#MNN@24X7 दरभंगा कार्यालय से शोक – संवेदना जारी करते हुए , मिथिलावादी विचारक सह युवा कवि रजनीश प्रियदर्शी ने पंडित गोविंद झा के निधन पर शोक – संवेदना प्रकट किया है । उन्होंने कहा कि उनके निधन से मिथिला को अपूरणीय क्षति हुई है।
पंडित गोविंद झा सम्पूर्ण मिथिला के स्मृति में जीवंत रहेंगे । इनकी अमर रचनाएँ मैथिली साहित्य को सदैव सम्पोषित करता रहेगा । ईश्वर अपने श्रीचरणों में पंडित जी को स्थान दें ।
पंडित गोविंद झा के 103 वर्ष के जीवनकाल में 75 वर्षों से अधिक का लेखन काल रहा. आपने 3 उपन्यास, 3 कथा-संग्रह, 7 नाटक, एक कविता संग्रह, 6 आलोचनात्मक निबंध संग्रह, दो जीवनी-विनिबंध, 13 भाषा-ग्रंथ, 4 कोष-ग्रंथ, 8 संपादित-ग्रंथ, 8 अनुवाद सहित बिब्लियोग्रैफी (Bibliography) ऑफ इंडियन लिटरेचर (मैथिली प्रभाग) और इनसाइक्लोपीडिया ऑफ इंडियन लिटरेचर के निर्माण में भी अपना योगदान दिया. इस प्रकार इन्होंने अब तक कुल 56 पुस्तकों की रचना की है.
पंडित गोविंद झा के साहित्य-रंगमंच के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण पुरस्कार सम्मान प्राप्त हुए हैं. इसमें साहित्य अकादमी पुरस्कार (1993), साहित्य अकादमी अनुवाद पुरस्कार (1993), कामिल बुल्के पुरस्कार (1988), ग्रियर्सन पुरस्कार (2001), प्रबोध साहित्य सम्मान (2005), चेतना समिति सम्मान (1989), ज्योतिरीश्वर रंग-शीर्ष सम्मान, विश्वंभर साहित्य सम्मान (2019) आदि प्रमुख हैं।
इस अवसर पर कार्यालय में मिथिलावादी नेता विद्या भूषण राय, गोपाल चौधरी, प्रियंका मिश्रा, नीरज क्रांतिकारी, अनीश चौधरी, नारायण मिश्रा उपस्थित थे।