गर्मी और उमस बढ़ते ही बढ़ जाता है ए.ई.एस. का खतरा।

डीपीएम डॉ. ऋचा गार्गी ने सभी बी.पी.एम. को दिए जागरूकता अभियान चलाने के निर्देश।

जीविका दीदी 01 से 15 वर्ष के बच्चों की सूची बना के कर रही जागरूक।

जीविका दीदी पिको प्रोजेक्टर के माध्यम से विडियो दिखा के कर रही जागरूक।

जीविका दीदी चमकी बुखार से बचाव के लिए नैनिहालों को खिला रहीं हैं मीठा हलुवा।

#MNN@24X7 दरभंगा, 28 अप्रैल, बिहार में गर्मी और उमस के बढ़ने के साथ ही दरभंगा, मुजफ्फरपुर और आस-पास के इलाकों में बच्चों में होने वाली एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) बीमारी का ख़तरा बढ़ने लगता है। इस बीमारी को जापानी इन्सेफ़लाइटिस/ दिमागी बुखार/चमकी बुखार आदि नामों से भी जाना जाता है। इस बीमारी का केन्द्र जिला मुज्ज़फरपुर है, वहीं दरभंगा सहित आस-पास के कुल 12 जिले में ए.ई.एस. (चमकी बुखार) का ख़तरा बना रहता है। इस ख़तरे को महसूस करते हुए दरभंगा की जीविका दीदीयों ने एक बार फिर से चमकी बुखार के खिलाफ़ मोर्चा संभाला है।
     
जीविका की डीपीएम डॉ. ऋचा गार्गी की अध्यक्षता में डी.पी.सी.यू. कार्यालय, दरभंगा के बैठक कक्ष में चमकी बुखार विषय पर सभी विषयगत प्रबंधकों एवं बी.पी.एम. का एक दिवसीय उन्मुखीकरण कार्यक्रम आयोजित किया गया।
ए.ई.एस. की जिला स्तरीय उन्मुखीकरण कार्यक्रम में डी.पी.एम. ने सभी बी.पी.एम. को यह निर्देश दिया कि लोगों को इसके लक्षणों और इलाज के प्रति जागरूक करें, इसके लिए व्यापक रूप से जागरूकता अभियान चलाएं, उसके बाद प्रखण्ड स्तर के सभी कर्मियों, जीविका मित्रों एवं सामुदायिक संस्थानों – सी.एल.एफ़, ग्राम-संगठन व समूहों की जीविका दीदियों को भी चमकी बुखार के लक्षणों की पहचान, बचाव के तरीके व पूर्व की तैयारियों की जानकरी देकर प्रशिक्षित किया गया।
     
उन्होंने कहा कि दरभंगा, मुजफ्फरपुर और आस-पास के इलाके में जैसे ही गर्मी और उमस बढ़ती है, वैसे ही इस बीमारी से बच्चे ग्रसित होने लगते हैं। प्रति वर्ष इस बीमारी से 01 से 15 वर्षों तक के बच्चों को विशेष खतरा बना रहता है।
       
उन्होंने कहा कि जिले के पिछड़े क्षेत्रों में इस बीमारी ने लोगों को खासा परेशान किया है। जीविका द्वारा समय-समय पर ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता अभियान भी चलाया जाता है, जिससे राहत की बात है कि अब इस बीमारी के कम मरीज सामने आ रहें हैं।

डॉ. ऋचा गार्गी ने बताया कि तेज बुखार, सिर दर्द, गर्दन में अकड़न, उल्टी होना, सुस्ती, भूख कम लगना इत्यादि इसके लक्षण होते हैं। गर्मी के दौरान इन लक्षणों को काफी गंभीरता से लेने की आवश्यकता है। डी.पी.एम डॉ. ऋचा गार्गी के निर्देशानुसार जिले के सभी ग्राम संगठन अन्तर्गत 01 से 15 वर्ष के बच्चों की सूची तैयार कर जागरूक करने के साथ मीठा खिलाने की सलाह भी दी जा रही है, जिससे गर्मी के दिनों में बच्चों के शरीर में ग्लूकोज की कमी ना हो और वो चमकी बुख़ार के साथ अन्य बीमारियों से भी बचे रहें।
    
उन्होंने कहा कि इस मुहिम को जमीं पर प्रभावी बनाने के उद्देश्य से सांकेतिक तौर पर 01 से 15 वर्ष के नैनिहालों को जीविका दीदी द्वारा मीठा हलुआ खिलाया जा रहा है।
    
उन्होंने कहा कि शरीर में चमकी, हाथ-पैर में थरथराहट, तथा शारीरिक एवं मानसिक संतुलन ठीक नहीं हो तो तुरंत अस्पताल ले जाना चाहिए।
    
स्वास्थ्य एवं पोषण प्रबंधक संतोष कुमार ने कहा कि एइएस व जेई बुख़ार एक वायरल बीमारी है, यह अत्यधिक गर्मी व उमस के मौसम में फैलता है।

उन्होंने कहा कि बच्चों को तेज धूप से बचाना, बच्चों को दिन में दो बार स्नान कराना, ओ.आर.एस या निम्बू का पानी पिलाना, मीठा खिलाना, साथ ही रात में भरपेट खिलाकर ही सुलाना चाहिए।
    
संचार प्रबंधक राजा सागर ने जानकारी दी कि यह एक गंभीर बीमारी है, जो स-समय इलाज से ठीक हो सकता है, लोगों को सही जानकारी देने और झाड़-फूंक व ओझा-गुणी जैसे अंधविश्वासों से बचाने हेतु चमकी बुखार के बचाव से संबंधित विभिन्न संचार सामग्रियां जैसे लीफलेट, हैंडबिल, ऑडियो व विडियो के माध्यम से सभी सामुदायिक स्तर सीएलएफ़, ग्राम संगठन व स्वयं सहायता समूह की बैठकों में सदस्यों को जागरूक किया जा रहा है, साथ ही सभी पिछड़े इलाकों में पिको प्रोजेक्टर के माध्यम से जीविका मित्रों द्वारा संबंधित विडियो दिखा कर और उसपे चर्चा कर लोगों को जागरूक किया जा रहा है।