दरभंगा, 07 फरवरी 2022 :- दरभंगा, समाहरणालय अवस्थित बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर सभागार में जिलाधिकारी राजीव रौशन की अध्यक्षता किसान उत्पादक संगठन(FPO) बनाने को लेकर नाबार्ड के तत्वाधान में बैठक आयोजित की गयी।
  बैठक में डी.डी.एम. नाबार्ड श्रीमती आकांक्षा ने बताया कि दरभंगा में कृषि एवं बागवानी से जुड़े लोगों का 08 उत्पादक समूह बनाने का लक्ष्य भारत सरकार द्वारा मिला था जो राष्ट्रीय सहकारिता विकास निगम को बनाना था।
  बैठक में राष्ट्रीय सहकारिता विकास निगम के पदाधिकारी या उनके प्रतिनिधि के अनुपस्थित रहने पर जिलाधिकारी ने नराजगी व्यक्त की और इससे सरकार को अवगत कराने का भी निर्देश दिया।
  उन्होंने कहा कि भारत सरकार की यह महत्वकांक्षी योजना है और राष्ट्रीय सहकारिता विकास निगम के कोई पदाधिकारी नहीं आये, इसलिए 08 किसान उत्पादक संगठन बनाने में कोई प्रगति नहीं हो सकी ।   
      डी.डी.एम. नाबार्ड ने बताया कि नाबार्ड को 02 एफ.पी.ओ. बनाना है, जो 02 प्रखण्ड यथा – किरतपुर एवं कुशेश्वरस्थान में बनाने की योजना है, जिसके अनुमोदन हेतु प्रस्ताव आज की बैठक में रखा जा रहा है।
  जिलाधिकारी के पुछने पर डी.डी.एम. नाबार्ड ने बताया कि किरतपुर में मक्का, मखाना एवं मरूआ आधारित किसानों का समूह तथा कुशेश्वरस्थान में मक्का, मखाना एवं सब्जी आधारित किसान उत्पादक संगठन बनाया जा रहा है।
साथ ही, नाफेड द्वारा भी दो प्रखंड- बेनीपुर तथा अलीनगर में उत्पादक संगठन गठन की अनुशंसा की गई।
  बैठक में जिलाधिकारी ने कहा कि जो एफ.पी.ओ. बनाया जा रहा है, उससे मत्स्य जीवी सहयोग समिति को भी जोड़ा जाना चाहिए, इससे दरभंगा के मछली पालकों को लाभ प्राप्त होता। इस प्रस्ताव को भी सरकार के समक्ष रखा जा सकता है।
    उन्होंने कहा कि किसान उत्पादक संगठन बिजनेस मॉडल का होना चाहिए। उत्पादक संगठन में एक समुह की ताकत होती है, जो बाजार में सौदेबाजी कर सकती है। यह संगठन की गतिविधि पर आधारित होता है, जैसे-जैसे समूह की गतिविधि बढ़ती है, वैसे-वैसे संगठन के लाभ में वृद्धि होती है।

  उन्होंने कहा कि जिले में जीविका द्वारा भी एक शिल्पकला का उत्पादक समूह बना हुआ है, जो अच्छा काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि किसान उत्पादक संगठन अलग-अलग उत्पाद पर आधारित होना चाहिए। जैसे – मखाना उत्पादन, मधु उत्पादन, सब्जी उत्पादन, मछली के आहार का उत्पादन, मक्का का उत्पादन, उर्वरक, बीज का उत्पादन इत्यादि। इस तरह से विशेष उत्पादन आधारित किसान उत्पादक समूह बनाने पर संगठन को ज्यादा लाभ प्राप्त होगा।
  उन्होंने कहा कि बिहार में फसल बीज उत्पादन में असीम संभावनाएँ है। हमारे यहाँ किसानों को मिलने वाले बीज का 25 प्रतिशत ही बिहार उत्पादन कर पाता है, बाकि 75 प्रतिशत अन्य राज्यों से मगँवाना पड़ता है। उन्नत बीज का प्रमाणीकरण कराकर इसे भारत सरकार से अधिसूचित कराने की आवश्यकता होती है। उन्नत बीज उत्पादन का बड़ा केंद्र बिहार बन सकता है। इस दिशा में कार्य करने की आवश्यकता है।

     बैठक में सामुदाय आधारित व्यापार संगठन के प्रतिनिधि मधु चौधरी ने बताया कि दरभंगा में मखाना उत्पादन एवं मार्केटिंग की असीम संभावना है। इसकी माँग जापान एवं कोरिया में ज्यादा है। साथ ही मछली उत्पादन की भी असीम संभावनाएँ है।
  जिलाधिकारी ने कृषि आधारभूत संरचना निधि (ए.आई.एफ.) से ऋण प्राप्त करने हेतु प्राप्त दरभंगा के 07 आवेदकों से व्यक्तिगत रूप से सम्पर्क कर उन्हें ऋण उपलब्ध कराने में सहायता करने का निर्देश डी.डी.एम. नाबार्ड को दिया।
  बैठक में उप निदेशक, जन सम्पर्क नागेन्द्र कुमार गुप्ता, डी.डी.एम. नाबार्ड श्रीमती अकांक्षा, जिला कृषि पदाधिकारी राधा रमण, पी.डी. (आत्मा) पुणेन्दु नाथ झा, एलडीएम अजय कुमार, सामुदाय आधारित व्यापार संगठन के प्रतिनिधि मधु चौधरी एवं अन्य संबंधित पदाधिकारीगण उपस्थित थे।