चरित्र एवं मानवता का प्रसारित करना ही इसका मूल उद्देश्य होता है।
दरभंगा। उक्त बातें बतौर मुख्य अतिथि-प्रोफ़ेसर प्रभाकर पाठक पूर्व विभागाध्यक्ष स्नातकोत्तर हिंदी विभाग ललित ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय ने दरभंगा सेंट्रल स्कूल, कृष्णा विहार ,वासुदेवपुर में आयोजित सत्र आरंभ के अवसर पर कहा। बच्चे हमारे विद्यालय के गौरव दीप होते हैं। शिक्षक हमारे छात्र छात्राओं को संस्कारित कर जीना सिखाते हैं। शिक्षा हमारी अंतर चेतना का विकास करती है। मातृभाषा मैथिली भाषा को ज्यादा से ज्यादा सीख कर प्रसारित करें तथा अपनी खोई हुई संस्कृति को जानें। ये बातें राज ऋषि आचार्य श्री सुदर्शन जी महाराज ने ऑनलाइन माध्यम से अपने संदेश में कहा। वहीं डॉक्टर संतकुमार चौधरी, चेयरमैन संस्कार ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन ने कहा कि-संस्कार से ही बच्चे जिंदगी में आगे बढ़ते हैं। सत्र आरंभ के अवसर पर प्राचार्य-श्री ए के कश्यप नेआगंतुक अतिथियों-प्रोफेसर प्रभाकर पाठक, डॉक्टर संतकुमार चौधरी, डॉक्टर भक्ति नाथ झा, डॉक्टर जयशंकर झा, जलालुद्दीन अंसारी, इंटरनेशनल पारा साइकिलिस्ट तथा उज्जवल कुमार झा को स्वागत करते हुए कहा कि-शिक्षा ही जीवन का मूल आधार होता है। यह आत्मोन्नयन का सबसे बड़ा साधन है। संस्कार को पल्लवित एवं पुष्पित करना ही इसका मुख्य उद्देश्य होता है। कार्यक्रम के अवसर पर सभी अतिथियों ने मां सरस्वती एवं राज ऋषि श्री सुदर्शन जी महाराज तथा स्कूल की संस्थापिका मां जी कृष्णा सिंह के तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर तथा दीप प्रज्वलित कर इसका शुभारंभ किया । इस अवसर पर प्रबंधकीय न्यासी-डॉ कुमार अरुणोदय ने प्रेषित संदेश में कहा कि-प्रत्येक क्षण जीवन में आनंद का तथा नई संभावनाओं से परिपूर्ण होता है। यह हमें अपने लक्ष्यों की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित करती है। अतिथि गणों में-डॉक्टर भक्तिनाथ झा ने कहा कि-मनुष्य को जीवन में हमेशा प्रयासरत रहना चाहिए। वहीं प्रोफ़ेसर जयशंकर झा ने कहा कि-शिक्षा के माध्यम से ही जीवों का कल्याण हो सकता है। यह मानवता को धारण करने का महत्वपूर्ण सोपान होता है। तथा इंटरनेशनल पारा साइकिलिस्ट जलालुद्दीन अंसारी ने कहा कि-ओलंपिक खेल में स्वर्ण पदक प्राप्त करके प्रदेश एवं राष्ट्र का गौरव बढ़ाना ही हमारे जीवन का मुख्य उद्देश्य है। इस अवसर पर वार्षिक गतिविधियों में भाग लेने वाले प्रतिभागियों को मोमेंटो, पदक एवं प्रमाण पत्र के द्वारा सम्मानित किया गया। प्रतिमा कुमारी ने अपने सस्वर गीत से राज ऋषि आचार्य सुदर्शन जी महाराज का-सुना है तुम तो दया के सागर तथा गुरुवर तो ज्ञान के सागर हैं से सभी को मंत्रमुग्ध की। सभी आगंतुक अतिथियों ने दरभंगा सेंट्रल स्कूल को अपनी सभ्यता एवं संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए मुक्त कंठ से प्रशंसा किया। राष्ट्रगान के द्वारा कार्यक्रम की संपूर्णता की गई। इस अवसर पर सभी शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मियों की भागीदारी रही।