बाबा सिद्धेश्वरनाथ के दरबार में आयोजित अभिनंदन समारोह में बही संगीत की भक्तिमय सरिता

#MNN@24X7 दरभंगा, गंगोत्री से रामेश्वरम तक की 3300 किलोमीटर की पैदल यात्रा पूर्ण कर लौटे सद्भावना यात्रा समिति के प्रमुख सह वरिष्ठ साहित्यकार मणिकांत झा का शुक्रवार को अभिनंदन किया गया। विशौल (टटुआर) गांव के प्राचीन सिद्धेश्वरनाथ मंदिर परिसर में आयोजित अभिनंदन समारोह में मिथिला की गौरवशाली परंपरा अनुरूप मिथिला पेंटिंग युक्त पाग, चादर एवं फूलों की माला भेंटकर ग्रामीणों ने स्वागत एवं अभिनन्दन किया।

इस दौरान हर हर महादेव एवं हर हर गंगे के जयघोष से पूरा मंदिर परिसर भक्तिमय होता रहा। विदित हो कि वरिष्ठ साहित्यकार मणिकांत झा के नेतृत्व में कांवरियों के जत्था ने हिमालय स्थित गंगोत्री से बीते चार जून को ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन कांवर में गंगाजल लेकर विश्व में शान्ति एवं सद्भाव की स्थापना के उद्देश्य से कुल 106 दिनों की पैदल यात्रा करते हुए हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी तट पर अवस्थित द्वादश ज्योतिर्लिंग में से एक रामेश्वरम शिवलिंग का गणेश चतुर्थी के दिन जलाभिषेक किया था।

सद्भावना पैदल कांवर यात्रा में मणिकांत झा के अतिरिक्त हरिना, झंझारपुर, (मधुबनी) के चिरंजीव मिश्र, भीषम टोल, कछुआ, (दरभंगा) के श्याम राय, रतवारा, (मुजफ्फरपुर) के आशुतोष कुमार एवं रंजीत कुमार झा सहित हरिनगर, (सीतामढ़ी) के सुदिष्ट ठाकुर एवं राजभर के लालवचन शामिल थे। इनके साथ वाहनके सारथी के रूप में अजय कुमार यादव की सहभागिता काबिले तारीफ रही।

मौके पर मणिकांत झा ने बताया कि उत्तराखंड के गंगोत्री से यात्रा आरंभ कर पदयात्री उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना,आँध्र प्रदेश, होते हुए तमिलनाडु के रामेश्वरम तक पहुंचे। यात्रा के क्रम में कांवर यात्री अनेक अद्भुत अनुभवों को संचित करते हुए मिथिला की कला संस्कृति, सभ्यता और भाषा आदि को उन लोगों के बीच प्रचारित व प्रसारित करने के साथ ही वहाँ की कला-संस्कृति आदि से परिचित हुए।
उन्होंने कहा कि गंगोत्री के गंगाजल से महादेव रामेश्वरम के जलाभिषेक का विशेष महत्व है, इसी बात को ध्यान में रखते हुए समिति के सदस्यों ने विश्व में शान्ति और सद्भावना का संदेश देने के उद्देश्य से गंगोत्री से रामेश्वरम तक की काँवर यात्रा करने का संकल्प लिया।

विद्यापति सेवा संस्थान के महासचिव डा बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने कहा कि संपूर्ण विश्व में शांति एवं सद्भावना की स्थापना के उद्देश्य से की गई यह अभूतपूर्व पैदल कांवर यात्रा मां जानकी की मातृभूमि मिथिला सहित संपूर्ण बिहार वासियों के लिए एक गौरव यात्रा है। मनीगाछी के प्रखंड विकास पदाधिकारी अनुपम कुमार ने 3300 किलोमीटर की इस कांवड़ यात्रा को साहसिक बताते हुए इसे हिन्दू धर्म की श्रीवृद्धि में महत्वपूर्ण बताया।

महात्मा गांधी शिक्षण संस्थान के चेयरमैन हीरा कुमार झा ने कहा कि मिथिला के सभी कोटि के करोड़ों लोगों की शुभकामनाएं यात्रीदल के साथ चलती रही। यही कारण है कि यह यात्रा अपने उद्देश्यों में ऐतिहासिक सफलता हासिल करने में सफल हुई।

अभिनन्दन समारोह के संयोजक टटुआर पंचायत के पूर्व मुखिया प्रो जीवकांत मिश्र ने कहा कि अंगुली पर गिने चुने लोग ही इस तरह की साहसिक यात्रा का संकल्प ले पाते हैं। संकल्प को सिद्धि मे बदलने का कार्य देवाधिदेव महादेव ने बार फिर साबित कर दिखाया है। वरिष्ठ पत्रकार विष्णु कुमार झा ने कहा कि चूँकि मणिकांत झा स्वयं एक सधे हुए साहित्यकार हैं इसलिए उन्होंने आठ करोड़ मिथिलावासी की ओर से उठने वाली कांवर यात्रा के अद्भुत संस्मरण को पुस्तकाकार रूप में उनसे प्रकाशित करने का आग्रह किया।

अध्यक्षीय संबोधन में रवींद्र झा ने इस ऐतिहासिक यात्रा के खुशनुमा माहौल में समाप्त होने पर खुशी जाहिर करते हुए इस यात्रा को सनातन धर्म को मजबूत करने वाला कदम बताया।

केदारनाथ कुमर के गाये गणेश वंदना एवं राकेश झा के स्वस्ति वाचन से शुरू हुए इस अभिनन्दन समारोह में एक से बढ़कर एक भक्तिमय प्रस्तुतियों ने वातावरण को भक्ति रस से सराबोर कर दिया। तबला पर मिथुन पासवान के उंगलियों की थिरकन काबिले तारीफ रही।

चंदन झा एवं प्रवीण कुमार झा के संयुक्त संचालन में आयोजित कार्यक्रम में सरस्वती विद्या मंदिर के निदेशक शंभु झा , विनोद कुमार झा, सुधीर कुमार झा, चंदन झा आदि ने भी अपने विचार रखे। मौके पर विद्यानंद झा, मोहन कुमर, श्याम झा, किशुन झा, दुर्गा नंद झा, मुकुंद मयंक, हर्षवर्धन मिश्र, प्रफुल्ल मिश्र चून्नू, भगवान जी झा, नीरज झा, सोना झा, सुमन कुमार लाला, संजय मिश्रा, सुधाकर मिश्रा, सोनू मिश्रा,कृपानंद झा, आदि की उल्लेखनीय उपस्थिति रही।