आज का बदलता हुआ भारत शिक्षित, क्षमतावान एवं कार्य करने वाले युवाओं का देश- कुलपति।
#MNN@24X7 दरभंगा। हमारा मूल उद्देश्य संवेदनशील, समाज से जुड़े एवं बेहतर युवा पीढी को तैयार करना है। आज का बदलता हुआ भारत शिक्षित, क्षमतावान एवं कार्य करने वाले युवाओं का देश है। सिर्फ शुरुआत कर उन्हें सही दिशा देने की जरूरत है। हमारा विश्वविद्यालय अभी ननौरा गांव में समाज से जुड़ने हेतु एक कदम बढ़ाया है, जिसे विस्तार कर पूरे पंचायत, प्रखंड तथा जिला स्तर तक ले जाना है। सामाजिक सरोकार का हमारा यह सिलसिला अनवरत चलता रहेगा।
उक्त बातें ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के कुलपति प्रोफेसर सुरेन्द्र प्रताप सिंह ने विश्वविद्यालय की एनएसएस के कोषांग द्वारा हाल ही गोद लिए गए केवटी ब्लॉक के ननौरा गांव में स्वास्थ्य सर्वेक्षण अभियान के तहत टीबी उन्मूलन कार्यक्रम का मुख्य अतिथि के रूप में उद्घाटन करते हुए कही।
कुलपति ने कहा कि स्वामी विवेकानंद हमारे प्रेरक हैं, जिन्हें मात्र देखने एवं उनके कार्यों को याद कर लेने से ही हमें अपार ऊर्जा एवं सद्प्रेरणा मिलती है। हमें समाज में हो रहे परिवर्तनों एवं उथल-पुथल के प्रति भी संवेदनशील होना चाहिए। हम वैसे युवाओं को बनाना चाहते हैं जो न केवल शिक्षित या योग्य हो, बल्कि सामाजिक एवं संवेदनशील भी हों।
उन्होंने टीबी उन्मूलन अभियान की चर्चा करते हुए कहा कि आज चिकित्सा विभाग के पास वही डाटा है जो रोगी जांच कराने या दवा लेने आते हैं, पर हमारे छात्र घर- घर जाकर गहन सर्वेक्षण कर रोगियों का पता लगाएंगे और उन्हें सरकारी सुविधाओं के साथ ही विश्वविद्यालय की ओर से मदद पहुंचाएंगे, ताकि प्रधानमंत्री के लक्ष्य के अनुसार 2025 तक भारत टीबी मुक्त देश बन सके।
इस अभियान में मुखिया सहित सभी जनप्रतिनिधियों, चिकित्सकों, शिक्षकों, पदाधिकारियों एवं सामाजिक व्यक्तियों की सहभागिता की सराहना करते हुए उन्होंने इस अभियान के लिए एनएसएस पदाधिकारियों एवं स्वयंसेवकों को शुभकामनाएं दी। साथ ही कहा उन्होंने कहा कि अच्छा कार्य करने वाले स्वयंसेवकों को प्रमाण पत्र आदि प्रदान कर विश्वविद्यालय सम्मानित करेगा।
सम्मानित अतिथि के रूप में प्रति कुलपति प्रोफेसर डॉली सिन्हा ने कहा कि टीवी उन्मूलन कार्यक्रम सरकार की एक अति महत्वाकांक्षी योजना है जिसमें रोग की निःशुल्क जांच के बाद रोगी को प्रतिमाह सरकार द्वारा निःशुल्क दवा एवं पोषण हेतु राशि दी जाती है। हमारे स्वयंसेवक न केवल सर्वेक्षण करेंगे, बल्कि लोगों को बीमारी के फैलने के कारण समस्या एवं निदान के प्रति भी जागरूक करेंगे। भारत में यह अभियान पोलियो आदि की तरह निश्चय ही सफल होगा, क्योंकि इसमें जनप्रतिनिधियों, चिकित्सकों, प्रशासकों तथा स्वयंसेवकों के साथ ही आमलोगों की भी सहभागिता हो रही है।
विशिष्ट अतिथि के रूप में वित्तीय परामर्शी कैलाश राम ने कहा कि इस अभियान के द्वारा हमारे छात्र समाज से ज्यादा जुड़ेंगे, क्योंकि हमारा लक्ष्य स्वस्थ समाज का निर्माण है। उन्होंने लोगों से समय-समय पर स्वास्थ्य की जांच कराने, कुपोषण से बचने, ताजा पौष्टिक एवं संतुलित भोजन करने की सलाह देते हुए स्वास्थ्य के अनुरूप अपनी जीवन पद्धति को सही करने की सलाह दी।उन्होंने विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालयों द्वारा गांवों को गोद लेकर अभियान चलाने को स्वस्थ भारत के सपने को साकार करने में मददगार बताया।
विशिष्ट अतिथि के रूप में कुलसचिव प्रोफेसर मुश्ताक अहमद ने इस अभियान में जुड़ने के लिए ग्रामीणों, शिक्षकों, जनप्रतिनिधियों, डॉक्टरों तथा पदाधिकारियों आदि को धन्यवाद देते हुए कहा कि हमारे विश्वविद्यालय के 4 जिलों के अंतर्गत सभी महाविद्यालयों की एनएसएस इकाई द्वारा इसी तरह गांवों को गोद लेकर टीबी उन्मूलन अभियान चलाया जाएगा। टीबी को लोग छुपाते भी हैं, क्योंकि लोग इसे छुआछूत मानते हैं।
कुलसचिव ने कहा कि विश्वविद्यालय का काम सिर्फ छात्रों को डिग्री देना ही नहीं है, बल्कि उन के माध्यम से सामाजिक कुरीतियों को दूर करना भी है।
कुलसचिव ने कुपोषण, फास्ट फूड सेवन तथा जानकारी के अभाव को टीबी रोग का मुख्य कारण बताते हुए कहा कि विश्वविद्यालय की यह योजना एक बिंदु से शुरू होकर धीरे-धीरे सिंधु का रूप लेगी।
मुख्य वक्ता के रूप में जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डा अशोक कुमार सिंह ने कहा कि भारत के अनेक रोगों में टीबी काफी खतरनाक रोग है, जिसका इलाज कम से कम 6 माह तक चलता है। यहां प्रतिवर्ष 8000 रोगी टीबी ग्रसित होते हैं तथा 1200 रोगी प्रतिदिन मर जाते हैं। टीबी कुपोषण एवं गरीबी का रोग है जो सिर्फ सरकारी स्तर से ही ठीक नहीं हो सकता। उन्होंने लोगों से टीबी रोगी को गोद लेने की अपील की, जिन्हें ₹1000 का फूड बास्केट देना होता है।उन्होंने बताया कि टीबी गुप्त अवस्था में 40% लोगों को होता है, पर लक्षण आने पर मात्र 10% लोग ही पकड़ में आते हैं।
विषय प्रवेश कराते हुए एनएसएस के पूर्व समन्वयक डा आर एन चौरसिया ने एनएसएस के द्वारा गांव को गोद लिए जाने की प्रक्रिया, संचालित कार्यक्रमों तथा उद्देश्यों की जानकारी देते हुए कहा कि ननौरा गांव को एनएसएस की मदद से शैक्षणिक, सामाजिक तथा आर्थिक आदि दृष्टियों से विकसित किया जाएगा। समय-समय पर यहां स्वच्छता व स्वास्थ्य जागरूकता, शिक्षा व साक्षरता कार्यक्रम, पर्यावरण व सामाजिक जागरूकता, विभिन्न स्वास्थ्य शिविर आदि के आयोजनों के द्वारा यहां के लोगों को समाज की मुख्यधारा में लाया जाएगा।
कार्यक्रम का प्रारंभ दीप प्रज्वलन से हुआ, जबकि अतिथियों का स्वागत पौधा प्रदान कर किया गया, जिन्हें बाद में विद्यालय परिसर में अतिथियों के हाथों लगाया गया।
ननौरा पंचायत की मुखिया मंजुला देवी की अध्यक्षता में आयोजित उद्घाटन सत्र में अतिथियों का स्वागत एनएसएस समन्वयक प्रथम डा विनोद बैठा ने किया। वहीं एनएसएस समन्वयक द्वितीय डा आनंद प्रकाश गुप्ता ने सत्र का संचालन किया तथा धन्यवाद ज्ञापन सेवानिवृत्त शिक्षक एवं ग्रामीण रामोवतार यादव ने किया।