दरभंगा। मिथिला लेखक मंच के तत्वावधान में महाकावि मैथिली पुत्र प्रदीप का जन्म दिवस मैथिली साहित्य परिषद दरभंगा के प्रांगण में मनाया गया।
पत्रकार श्रीविनोद कुमार अध्यक्षता हुई। इस अवसर पर प्रोफ़ेसर उदय शंकर मिश्र ने अपने संबोधन में कहा कि मैथिली पुत्र प्रदीप एक लोकप्रिय कवि थे। इन्होंने क्रांति गीत एवं भक्ति गीत की रचना की । ये मिथिला क्रांति दूत संघ के माध्यम से आन्दोलन चलाया था। मैथिली आन्दोलन के क्रांतिकारी कवि थे।
डा भीमनाथ झा ने कहा कि मैथिली साहित्य के साश्वत व्यक्तित्व थे प्रदीप जी। मैथिली साहित्य में अनंत काल तक चर्चा प्रदीप जी की होगी। पुरुस्कार से उपर उनका व्यक्तित्व था।
प्रोफेसर मिश्र ने आगे कहा कि विश्व मातृभाषा दिवस आज ही है। वंग्ला भाषीयों ने अपने भाषा के सम्मान के लिए आन्दोलन किया और बलिदान दिया जिसके परिणामस्वरूप बंग्लादेश का निर्माण हुआ। मैथिली के लिए प्रदीप जी भी शिक्षा विभाग से दंडित हूए थे।
श्री चन्देश ने महाकवि मैथिली पुत्र प्रदीप को मैथिली साहित्य का सूर्य कहकर संबोधित किया। तीन दर्जन से उपर पुस्तक छपा हुआ है और आधा दर्जन पाण्डुलिपियां अभी हैं। इनके साथ न्याय नहीं हुआ जो दुखद है। हीरेन्द्र झा ने कहा कि मैथिली दैनिक अखबार के बारे में मैथिली भाषी चींतन नहीं करते हैं।डा उषा चौधरी ने मैथिली भक्ति साहित्य के प्रणेता थे। स्वर्णिम किरण जी ने मैथिली साहित्य के प्रेरणा स्रोत थे। फुल चन्द्र झा प्रवीण सुनिता झा नाजिया हसन डा सुषमा लक्ष्मी सिंह ठाकुर राजेश कुमार सिंह ठाकुर विद्यानंद झा डा श्रीशंकर झा ने धन्यवाद ज्ञापित किया ।