-दवाओं का सेवन करने से पहले लाभुकों का भोजन करना सुनिश्चित करें सभी आशा।
-फाइलेरिया से बचाव के लिए जरूर खाएं डीईसी व अल्बेंडाजोल की दवा।
#MNN@24X7 मधुबनी, 26 सितंबर, जिले के चिन्हित प्रखंड में फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर एमडीए (मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन) के तहत घर घर जाकर दवाओं का सेवन कराया जा रहा है। फाइलेरिया की दवा खाली पेट न खाएं। खाली पेट दवा खाने के बाद नींद आना, सिर में भारीपन, चक्कर और जी मचलाने की शिकायत हो सकती है। लेकिन ये दिक्कत भी सिर्फ एक ही दिन होती है।
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. विनोद कुमार झा ने बताया एमडीए अभियान के शुरू होने से पहले ही प्रशिक्षण के दौरान कर्मियों को बताया गया है कि खाली पेट फाइलेरिया की दवाओं का सेवन नहीं करना है। जिसको लाभुक और आशा कार्यकर्ता हमेशा ध्यान में रखें।
डॉ झा ने बताया कि फाइलेरिया से सिर्फ डीईसी व अल्बेंडाजोल दवा खाकर बचा जा सकता है। फाइलेरिया या हाथी पांव बीमारी में पैर, हाथ, स्तन व वृषण में सूजन आ जाती हैं। जिससे अंग मोटे होकर निष्क्रिय हो जाते हैं। इस बीमारी से बचाव के लिए सिर्फ एक ही इलाज है कि साल में एक बार डीईसी (डाई इथाइल कार्बेमेजाइन) एवं एल्बेंडाजोल दवा खाई जाए। इस बीमारी के उन्मूलन के लिए साल में एक बार अभियान चलता है। अभियान में दो साल से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और गंभीर बीमार लोगों को छोड़कर सभी को दवा दिया जाता है। जिससे शरीर में मौजूद माइक्रो फाइलेरिया को खत्म किया जा सके। फाइलेरिया के संक्रमण से बचने के लिए डीईसी खुराक खाना बेहतर तरीका माना जाता है।
दवाओं के सेवन से पूर्व भोजन करना सुनिश्चित करें :
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉक्टर विनोद कुमार झा ने बताया कि प्रखंडों के प्रभारी चिकित्सकों को निर्देशित किया गया है की वो अपने प्रखंडों की आशा कार्यकर्ताओं को दवाओं के सेवन को लेकर मुकम्मल जानकारी दें। आशा कार्यकर्ताओं को यह बताया गया है कि खाली पेट में फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन नहीं कराना है। इसलिए उन्होंने सख्त निर्देश दिया जाए की लाभुकों को दवाओं का सेवन करने से पहले यह सुनिश्चित करें की लाभुकों ने भोजन किया है या नहीं। उन्होंने बताया कि भोजन करने बाद दवाओं का सेवन करने पर भी किसी को जी मचलना, सर भारी होना, चक्कर आना जैसी शिकायत हो रही है तो उनमें माइक्रो फाइलेरिया के लक्षण हैं। जिसमें दवाओं के प्रभाव के कारण जब माइक्रो फाइलेरिया परजीवी खत्म होने लगते हैं, तभी ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है। इसलिए लाभुक डरे नहीं।
फाइलेरिया जैसे बीमारी से बचाव हो सकेगा :
दवा के सेवन से होने वाले फायदों के बारे में डॉ.झा ने बताया कि जिन लोगों के रक्त में माइक्रो फाइलेरिया का परजीवी मौजूद है लेकिन वर्तमान में उसका लक्षण दिखाई नहीं पड़ रहा है। वैसे लोग साल में एक बार पांच वर्ष तक दवा की एक खुराक लें, जिससे फाइलेरिया जैसे बीमारी से बचाव हो सकेगा। दो से पांच वर्ष तक के डीईसी की एक गोली व एल्बेंडाजोल की एक गोली जबकि छह से 14 वर्ष तक के बच्चों को डीईसी की दो गोली व एल्बेंडाजोल की एक गोली देने व 15 वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों को डीईसी की तीन गोली एवं एल्बेंडाजोल की एक गोली का सेवन करना है।