प्रत्यक्ष एवं परोक्ष में है शाश्वत अंतर मंत्र का है विश्व्यापी वैज्ञानिक महत्व कोविड ने प्रदेश के हजारों स्कूलों को लील लिया ।
पीड़ित मानवता की सेवा ही मानव का परम धर्म । उक्त बातें ‘कोरोना एवं नई शिक्षा नीति’ पर केंद्रित विमर्श के क्रम में अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शिक्षाविद राजऋषि आचार्य सुदर्शनजी महाराज ने जिला अतिथि गृह में आयोजित प्रेस वार्ता में कहीं । आगे आचार्य श्री ने विगत वर्षों में कोरोना महामारी से शिक्षा जगत को हुई अकल्पनीय क्षति को विस्तार से रेखांकित किया । इस दौरान उन्होंने प्रदेश में हजारों स्कूलों के बंद हो जाने पर गहरी चिंता व्यक्त की तथा सरकार से इस समस्या के यथोचित समाधान के लिए अनुरोध किया । साथ ही आचार्य श्री ने नई शिक्षा नीति को और अधिक समावेशी बनाए जाने पर बल दिया । राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुप्रतिष्ठित आध्यात्मिक चिंतक आचार्य सुदर्शनजी ने वर्तमान सामाजिक परिवेश में निरंतर हो रहे नैतिक क्षरण को रोके जाने की महती आवश्यकता बताई । मंत्र के अलौकिक शक्ति पर चर्चा करते हुए आचार्य श्री ने युवा वर्ग को नियमित रूप से मंत्रोच्चार करने की सलाह दी । चारित्रिक बल को सबसे अधिक महत्वपूर्ण बताते हुए उन्होंने चरित्र निर्माण के लिए परंपरागत मूल्यों को बचाए जाने के लिए युवा वर्ग से आह्वान किया । इस अवसर पर दरभंगा सेंट्रल स्कूल के प्रिंसिपल अभय कुमार कश्यप ने आचार्य श्री को मिथिला पेंटिंग युक्त अंग वस्त्र प्रदान कर सम्मानित किया । मौके पर मिथिला शोध संस्थान के शास्त्रचूड़ामणि विद्वान डॉ.मित्रनाथ झा ने प्रो.जयशंकर झा द्वारा संपादित गुरु-शिष्य परंपरा के अनोखे स्मृति-ग्रंथ ‘श्रुतिधरोदयः’ की प्रति आचार्य श्री को भेंट की । आचार्य श्री ने इस पुस्तक को देखकर इसे गुरु-शिष्य परंपरा का एक अनुकरणीय आदर्श बताया । दरभंगा सेंट्रल स्कूल, लहेरियासराय ब्रांच के प्रिंसिपल वी.के. झा, आत्म कल्याण केंद्र के प्रबंधक बिपिन कुमार,भोगेन्द्र कुमार, राकेश कुमार, सुधीर कुंवर ,आयुष्मान कश्यप, चंदन सिंह आदि मौके पर सक्रिय दिखे ।