बिहार में मिड डे मील खाने से 157 बच्चे बीमार: सरकारी स्कूलों में पढ़ाई नहीं, बच्चों को सिर्फ खिलाई जा रही है पिलुवा वाली खिचड़ी, जबकि साल का शिक्षा बजट 40 हजार करोड़ और 40 बच्चे भी सही से नहीं पढ़ रहे।

#MNN@24X7 पटना, पश्चिमी चंपारण जिले के बगहा के नरवल-बरवल पंचायत स्थित सरकारी स्कूल में गुरुवार को मध्याह्न भोजन खाने से 125 बच्चे बीमार पड़ गए। घटना की जानकारी जंगल में आग की तरह से फैल गई और एक बार फिर से बिहार के स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था की पोल खुल चुकी है। बिहार में शिक्षा व्यवस्था की बदतर स्थिति भले ही इस तरह की घटनाओं के होने के बाद उजागर हो रही है, लेकिन इस हकीकत से न तो बिहार की आम जनता और न ही उनके बीच जाकर उनकी समस्याओं को सुन रहे जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर अनजान हैं।

शिक्षा व्यवस्था की इस गर्त वाली स्थिति पर प्रशांत किशोर ने कहा कि आज सरकारी स्कूलों में पढ़ाई नहीं हो रही है बल्कि बच्चों को पिलुवा वाली खिचड़ी खिलाई जा रही है। आज स्कूलों में बच्चों को कोई सुविधा भी नहीं दी जा रही है। आज बिहार में ऐसे लोग भी हैं जो प्राइवेट स्कूलों में अपने बच्चों की पढ़ाई करवा रहे हैं। जो परिवार अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ा रहे हैं उनका भी भला नहीं होने जा रहा है। आज आप अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ा तो रहे हैं मगर इसके बाद आपको उन्हें सरकारी कॉलेजों में ही पढ़ाना होगा। सच्चाई यह नहीं है कि बिहार में पढ़ाई के लिए पैसे खर्च नहीं किए जा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि आज बिहार जैसे गरीब राज्य में हर साल 40 हजार करोड़ रुपये शिक्षा बजट के नाम पर खर्च किए जा रहे हैं। इस 40 हजार करोड़ रुपये में आपके बच्चों को पिलुवा वाली खिचड़ी और साइकिल के सिवा और कुछ नहीं मिल रहा है। प्रशांत किशोर लोगों को समझाते हुए कहते हैं कि अगर आपके बच्चे स्कूलों में पिलुवा वाली खिचड़ी खाएंगे और पढ़ाई नहीं करेंगे, तो मजदूर ही तो बनेंगे न।