बिहार राज्य से वर्ष 2025 टीबी उन्मूलन करने का है
#MNN@24X7 मधुबनी/ 30 मई, टीबी को जड़ से खत्म करने के अभियान के तहत राजकीय पदमा हाई स्कूल में टीबी-मुक्त भारत अभियान चलाया गया। छात्र-छात्राओं को इस गम्भीर रोग के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई।मौके पर छात्र छात्राओं के बीच क्विज प्रतियोगीता का आयोजन किया गया जिसमे प्रथम पुरुस्कार मनीषा कुमारी, दूसरा पुरस्कार अभिषेक कुमार, तीसरा पुरस्कार ओम पाल, चतुर्थ सुभाष कुमार को दिया गया।
एसटीएस गिरधर कुमार साहनी ने बताया कि टीबी रोग को पूरी तरह से खत्म करने के लिए सभी लोगों का जागरूक होना जरूरी है। जिला प्रशासन एवं स्वास्थ्य विभाग का पूरा प्रयास है कि एक भी टीबी मरीज जानकारी के अभाव में उपचार से वंचित नहीं रहने पाए, इसके लिए लगातार विभाग की तरफ अभियान चलाया जाता रहा है।
उन्होंने बच्चों से अपील करते हुए कहा कि वे अपने घरों व आसपास में रहने वाले लोगों को टीबी रोग के बारे में बताएं। टीबी से संक्रमित रोगियों के कफ से, छींकने, खांसने, थूकने और उनके द्वारा छोड़ी गई सांस से वायु में बैक्टीरिया फैल जाते हैं, जो कि कई घंटों तक वायु में रह सकते हैं। जब टीबी बैक्टीरिया सांस के माध्यम से फेंफड़ो तक पहुंचता है तो वह कई गुना बढ़ जाता है और नुकसान पहुंचाता है।
सीएचओ विकास बैरवा ने बताया टीबी का बैक्टीरिया खतरनाक होता है छात्र-छात्राओं एवं शिक्षकों को टीबी के विषय मे जानकारी देते हुए बताया कि भारत का लक्ष्य 2030 तक टीबी मुक्त होना है। वहीं बिहार राज्य ने इसके लिए वर्ष 2025 निर्धारित किया है।
विद्यालय में हुआ आयोजन:
विद्यालय के प्रधानाचार्य मोहम्मद आलम की अध्यक्षता में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान विद्यालय के छात्र छात्राओं ने एकजुट होकर टीबी मुक्त भारत बनाने का संदेश दिया। उन्होंने क्षयरोग से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियां देते हुए बताया कि जब तक मरीज पूर्ण रुप से स्वस्थ नहीं हो जाता है तब तक सम्पर्क में रहने वाले सभी सदस्यों को विशेष रूप से बातचीत करते समय शारीरिक दूरी के साथ साथ सदैव मास्क का प्रयोग करना चाहिए।
फेफड़ों में हो सकती है परेशानी:
समय पर सही तरीके से इलाज न लेने पर फेफड़ा संबंधी रोग टीबी का रूप ले लेती है। टीबी से ग्रसित लोगों के परिजनों को यह बीमारी न लगे इसके लिए विशेष सतर्कता की आवश्यकता होती है। स्वास्थ्य विभाग टीम द्वारा समय समय पर चलाए जाने वाले अभियान में पांच साल से छोटे बच्चों को आईएनएच टेबलेट और उपचार कराने वाला व्यक्ति एमडीआर मरीज न हो जाये इसके लिए उन्हें भी उचित परामर्श देते हुए नियमित दवा खाने, पंजीकृत मोबाइल नंबर को सदैव चालू रखने व नियमित दवा का सेवन करने के की सलाह दी जाती है। सरकारी योजना के तहत टीबी मरीजों को 500 रुपए प्रति माह की दर से खान-पान में सुधार के लिए उनके खाते में भेजे जाते हैं। इस कार्यक्रम में शिक्षक तुलकी राम व अन्य छात्र छात्राएं मौजूद रहे।