आज राष्ट्रीय सेवा योजना की महारानी कल्याणी महाविद्यालय,लहेरियासराय इकाई द्वारा 100 वें अंतराष्ट्रीय महिला दिवस पर राष्ट्र विकास में महिलाओं के योगदान विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्रधानाचार्य महोदय प्रो लक्ष्मण प्रसाद जयसवाल जी ने किया। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए उन्होंने स्त्री – पुरुष के समानता पर विशेष बल दिया। उन्होंने मानवता के उत्थान हेतु भेदभाव मुक्त समाज के निर्माण पर बल दिया तथा सनातन काल से प्रसिद्ध शिव के अर्धनारीश्वर स्वरूप में छुपे स्त्री- पुरुष समानता के संदेश को याद दिलाया।कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ प्रियंका राय ने कहा कि देश को गुलामी से छुड़ाने की बात हो या सामाजिक कुरीतियों को दूर करने की बात हो,सभी जगह महिलाएं खड़ी रही है और समाज की विषम परिस्थितियों में भी सकारात्मक परिवर्तन को साकार किया है। महाविद्यालय की बर्सर प्रो आभा रानी ने अपने जीवन के संघर्ष के द्वारा नारी शक्ति से सभी को रू-ब-रू कराया। प्रो ओ पी झा ने वैदिक कालीन से आधुनिक काल तक नारी शक्ति का स्थान का विवेचन कर समाज में उनके योगदान पर परिचर्चा की।

डॉ सुनीता कुमारी ने भी अपने जीवन मे घटित चुनौतियों की चर्चा करते हुए कहा कि महिलाओं में यदि इच्छा शक्ति प्रबल होगी तो वो कठिन से कठिन परिस्थितियों को अपने अनुकूल करके अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकती हैं। डॉ वी डी त्रिपाठी ने अपने जीवन में महिलाओं के योगदान पर प्रकाश डालते हुए महिलाओं के सम्मान पर विशेष बल दिया। डॉ सच्चिदानंद मिश्र ने प्रकृति के अर्धनारीश्वर स्वरुप की चर्चा के द्वारा समाज में स्त्री-पुरुष के समान मूल्य पर विचार रखा। डॉ रीता कुमारी ने कहा कि यद्यपि संविधान में नारी को समानता का अधिकार प्राप्त है लेकिन वास्तविकता के धरातल पर इसे स्वीकार करने के लिए समाज के मानसिक स्तर में सुधार आवश्यक है।

डॉ श्वेता शशि ने महिला सशक्तिकरण पर अपने विचार रखते हुए कहा कि महिलाओं ने अपनी प्रतिभा और मेहनत के बल पर यह सिद्ध किया है कि वो किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से कम नहीं है।श्रीमती रेनुका झा ने मैथिली गीत द्वारा महिला शक्तिकरण का गौरव गान किया। मंच का सफल संचालन करते हुए डॉ गीतांजली चौधरी ने कहा कि तमाम मसरूफियत के बीच अपने और अपनों के लिए समय निकालना आज की महिलाओं को आता है। विज्ञान चाहे कितनी भी तरक्की कर ले लेकिन सृष्टि के सृजन का अधिकार सिर्फ महिलाओं के ही पास है। इस परिचर्चा में एनएसएस के स्वयंसेवकों ने भी बढ़-चढ़कर भाग लिया तथा महिलाओं की स्थिति और उसकी गुणवत्ता में सुधार के साथ मौजूदा हालात और सम्भावनाओं के बीच नारी-शक्ति का स्मरण कराया। इस कार्यक्रम में महाविद्यालय के सभी शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारियों सहित विजेता,ब्यूटी,अंश,सलोनी,सुप्रिया,स्वाती,मुकुंद, रोहित आदि स्वयंसेवक मौजूद थे।