दिनांक 22 .03.2022 को ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रोफेसर सुरेंद्र प्रताप सिंह की अध्यक्षता में बिहार दिवस 2022 के अवसर पर बिहार राज्य गीत गायन सह विचार -गोष्ठी का आयोजन किया गया। माननीय कुलपति महोदय ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि तत्त्वों के आधार पर राष्ट्र और राज्य की परिकल्पना तो कर ली जाती है लेकिन किसी भी राष्ट्र की गौरव गाथा और उसकी अस्मिता की पहचान सांस्कृतिक राष्ट्रवाद से ही संपुष्ट होती है। आन-बान-शान जैसे भाव बोध सांस्कृतिक गौरव गाथा से जीवंत हो उठते हैं और यही हमारी आंतरिक ऊर्जा के स्रोत भी होते हैं। गौरवमयी अतीत से हम जितना जुड़ेंगे उतना ही हमारे भीतर राज्य और राष्ट्र के प्रति सम्मान व लगाव बढ़ेगा और हम स्वयं की पहचान उतने ही सशक्त रूप से स्थापित कर सकेंगे। बिहार अध्यात्म-ज्ञान और दर्शन की धरती रही है, अपने दार्शनिक ज्ञान-तत्व से इस धरा ने समूचे विश्व मानवता को सिंचित किया है। हमें ऐसी धरा में जन्म लेने का चिरकाल तक गौरव रहेगा। स्वामी विवेकानंद की उक्ति को उद्धृत करते हुए माननीय कुलपति ने कहा कि वही राष्ट्र आगे बढ़ता है जो अपने राष्ट्र के गौरवशाली अतीत को याद करता है। इस वक्तव्य के साथ ही माननीय कुलपति महोदय ने पूरे विश्व विद्यालय परिवार को बिहार दिवस की बधाईयां दी। इस समारोह में माननीय प्रति कुलपति प्रोफेसर डाॅली सिन्हा ने अपने संबोधन में कहा कि बिहार गौतम बुद्ध, महावीर, आर्यभट्ट और कुंवर सिंह की धरती रही है इसलिए बिहार दिवस मनाया जाना अनिवार्य नहीं बल्कि आनंद का विषय है। हमें जो बिहार गीत मिला है वह अद्भुत और अद्वितीय है। प्राचीन युग में मगध की सांस्कृतिक अस्मिता अद्भुत रही है। मौर्य युग की स्थापना और सम्राट अशोक की धम्म नीति पूरे विश्व में आज भी वरेण्य है। वैशाली विश्व के प्रथम गणतंत्र की भूमि रही है। नालंदा और विक्रमशिला विश्वविद्यालय ज्ञान और अध्यात्म का केंद्र रहा है। यह धरा राष्ट्रवाद के क्रमिक विकास में गांधी की कर्मभूमि रही है, चंपारण सत्याग्रह इसका साक्षी है।बिहार के सपूत देशरत्न राजेंद्र प्रसाद स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति के रूप में आसीन हुए। बिहार गुरु गोविंद सिंह की जन्म स्थली रही है।इस धरा ने धर्म समन्वय का बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत किया है। आज बिहार आर्थिक विकास के साथ-साथ समावेशी विकास की ओर अग्रसर है। इसी क्रम में कुलसचिव प्रोफेसर मुश्ताक अहमद ने अपने उद्बोधन में कहा कि बिहार का गौरवशाली अतीत राष्ट्रीय क्षितिज पर काफी समृद्ध रहा है। बिहार की धरती ने ज्ञान,अध्यात्म और दर्शन के तत्त्व भारतवर्ष ही नहीं वरन् सम्पूर्ण विश्व में फैलाया है।बिहार की गौरव गाथा पर आधारित ‘बिहार गीत गायन’ सभी सरकारी और गैर-सरकारी संस्थानों में इस वर्ष से अनिवार्य कर दिया गया है। इस गीत की प्रत्येक पंक्ति से बिहार का गौरवशाली अतीत झलकता है। बिहार की सांस्कृतिक छटा ही अद्भुत है। यहां के निवासियों में इसकी झलक यदा-कदा इस रूप में देखने को मिलती है-” हम बिहारी हैं, सब पर भारी हैं”। इस कार्यक्रम में बिहार गीत का गायन विश्वविद्यालय संगीत और नाट्य विभाग के छात्र आदित्य प्रकाश,अभिषेक कुमार गामी, बंटी कुमार,आनंद कुमार एवं दीपक कुमार के द्वारा प्रस्तुत किया गया। इस समारोह में कार्यक्रम का संचालन करते हुए प्रोफेसर अशोक कुमार मेहता ने मंचासीन अतिथियों का स्वागत करते हुए भावपूर्ण तरीके से -“मेरे भारत के कंठहार, तुझ को शत-शत वंदन बिहार….” गीत गाकर कार्यक्रम में आए अतिथियों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस कार्यक्रम में संगीत एवं नाट्य विभाग की अध्यक्षा प्रोफेसर पुष्पम नारायण, अर्थशास्त्र विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर विजय कुमार यादव, जंतु शास्त्र विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर शिशिर कुमार वर्मा, प्राचीन इतिहास विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर उदय नारायण तिवारी, उप- कुलसचिव प्रथम डॉ० कामेश्वर पासवान, एन०एस०एस समन्वयक डॉ० विनोद बैठा, विधि अधिकारी डॉ० सोनी सिंह,पेंशन अधिकारी डॉ० सुरेश पासवान, डॉ० अमृत कुमार झा, डॉ० सीमांत श्रीवास्तव, डॉ०अभिषेक राय सहित अनेक विश्वविद्यालय शिक्षक कर्मी एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित थे। इस समारोह का मंच संचालन प्रोफेसर अशोक कुमार मेहता एवं धन्यवाद ज्ञापन राष्ट्रीय सेवा योजना समन्वयक डॉ आनंद प्रकाश गुप्ता के द्वारा किया गया।
22 Mar 2022