्तेमाल किया जाएगा। यह एक सुई रहित टीका है जिसकी तीन खुराकें लगाई जाएंगी। बड़ी संख्या में पात्र लोगों को अभी तक टीके की पहली खुराक भी नहीं मिल पाई है। वैसे लोगों को अब जायकोव-डी भी दिया जाएगा। अभी इस टीके की खुराक केवल वयस्कों को ही देने का फैसला किया गया है। मधुबनी जिले को 40,000 टीके की डोज उपलब्ध कराई जाएगी। जिससे 20 हजार लोगों को टीके से आच्छादित करने का लक्ष्य रखा गया है।
वैक्सीन की तीन खुराक है लेनी:
जिला प्रतिक्षण पदाधिकारी डॉ. एस.के. विश्वकर्मा ने बताया जायकोव-डी के हर डोज के बीच कम से कम 28 दिन का अंतराल रहेगा। यानी पहला डोज लेने के 28वें दिन दूसरा डोज और 56 वें दिन तीसरा डोज(बूस्टर) डोज लेना है। यह पहला ऐसा टीका है जिसमें तीन डोज लेनी है। इस हिसाब से भले ही इसके 3 डोज हो लेकिन इसका कोर्स कोविशील्ड से पहले ही पूरा हो जाएगा। दो डोज वाली कोविशील्ड के दोनों डोज के बीच का अंतराल 84 दिन है। प्रत्येक बार टीकाकरण , का दो डोज लेना है जिसमे लिए 0.1 एमएल एक बांह व 0.1 दूसरे बांह में लगाया जाएगा जो तीनों चरण में दिया जाएगा।
सुई से नहीं लगाई जाएगी वैक्सीन:
इस वैक्सीन के बारे में एक और खास बात है। यह सुई से नहीं लगाई जाएगी। इसे एक खास डिवाइस (इंजेक्टर) के जरिए लगाया जाएगा। इस मेथड से वैक्सीन लगने की वजह से दर्द नहीं होगा। कोवैक्सीन के बाद यह दूसरी वैक्सीन है जो पूरी तरह से देश में तैयार हुई है। टीके के लिए ए ग्रेड नर्स (वैक्सीनेटरों ) को प्रशिक्षण दिया गया है।