#MNN@24X7 दरभंगा-23 सितम्बर, आज अखिल भारतीय किसान सभा दरभंगा जिला का 27वां जिला सम्मेलन प्राथमिक विद्यालय दहसील कटका में झंडातोलन व खुला अधिवेशन से शुरू हुआ। सबसे पहले वयोवृद्ध किसान नेता शत्रुघ्न झा के द्वारा झंडा तोलन के साथ सम्मेलन का शुरूआत किया गया। झंडा तोलन के उपरांत कटका पंचायत के मुखिया व युवा किसान नेता कुमार किसलय सिंह की अध्यक्षता में खुला अधिवेशन हुआ।
जिसको संबोधित करते हुए किसान सभा के प्रदेश महासचिव अशोक प्रसाद सिंह ने कहा कि हमारा जिला सम्मेलन ऐसे दौर में हो रहा है। जिस दौड़ में केंद्र सरकार सबसे ज्यादा देश के किसान मजदूर वर्गों पर दमन कर रही है। सरकार सभी सरकारी संस्थाओं को बेचते-बेचते अब किसानो की खेती भी कॉर्पोरेट के हाथों बेचना चाहती है। जो किसान आज पूरे देश का पेट भरता है उसे किसान को दो वक्त की रोटी के भी लाले पड़े हुए हैं। सरकार के गलत नीतियों के कारण किसान का स्थिति दिन प्रतिदिन दयनीय होते जा रहा है। पहले खेती किसानी सबसे उत्तम पेशा माना जाता था। लेकिन आज साइंस टेक्नोलॉजी इतनी बेहतर हो गए हैं जिससे किसानों की ऊपजा भी बढ़ी है। मगर सरकार के गलत नीतियों के कारण सबसे बेकार पेशा खेती किसानी को लोग मान रहे हैं। किसान का बेटा आज किसान नहीं बनना चाह रहा है। हम सभी को सरकार के गलत नीतियों के खिलाफ एक जूट होना होगा। सरकार लगातार किसानों के हित पर सीधा प्रहार करना प्रारंभ कर दिया है। जैसे किसान विरोधी तीन काला कानून (जो अब किसान आंदोलन के दबाब में वापस हुआ) 2020 बिजली बिल विधेयक, भूमि सुधार कानून में परिवर्तन कर किसानों के भूमि कृषि अनुदान में कटौती और कृषि क्षेत्र में मिल रहे हैं अनुदान को समाप्त करने तथा गरीब किसानों को मिलने वाली खध्नान के अनुदान को डिजिटल के माध्यम से आपूर्ति करने के नाम पर किसानों के सामने समस्या को बढ़ा देना आदि है। देश में किसान बड़े पैमाने पर आत्महत्या करने पर मजबूर हैं। बिहार की सरकार भी किसानों के हित की रक्षा करने में विफल साबित हो रही है। देश की कृषि व्यवस्था भयंकर संकट के दौड़ में गुजर रही है। देश की बढ़ती आबादी के चलते उत्पन्न खाद्यान्न संकट से बचने के लिए कृषि पैदावार को बढ़ाना अत्यंत आवश्यक है। किंतु महंगाई, भ्रष्टाचार, कृषि और हजारों तथा खाद बीज एवं कीटनाशक दवाइयां की कीमतों में बेतहाशा मूल्य विद्धि तथा केंद्र सरकार के साम्राज्यवाद प्रश्न नीतियों के चलते किसानों पर चौतरफा हमला किसानो की समस्या को दिन प्रतिदिन बढ़ा रहा है। किसान विदेशी कंपनियों एवं कारपोरेट घराने के चंगुल में फंसता जा रहा है। खेती चौपट हो रही है। केंद्र सरकार द्वारा नवंबर 2015 से लगातार डीजल की कीमत में बढ़ोतरी लगभग ढाई गुना से अधिक कर दी गई है। खेती के अलाभकर होने के कारण किसान खेती छोड़कर शहरों की और पलायन कर रहे हैं। बाढ़ सूखा बिजली संकट का स्थायी निदान नहीं हो सका है। पश्चिमी कोशी नहर सिंचाई योजना वर्षों से अधूरी पड़ी थी। जिसमें वर्तमान राज्य सरकार द्वारा कुछ कार्य शुरू किया गया है। लेकिन अभी तक कार्य संतोषप्रद नहीं है और उत्तर बिहार के अधिकांश क्षेत्र सिंचाई योजना से वंचित है। जल जमाव के कारण आज भी काफी मात्रा में भूमि पड़ती पड़ी हुई है। परंतु जल निकासी की समस्या जो कि त्यों पड़ी हुई है। सिंचाई योजना एवं जिला के सभी राजकीय नलकूप बंद पड़ी हुई है। निजी बोर्डिंग के अनुदान में लूट, डीजल अनुदान में लूट अनियमितता, कृषि फसल क्षति अनुदान में घपला, किसानों को उसके कीमत भी नहीं मिलना, किसानों के धान, गेहूं, मक्का फसलों का सरकारी मूल्य पर नहीं खरीदना और समय पर भुगतान सुनिश्चित नहीं किया जाना सरकारी कार्यालय में लूट आदि से किसान त्रस्त हैं। किसान सभा के जिला अध्यक्ष राजीव कुमार चौधरी ने खुले अधिवेशन को संबोधित करते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार जबरन किसानों पर नया-नया और संवैधानिक बिल ठोका चाहती है। इसके खिलाफ अखिल अखिल भारतीय किसान सभा अन्य किसान संगठनों के साथ मिलकर अपने आंदोलन के दबाव में सरकार को अपना काला कानून वापस लेना पड़ा। हम इस सम्मेलन से किसानों से अपील करते हैं कि केंद्र की घोर संम्दायवादी, प्रक्रियावादी, सरकार द्वारा किसान विरोधी नीति के खिलाफ किसानों को गोल बंद कर संघर्ष विकसित करने की आवश्यकता है। केंद्र एवं राज्य सरकार की नीति के कारण बढ़ती, महंगी, भ्रष्टाचार एवं कृषि अनुदानों में कटौती तथा लूट के खिलाफ संघर्ष विकसित करने की आवश्यकता है। बाढ़, सूखा एवं बिजली संकट के निदान के लिए व्यापक गोलबंदी और संघर्ष की जरूरत है। रैयाम, सकरी, लोहट चीनी मिल तथा अशोक पेपर मिल को चालू करवाने हेतु संघर्ष की जरूरत है। 60 वर्ष से अधिक उम्र के किसानों को ₹5000 मासिक पेंशन दिलाने हेतु किसानों को फसल बीमा का लाभ दिलाने हेतु लिफ्ट इरीगेशन एवं जिला के सभी राजकीय नलकूपों को चालू करवाना तथा 90% अनुदान दर पर बोरिंग पंपसेट तथा बिजली चलित मोटर दिलवाने हेतु जिला के सभी चौरो से जल निकासी सहित अन्य मांगों को लेकर हमें गोल बंद होकर केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ आंदोलन करना होगा।
किसान सभा के पूर्व जिला महासचिव नारायण जी झा ने कहा कि किसानों के लिए आज तक कोई पेंशन नीति नहीं बन सकी है। जबकि देश के किसान करोना काल में लॉकडाउन के समय पशुपालक किसान दूध लेकर, सब्जी उत्पादक किसान सब्जी लेकर, अनाज उत्पादक किसान अनाजों के साथ लोगों के घर-घर जाकर उनके जान-माल की रक्षा किया। नए उद्योगों की बात तो दूर जिले के अंदर स्थापित रैयाम, लोहट, सकरी चीनी मिल एवं अशोक पेपर मिल जो लाखों किसानों के नगद आय का स्रोत था। आज भी बंद है। जिसे सरकार चालू नहीं कर रही है। औद्योगिक विकास ठप है। बिजली संकट आज भी विद्यमान है। जिस पर केंद्र एवं राज्य सरकार चर्चा तक नहीं करती है।
खुला अधिवेशन में धन्यवाद ज्ञापन किसान सभा के पूर्व जिला अध्यक्ष अहमद अली तमन्ने ने किया। खुला अधिवेशन को किसान नेता चंदेश्वर सिंह, आशुतोष मिश्रा, जिला उपाध्यक्ष विश्वनाथ मिश्र, कटका पंचायत के सरपंच उदय नारायण मिश्र, एआईवाईएफ के प्रदेश उपाध्यक्ष राजू मिश्रा, जिला संयोजक आनंद मोहन, एआईएसएफ के राज्य सह सचिव शरद कुमार सिंह, जिला सचिव शशि रंजन प्रताप सिंह, जुलहाई दास, भगवान लाल पासवान, गुड्डू यादव, मणिकांत झा, राम उदगार साह, पैक्स अध्यक्ष पंकज चौधरी, गौतम कांत चौधरी, पंसस राजा पासवान, बिरजन सदाय, मुन्ना पासवान आदि ने संबोधित किया।
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