#MNN@24X7 तुर्की और सीरिया की तरह तेज भूकंप के झटके भारत में भी आ सकते हैं। ये आशंका भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर में अर्थ साइंस विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो. जावेद मलिक ने जताई है।मलिक ने कहा कि ऐसा अगले एक-दो दशक या उसके पहले भी संभव है।आशंका है कि भूकंप का केंद्र हिमालयन जोन या अंडमान निकोबार होगा, इसलिए सावधानी बरतनी जरूरी है।बता दें कि प्रो. मलिक भूकंप प्रभावित क्षेत्र कच्छ, अंडमान और उत्तराखंड में लंबे समय से धरती के बदलावों का अध्ययन कर रहे हैं।
जावेद मलिक ने कहा है कि नेपाल में कोई बड़ा भूकंप आया तो उत्तर प्रदेश तक इसका असर दिखाई दे सकता है। 1934 में नेपाल और बिहार में आए भूकंप का दूर तक असर दिखा था। 1803 में नेपाल में आए भूकंप का असर मथुरा तक दिखा है।ऐसे में हर किसी को सचेत रहने की जरूरत है।
जावेद मलिक ने कहा कि बीते दिनों आए भूकंप का केंद्र नेपाल का पश्चिमी हिस्सा था।धरती के अंदर इंडियन और यूरेशियन प्लेटों के टकराव से बनी ऊर्जा से 2015 में नेपाल में भूकंप आया था।विशेषज्ञ इस बात पर सहमत हैं कि इस भूकंप से जमीन के अंदर मौजूद ऊर्जा पूरी तरह बाहर नहीं निकली।ऐसे में सारे आकलन और मॉडल इस बात की ओर संकेत करते हैं कि हिमालयी रेंज किसी बड़े भूकंप के चक्र में आ चुका है।
जावेद मलिक ने कहा कि नेपाल में 1255 और 1833 में बड़े भूकंप आए थे। उत्तराखंड की कुमाऊं रेंज में भी 1505 और 1803 में बड़े भूकंप दर्ज हुए थे।नेपाल के हिमालयी क्षेत्र में 1934 में भी 8 से ज्यादा तीव्रता का भूकंप रिकॉर्ड हुआ था। उन्होंने कहा कि जिस क्षेत्र में 500-600 साल से कोई बड़ा भूकंप नहीं आया, वहां कोई बड़ा भूकंप आने की पूरी आशंका है।इसका समय और तारीख तो नहीं बताई जा सकती,लेकिन सतर्क रहने का समय आ गया है।हमें बचाव की तैयारियां शुरू कर देनी चाहिए।
जावेद मलिक ने कहा कि भूकंप की सेस्मिक वेव (तरंगें) जब गंगा के मैदानी इलाकों में यात्रा करती हैं तो इनकी ताकत काफी बढ़ जाती है।भूजल कम गहराई पर है तो मोटी जलोढ़ मिट्टी पर असर होने की पूरी आशंका है।इससे बिल्डिंगों पर भी असर दिख सकता है। उन्होंने कहा कि नेपाल या हिमालयी क्षेत्र में अधिक तीव्रता के भूकंप से गंगा के मैदानी क्षेत्रों पर असर पड़ने की पूरी आशंका है। उन्होंने कहा कि 2001 में गुजरात के भुज में आए भूकंप का असर 250-300 किलोमीटर दूर अहमदाबाद तक दिखा है।हाल-फिलहाल आए भूकंपों को हमें खतरे की शुरुआती चेतावनी मानना चाहिए।
बता दें कि तुर्की में 6 फरवरी की सुबह भूकंप आया था।अब तक 21 हजार से अधिक लोगों के शवों को मलबे से निकाला जा चुका हैं।भूकंप के झटकों ने कई परिवारों को खत्म कर दिया है।हजारों की संख्या में लोग अस्पताल में भर्ती हैं।
(सौ स्वराज सवेरा)