कॉलेज स्तर से ही कार्य विभाजन कर, तकनीकों के उपयोग से समयबद्ध काम करने से होती है त्रुटि निवारण एवं कार्य संपादन में आसानी- कुलपति।
शिक्षा के क्षेत्र में बिहार सहित मिथिला विश्वविद्यालय में हो रहे व्यापक परिवर्तन में सभी प्रधानाचार्य संवेदनशीलता से रुचि ले- प्रति कुलपति।
बिहार में लागू हो रहे 4 वर्षीय स्नातक सीबीसीएस कोर्स के हम सब न केवल साक्षी, बल्कि सारथी बन रहे हैं- कुलसचिव।
#MNN@24X7 दरभंगा, यदि हम कोई भी सही योजना बना लेते हैं तो 90% काम वहीं पूरा हो जाता है। कई छोटी- छोटी योजनाएं ही एक बड़ी योजना का रूप लेती है। यदि कॉलेज स्तर से ही कार्य विभाजन कर तकनीकों के उपयोग से समयबद्ध काम किया जाए तो कार्य संपादन में आसानी और त्रुटि निवारण भी होता है। कॉलेज के ग्राउंड लेवल पर ही सही से कार्य होने पर समस्याएं न्यूनतम हो जाएंगी। उक्त बातें ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के कुलपति प्रोफेसर सुरेन्द्र प्रताप सिंह ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर आधारित 4 वर्षीय स्नातक स्तरीय सीबीसीएस पाठ्यक्रम के क्रियान्वयन हेतु जुबली हॉल में आयोजित अंगीभूत एवं संबद्ध कॉलेजों के प्रधानाचार्यों एवं उनके सहयोगियों के उन्मुखीकरण कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कही।
कुलपति ने कहा कि यदि यह कोर्स बिहार में लागू नहीं होता तो यहां के छात्रों को न केवल राष्ट्रीय स्तर पर कठिनाइयों का सामना करना पड़ता, बल्कि अनेक लाभों से भी वंचित हो जाते। इस कोर्स को लागू करने के लिए बिहार के कुलाधिपति ने नियमावली तथा सिलेबस निर्माण हेतु दो कमेटियों का गठन किया था। सौभाग्यबस दोनों कमेटियों में मैंने अध्यक्ष का दायित्व निर्वहन किया। प्रोफेसर सिंह ने बताया कि नामांकन के समय छात्रों का जो नंबर स्वत: जनरेट होगा, वही उसका वर्ग क्रमांक, पंजीयन संख्या तथा परीक्षा क्रमांक भी पूरे 4 वर्षों तक समान रहेगा।
प्रति कुलपति प्रोफेसर डॉली सिन्हा ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में बिहार सहित मिथिला विश्वविद्यालय में हो रहे इस परिवर्तन में सभी प्रधानाचार्य संवेदनशीलता के साथ रूचि लें। पुराने कोर्स से बिहार के छात्र राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता परीक्षाओं में पीछे हो रहे थे। उन्होंने प्रधानाचार्यों से कॉलेजों में सीबीसीएस कोर्स पर आधारित कार्यशाला आयोजित करने का आग्रह करते हुए कहा कि आज जो मौका हमें मिला है, उसमें हम पूर्णतया सहयोग कर छात्रहित में काम करें और उन्हें श्रेष्ठ बनाएं।
कुलसचिव प्रोफेसर मुश्ताक अहमद ने अपने स्वागत संबोधन में कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर आधारित बिहार में लागू हो रहे 4 वर्षीय स्नातक सीबीसीएस कोर्स के हम सब न केवल साक्षी, बल्कि सारथी भी बन रहे हैं। बिहार में जब तक यह कोर्स चलेगा कुलपति प्रोफेसर एस पी सिंह के साथ ही मिथिला विश्वविद्यालय भी नेतृत्वकर्ता के रूप में याद किया जाएगा। उन्होंने बताया कि आज सुबह तक 52000 से अधिक छात्रों ने इस स्नातक स्तरीय कोर्स में नामांकन हेतु आवेदन किया है। इस नामांकन प्रक्रिया में हमें इस बार थोड़ा अधिक सावधानी बरतने की जरूरत होगी। हम सब नियमों से बंधे हैं। हमारी छोटी सी गलती भी छात्रों का नुकसान एवं उनको आक्रोशित कर सकता है। यदि कॉलेज प्रशासन सावधान रहे तो यह नया प्रयोग हमारे विश्वविद्यालय में पूर्णतः सफल होगा।
कुलसचिव ने कहा कि कुलपति प्रोफ़ेसर सिंह चाहते हैं कि छात्र बार-बार विश्वविद्यालय मुख्यालय न आएं, बल्कि उनके सभी कार्य कॉलेज स्तर पर ही संवेदनशीलता एवं तत्परता से संपन्न किए जाएं, जिसमें विश्वविद्यालय पूरी तरह सहयोग कर रहा है। इस अवसर पर डा अवनि रंजन सिंह, प्रो अरुण कुमार सिंह, प्रो सुरेन्द्र कुमार, डा मो ज्या हैदर, डा दिवाकर झा, डा एल पी जयसवाल, डा अवधेश प्रसाद सिंह, डा श्यामचंद गुप्त, डा अनिल कुमार मंडल, डा मोहम्मद रहमतुल्लाह, डा वीरेन्द्र कुमार चौधरी, डा शंभू कुमार यादव, डा राम अवधेश सिंह, डा जयशंकर प्रसाद, प्रो नारायण झा, प्रो जीवानन्द झा, डा मुकेश कुमार सिंह, डा आलोक कुमार पाठक, डा सतेन कुमार, डा प्रभात रंजन, डा आर एन चौरसिया तथा डा महेश प्रसाद सिन्हा आदि उपस्थित थे।
इस अवसर पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर आधारित 4 वर्षीय स्नातक स्तरीय सीबीसीएस पाठ्यक्रम की रूपरेखा एवं ‘प्रवेश निर्देशिका’ का विमोचन किया गया, जिसे उपस्थित सभी प्रधानाचार्यो एवं उनके सहयोगियों को प्रदान किया गया। प्रश्नोत्तर सत्र में डा वीरेन्द्र कुमार चौधरी, डा सुनील कुमार, डा प्रभात रंजन, विनय कुमार दास तथा डा मोहम्मद परवेज आदि द्वारा पूछे गए प्रश्नों का उत्तर कुलपति प्रोफेसर एस पी सिंह तथा डा अवनि रंजन सिंह ने दिया।
अतिथियों का स्वागत पुष्पगुच्छ से किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन से तथा समापन सामूहिक राष्ट्रगान से हुआ। महाविद्यालय निरीक्षक (कला एवं वाणिज्य) प्रो अशोक कुमार मेहता के कुशल संचालन में आयोजित उन्मुखीकरण कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन करते हुए डीएसडब्ल्यू प्रो विजय कुमार यादव ने नामांकन में बरती जाने वाली सावधानियों को विस्तार पूर्वक बताया और कहा कि नामांकन से संबंधित सभी नियमावली विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं। उन्होंने प्रधानाचार्यो से आग्रह किया कि वे नामांकित छात्रों का डाटा पोर्टल पर ससमय करें, क्योंकि इस बार ऑफलाइन डाटा स्वीकार नहीं किए जाएंगे।