आनंद मोहन की रिहाई के मामले पर प्रशांत किशोर का बड़ा बयान, बोले – दलितों और पिछड़ों की राजनीति करने वाले लोग नंगे हो गए हैं, नीतीश कुमार ने राजनेता और प्रशासक के तौर पर सरेंडर कर दिया है
#MNN@24X7 महुआ, वैशाली, 03 मई, जन सुराज पदयात्रा के 214वें दिन की शुरुआत वैशाली के महुआ प्रखंड अंतर्गत समसपुरा पंचायत स्थित पदयात्रा शिविर में सर्वधर्म प्रार्थना से हुई। उसके बाद प्रशांत किशोर ने स्थानीय पत्रकारों के साथ संवाद किया। पत्रकार वार्ता के दौरान उन्होंने अपने पदयात्रा का अनुभव साझा किया। इसके बाद प्रशांत किशोर सैकड़ों पदयात्रियों के साथ समसपुरा पंचायत से पदयात्रा के लिए निकले। आज जन सुराज पदयात्रा महुआ नगर परिषद, गौसपुर चक मजाहिद, हसनपुर ओस्ती, मिर्जानगर, ताजपुर बुजुर्ग होते हुए राजापाकर प्रखंड के राजापाकर उत्तरी पंचायत स्थित मीना बाक्सित राय कॉलेज मैदान में रात्रि विश्राम के लिए पहुंची। आज प्रशांत किशोर वैशाली के अलग-अलग गांवों में पदयात्रा के माध्यम से जनता के बीच गए। उनकी स्थानीय समस्याओं को समझ कर उसका संकलन कर उसके समाधान के लिए ब्लू प्रिंट तैयार करने की बात कही। दिनभर की पदयात्रा के दौरान प्रशांत किशोर ने 4 आमसभाओं को संबोधित किया और 7 पंचायत के 12 गांवों से गुजरते हुए 12.7 किमी की पदयात्रा तय की।
दलितों और पिछड़ों की राजनीति करने वाले लोग नंगे हो गए हैं, नीतीश कुमार ने राजनेता और प्रशासक के तौर पर सरेंडर कर दिया है: प्रशांत किशोर।
जन सुराज पदयात्रा के दौरान वैशाली के महुआ प्रखंड में मीडिया संवाद के दौरान आनंद मोहन की रिहाई से जुड़े सवाल का जवाब देते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि नीतीश कुमार ने राजनेता और प्रशासक के तौर पर सम्पूर्ण रूप से सरेंडर कर दिया है। नीतीश कुमार की ये स्थिति हो गई है कि मैं मुख्यमंत्री बना रहूं बाकी बिहार में जिसको जो करना है वो कर सकता है। नीतीश कुमार की ये स्थिति आनंद मोहन की रिहाई से नहीं हुई है, उससे पहले जब महागठबंधन की सरकार बनी थी उस समय से नीतीश कुमार इस तरह के फैसले ले रहे हैं। महागठबंधन के मंत्रीमंडल में 4 ऐसे मंत्री हैं जिनका नाम RJD की तरफ से 2015 में भी प्रस्तावित किया गया था, लेकिन उनकी दागदार छवि को देखते हुए मंत्रीमंडल में उन्हें शामिल नहीं किया गया था। वही 4 लोग आज मंत्रीमंडल में नीतीश कुमार के अगल-बगल में बैठे हुए हैं।
आगे उन्होंने कहा कि आनंद मोहन की रिहाई से एक बात ये स्पष्ट हो रही है कि नीतीश कुमार जाति की राजनीति करते हैं, जिसकी हत्या हुई वह दलित समाज के गरीब परिवार का व्यक्ति था। नीतीश कुमार जो दलितों और पिछड़ों की राजनीति करने का दावा करते हैं, ये उस समाज के सामने बिलकुल नंगे हो गए हैं। जब आपको वोट का लाभ दिखता है तब आप गरीब, पिछड़ा और दलित सब को भूल जाते हैं। ये जो दलितों की राजनीति है वो सिर्फ अपने लाभ तक है, और ये अपने परिवार और वोट तक ही सीमित रह जाती है।
पीके का तेजस्वी पर तीखा हमला, बोले – 10वीं फेल तेजस्वी अभी शायद सिग्नेचर करना सीख रहे हैं, शायद उसके बाद 10 लाख नौकरी पर साइन करेंगे।
प्रशांत किशोर ने मीडिया संवाद के दौरान 10 लाख नौकरी के सवाल पर तेजस्वी पर हमला करते हुए कहा कि तेजस्वी ने कहा था कि हम पहले कैबिनेट में पहले सिग्नेचर से ही 10 लाख नौकरी दे देंगे। ये तेजस्वी की अज्ञानता को दिखाता है कि यदि आप 10 लाख नौकरी दे रहे हैं तो एक कैबिनेट में एक सिग्नेचर करके कैसे 10 लाख नौकरियां दे देंगे? नौकरी देने के लिए एक प्रक्रिया है जिसके तहत नौकरी कर लिए एक नियमावली है, नौकरी में कितने पद होंगे, आवेदन की प्रक्रिया है, आवेदनकर्ता की योग्यता है। तेजस्वी ने पूरे बिहार में घूम-घूम कर लोगों से कहा कि पहले ही केबिनेट में पहला ही सिग्नेचर करेंगे और 10 लाख लोगों को नौकरियां मिल जाएंगी। अब केबिनेट हो नहीं रही है या कलम की स्याही सुख गई है? अगर आप मुख्यमंत्री के लड़के होते हुए भी 10वीं पास नहीं कर पाएं हैं तो आपको कलम चलाना कितना आता होगा? इस बात से ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि अभी शायद सिग्नेचर करना सीख रहे हैं, जैसे ही सीख जाएंगे तो 10 लाख लड़कों को नौकरियां मिल जाएंगी।
बृजभूषण शरण सिंह मामले पर पीके ने दिया आडवाणी का उदाहरण, बोले – मामले की निष्पक्षता से जांच होनी चाहिए, आडवाणी ने हवाला कांड मामले में केवल नाम आने पर दे दिया था इस्तीफा।
प्रशांत किशोर ने बृजभूषण शरण सिंह मामले पर पूछे गए प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा कि खिलाड़ियों की मांग है तो इस मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। निष्पक्ष जांच का एक मानक मापदंड ये होता है कि जिस व्यक्ति पर आरोप लगाया है, व्यक्ति आरोपी है या नहीं इसका फैसला तो जांच के बाद ही पता चलेगा, लेकिन उस व्यक्ति को अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए, ताकि मामले की निष्पक्ष जांच हो सके। बृजभूषण शरण सिंह की पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने हवाला केस में डायरी में नाम आने पर ही अपना इस्तीफा दे दिया था। उनका कहना था कि पहले इस मामले की जांच हो जाए फिर मुक्त होकर वापस आऊंगा। इस मामले में तो भारत के बड़े-बड़े खिलाड़ियों ने आरोप लगाया है तो इस आरोप की जांच निष्पक्ष हो सके और सरकार को इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए।