#MNN@24X7 दरभंगा, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के निदेशानुसार जिला प्रशासन, दरभंगा द्वारा 21 नवम्बर से 10 दिसम्बर तक पैन इंडिया बाल श्रमिक एवं किशोर श्रमिकों के विमुक्ति  एवं पुनर्वास हेतु अभियान चलाया जा रहा है।

उक्त अभियान के तहत जिलाधिकारी, दरभंगा राजीव रौशन द्वारा उप निदेशक जिला बाल संरक्षण इकाई भास्कर प्रियदर्शी को नोडल पदाधिकारी नामित किया गया है।

गौरतलब है कि बाल श्रमिकों को मुक्त कराने तथा उनके पुनर्वास हेतु जिला बाल संरक्षण इकाई द्वारा श्रम विभाग, चाइल्ड लाइन, बाल कल्याण समिति, पुलिस विभाग, स्वास्थ विभाग तथा शिक्षा विभाग से समन्वय स्थापित कर जिले को बाल श्रम से मुक्त कराने का सम्यक प्रयास किया जा रहा है।        
इसी क्रम में 22 नवम्बर को दो बालकों को बाल श्रम से मुक्त कराते हुए बाल कल्याण समिति के समक्ष उपस्थित किया गया था, उन बच्चों के पुनर्वास की प्रक्रिया की जा रही है। *आज पुनः बेनीपुर से बच्चों को बाल श्रम से मुक्त कराते हुए बाल कल्याण समिति के समक्ष उपस्थापित किया गया है।

नोडल पदाधिकारी द्वारा बताया गया कि विमुक्त बाल श्रमिकों को बाल कल्याण समिति, दरभंगा के समक्ष उपस्थापित कर उन्हें बाल गृह में रखा गया है एवं बाल एवं किशोर श्रम (प्रतिषेध एवं विनियमन) अधिनियम,1986 के तहत नियोजक के विरुद्ध संबंधित थाने में प्राथमिकी दर्ज करने की कार्रवाई की जा रही है।

उन्होंने कहा कि धावा दल की टीम द्वारा  बेनीपुर स्थित सभी दुकान एवं प्रतिष्ठान में सघन जाँच किया गया तथा सभी नियोजकों से किसी भी बाल श्रमिक को नियोजित नहीं करने हेतु एक शपथ पत्र भरवाया गया।

उल्लेखनीय है कि बचाव एवं पुनर्वास टीम  का प्रमुख कार्य न केवल बाल श्रम से मुक्त करना है, बल्कि उन बच्चों को शिक्षा से जोड़ना, स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध करवाना तथा विभिन्न योजनाओं से अच्छादित करना सम्मिलित है ।
उन्होंने बताया कि बाल श्रमिकों को नियोजित करने वाले नियोजकों के विरूद्ध कठोर कानूनी कार्रवाई किए जाने का प्रावधान है।

बाल श्रमिक रखना है कानूनन जुर्म :क्या है प्रावधान ?

बाल श्रमिक रखना कानून एक अपराध है, बाल श्रम प्रतिषेध अधिनियम के प्रवधानानुसार बाल श्रमिक रखने वाले नियोक्ता के विरुद्ध न्यूनतम 20 हजार रुपये जुर्माना तथा छः माह का कारावास या दोनों का प्रावधान है।

श्रम विभाग से बाल श्रमिकों को तत्काल राहत के रूप में 3,000 रुपये प्रदान करने का प्रावधान है, इसके अतिरिक्त मुख्यमंत्री राहत कोष से बाल श्रमिकों को 25000 रुपये का अनुदान दिया जाता है, ऐसे बच्चों के पुनर्वास, शिक्षा तथा विभिन्न योजनाओं से अच्छादन की जिम्मेदारी सभी संबंधित विभाग की होती है ।