#MNN24X7 बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) और राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय में किसान मेले के अंतिम दिन बोरलॉग इंस्टीट्यूट फॉर साउथ एशिया (बीसा) के जलवायु अनुकूल कृषि (सीआरए) स्टॉल पर महिला किसानों और छात्रों की जबरदस्त भीड़ देखी गई।बिहार सरकार के सीआरए कार्यक्रम का उद्देश्य उन तकनीकों और कृषि क्रियाओं को विकसित करना और बढ़ावा देना है जो किसानों को बदलती जलवायु के अनुकूल बनाने और उनकी उत्पादकता को स्थायी रूप से बढ़ाने में मदद करती हैं।
किसानों, वैज्ञानिकों और छात्रों ने बीसा के वैज्ञानिकों और तकनीकी कर्मचारियों से जलवायु अनुकूल किस्मों और प्रौद्योगिकियों के बारे में पूछताछ की। उन्होंने कृषि ड्रोन, मिट्टी की नमी मीटर और ग्रीन सीकर का लाइव प्रदर्शन देखा। इसके अतिरिक्त, किसान मेले के दौरान सीआरए प्रौद्योगिकियों और गेहूं परीक्षण पर बनी वीडियो कई आगंतुकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना।
महिला किसानों ने अपने क्षेत्र में बीज उत्पादन पर गहरी रुचि दिखाई और सीआरए कार्यक्रम के तहत बाजरा, मूंग और सोयाबीन जैसी नई फसलों को अपनाने में रुचि दिखाई।
सीआरए गांवों से आने वाले किसानों ने जो सीआरए नहीं अपना रहे हैं उन किसानो के द्वारा खेती की जा रही है उसमें भिन्नता को बताया कि कैसे सीआरए कार्यक्रम ने बेहतर रिटर्न/उपज और बचत प्राप्त करने में मदद की है और खर्चों में काफी कमी आई है।
डॉ. राज कुमार जाट, वरिष्ठ वैज्ञानिक और प्रभारी, बीसा, पूसा समस्तीपुर ने किसान मेला के दोनों केंद्रों पर किसानों, विशेषकर महिला किसानों की भारी भीड़ पर संतोष व्यक्त किया।
उन्होंने कहा कि दोनों केंद्रों पर बड़ी संख्या में किसानों की उपस्थिति इस बात का प्रमाण है कि कैसे सीआरए कार्यक्रम राज्य में किसानों के जीवन में सकारात्मक बदलाव ला रहा है।
किसानों की भारी भीड़ को देखते हुए सीआरए स्टॉल सुबह 10 बजे से शाम साढ़े सात बजे तक खुला रहा। किसान मेले के तीनों दिनों में विभिन्न जिलों के किसान सीआरए स्टॉल पर आते रहे।