#MNN@24X7 दरभंगा एम्स को लेकर बिहार सरकार का दोहरा चाल चरित्र आया जनता के सामने, उक्त बातें दरभंगा सांसद डॉ गोपाल जी ठाकुर ने दरभंगा परिसदन में आयोजित प्रेस बैठक के दौरान कहे।
उन्होंने कहा कि बिहार की विकास विरोधी सरकार के मुखिया नीतीश कुमार दरभंगा एम्स को अटकाने,लटकाने और भटकाने की मंशा से बीते 7 वर्षों से अधिक समय से स्थल परिवर्तन का गंदा खेल, खेल रही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार वर्ष 2015-16 के आम बजट में बिहार में दूसरे एम्स के निर्माण को स्वीकृति प्रदान की थी । वहीं 15 सितंबर 2020 को केंद्रीय कैबिनेट ने 1264 करोड़ की लागत से 750 बेड वाले दरभंगा एम्स निर्माण को स्वीकृति दिया था और एम्स के निर्माण में तेजी लाने के उद्देश्य से दरभंगा में एम्स निदेशक की नियुक्ति भी कर दिया गया है। लेकिन बिहार सरकार द्वारा बीते चार वर्षों से अधिक समय से दरभंगा में एम्स निर्माण हेतु जमीन मुहैया नहीं कराया गया है, जिस कारण एम्स जैसा महत्वपूर्ण स्वास्थ्य संस्थान का निर्माण लंबित है।
उन्होंने कि पूर्व में मोदी कैबिनेट के स्वीकृति के पश्चात बिहार सरकार ने डीएमसीएच की 300 एकड़ भूमि में से 200 एकड़ भूमि पर एम्स निर्माण हेतु स्वीकृति दिया था और लगभग 13 करोड़ की लागत से प्रथम फेज में लगभग 72 एकड़ जमीन पर मिट्टी भराई और समतलीकरण का कार्य भी लगभग पूर्ण कर लिया गया था। जिसके पश्चात केंद्र सरकार इस प्रस्तावित भूमि पर एम्स निर्माण कार्य प्रारंभ करने हेतु विभागीय प्रारंभ कर दिया था। लेकिन बिहार सरकार के मुखिया नीतीश कुमार अपने समाधान यात्रा के दौरान, अपनी ही अध्यक्षता में बिहार कैबिनेट से स्वीकृत डीएमसीएच की 200 एकड़ जमीन को 150 एकड़ कर दिए और कुछ दिन पश्चात अपने सिपह सलाहकार के सलाह पर डीएमसीएच को लो लैंड बताकर इसका स्थल परिवर्तन करने का घोषणा कर दिए। बिहार सरकार के इशारे पर महागठबंधन के नेता पहले एम्स को डीएमसीएच से अशोक पेपर मिल शिफ्ट कर दिए और बाद में बागमती नदी किनारे 30-40 फीट गहरा बलिया गांव जमीन को चिन्हित कर इसे एम्स निर्माण हेतु उपयुक्त बता दिया।
सांसद डॉ ठाकुर ने सवालिया लहजे में कहा कि एक तरफ जहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बलिया (शोभन)की जमीन को एम्स निर्माण हेतु उपयुक्त बता रहे थे, वहीं दूसरी ओर अपने 20 सांसदों से लिखित रूप से इस भूमि को लो लैंड और बाढ़ ग्रस्त बताकर इसे खारिज करने हेतु केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को ज्ञापन दिलवा रहे थे। अब यह नीतीश कुमार का कौन से विकास का चेहरा है, यह जनता तय करेगी। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार प्रारंभ से ही मिथिलाविरोधी रहे है, जिस कारण मिथिला का पूरा क्षेत्र अभी भी पिछड़ा हुआ है।
सांसद डॉ ठाकुर ने कहा नीतीश कुमार के सिपह सलाहकार दरभंगा की आम जनमानस को बेवकूफ समझते हैं। उन्होंने कहा कि 28 अप्रैल 2023 को केंद्रीय टीम द्वारा शोभन स्थित नए जमीन का निरीक्षण किया गया था, और अगले ही दिन उनके यही सलाहकार एम्स का श्रेय लेने के चक्कर में झूठा भ्रम फैलाते हुए, उक्त जमीन को केंद्रीय टीम को पसंद हो जाने का प्रोपोगैंडा फैला दिया। जबकि केंद्रीय टीम ने पिछले महीने जारी अपने विस्तृत रिपोर्ट में साफ साफ कहा है कि शोभन स्थित जमीन तकनीकी और सुरक्षा कारणों से एम्स निर्माण हेतु उपयुक्त नहीं है।
सांसद डॉ ठाकुर ने कहा कि शोभन का जमीन एम्स निर्माण हेतु उपयुक्त नहीं है, इस बात को नीतीश कुमार भली भांति जानते थे, अब वह इस बात का खुलासा करें की किसके बहकावे और दवाब में आकर उन्होंने दरभंगा एम्स को नहीं बनने देने का सौगंध खाए है। सांसद डॉ ठाकुर ने पुनः आग्रह करते हुए कहा कि मिथिलावासी के स्वास्थ्य सुविधा को ध्यान में रखते हुए डीएमसीएच की प्रस्तावित जमीन पर एम्स निर्माण का कार्य जल्द प्रारंभ हो, इसको लेकर सहयोगात्मक रवैया अपनाए।
वहीं नगर विधायक संजय सरावगी ने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इशारे पर उनके 20 सांसदों ने शोभन स्थित जमीन को लो लैंड और बाढ़ ग्रस्त बताकर दरभंगा एम्स को सहरसा शिफ्ट करने हेतु केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को ज्ञापन सौंपने का घिनौना कार्य किया था। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार मिथिला के साथ हमेशा विश्वासघात किए है और फूट डालो और राज करो वाली राजनीति करते है।
वहीं भाजपा जिला अध्यक्ष जीवछ सहनी ने कहा कि दरभंगा में एम्स का निर्माण कार्य डीएमसीएच के प्रस्तावित स्थल पर जल्द प्रारंभ नही हुआ तो, भाजपा राज्य सरकार के विरूद्ध जिला से लेकर बूथ स्तर तक जन आंदोलन करेगी।