‘मैथिली अधिकार दिवस’ विश्वविद्यालय मैथिली विभाग में आयोजित
#MNN@24X7 दरभंगा, विश्वविद्यालय मैथिली विभाग में “मैथिली अधिकार दिवस” के उपलक्ष्य में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें विभागीय शिक्षक, शोधार्थी एवं छात्र- छात्राओं ने भाग लिया।विदित हो कि मैथिली भाषा को 22 दिसम्बर 2003 को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया था। दो दशक पूरे होने के उपलक्ष्य में यह कार्यक्रम आयोजित किया गया।
विभागाध्यक्ष प्रो दमन कुमार झा ने अध्यक्षता करते हुए कहा की आज का दिन मैथिली भाषा के लिए ऐतिहासिक है।आज हमें वो अधिकार मिला जो अन्य भारतीय भाषाओं को मिला है।इस बीस वर्षो में हमने कई क्षेत्रों में सफलता पाई है और विकास किए हैं। अब अधिकार पूर्वक लेने का समय आ गया है।उन्होंने कहा कि मैथिली एक संवैधानिक भाषा है जिसे हाथ पसारकर मांगने का समय बीत गया। इसे अधिकार को प्रदान करने में हमारे पुरखों ने अपनी सर्वस्व न्यौछावर किया है। आज इसकी यात्रा 20 वर्षों की हो गई है। इसे सर्वोच्च शिखर पर पहुँचाना हम सबकी की नैतिक जिम्मेदारी है। मैथिली भाषा के क्षेत्र एवं सम्भावनाओं की ओर इशारा करते हुए सभी को कर्त्तव्यपथ पर अडिग रहने के लिए प्रेरित किया।
वरीय शोधप्रज्ञ सत्यनारायण प्रसाद यादव ने ‘संवैधानिक भाषा के रूप में मैथिली’ पर चर्चा करते हुए इसके इतिहासक्रम को बताया एवं वर्त्तमान में मैथिली की साहित्यिक, शैक्षणिक, राजनैतिक, रोजगार, व्यवसाय आदि पर दृष्टि डाली एवं मैथिली के समक्ष चुनौतियों को भी गिनाया। मिथिला की संस्कृति के उत्थान विषय पर नेहा कुमारी ने कहा कि मैथिली साहित्य के माध्यम से इसके ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक पक्ष को उजागर किया तथा सोशल मीडिया के माध्यम से मिथिला की संस्कृति को प्रचार-प्रसार करने हेतु प्रेरित किया। रौशन कुमार ने कहा कि वर्तमान में मैथिली की स्थिति काफी संतोषप्रद है।
उन्होंने आगे कहा कि जनसामान्य की मूलभूत आवश्यकता मेडिकल एवं विधि की पढाई भी मैथिली में होनी चाहिए। ‘वर्तमान एवं भविष्य में रोजगार की संभावनाएं’ पर विचार व्यक्त करते हुए दीपक कुमार ने कहा कि आज का युग डिजिटलाइजेशन का युग है। मैथिली भी शनैः-शनैः इस क्रान्ति से जुड़ रहा है। साथ ही उन्होंने सरकारी एवं गैर-सरकारी सभी क्षेत्रों में रोजगार की संभावनाओं को अच्छे से बताया। राजनाथ पंडित ने पाठशाला में मैथिली एवं शिवम कुमार झा ने मैथिली नाट्य एवं फिल्म की स्थिति-परिस्थिति एवं संभावनाओं को लेकर विस्तृत व्याख्या प्रस्तुत किया।
मैथिली की वर्त्तमान स्थिति पर बन्दना कुमारी एवं शिक्षा में मातृभाषा का महत्व पर भोगेन्द्र प्रसाद सिंह ने अपने विचार प्रस्तुत किया। छात्र-छात्राओं में निक्कू कुमार, रंधीर कुमार, हिमांशु कुमार झा तथा गुंजन कुमारी ने भी अपना वक्तव्य रखा। इस अवसर पर विभागीय वरीय एवं कनीय शोधप्रज्ञ हरेराम, शालिनी, सोनाली,अम्बालिका, शीला,दीपेश, नीतू, राहुल, मनीष एवं कार्यालय सहायक भाग्यनारायण झा, निरेन्द्र कुमार समेत प्रियंका, आशीष, अमीरा, गायत्री, अंकिता, दिव्या, रजनीश, संतोष, खुशबू, काजल, पूनम, विक्की सहित आदि दर्जनों छात्र-छात्राएं उपस्थित थे। मंच संचालन विभागीय शिक्षक डाॅ. सुरेश पासवान ने किया।