नारी के बिना नर नहीं : प्रतिकुलपति
तालाक अवनति का सूचक : प्रो0 झा
सिर्फ मादा नही है स्त्री : डॉ वर्मा
राष्ट्रीय संगोष्ठी में सांसद,अभिषद सदस्या,एसपी समेत पांच सम्मानित
#MNN@24X7 दरभंगा, अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर संस्कृत विश्वविद्यालय के दरबार हॉल में गुरुवार को राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की गई। विषय था अर्द्धनारीश्वर संकल्पना- नारी शक्ति का सम्मान। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो0 लक्ष्मी निवास पांडेय ने विषय वस्तु को शास्त्रीय व्यवस्था के परिपेक्ष्य में बहुत ही गम्भीर व सारगर्भित व्याख्यान दिया। वर्तमान दौर में आ रही पारिवरिक परेशानियों को रेखांकित करते हुए उन्होंने कई उदाहरणों से स्पष्ट किया कि नर- नारी के साथ से ही आदर्श जीवन सम्भव है। या यूं कहें कि पति पत्नी के आपसी सामंजस्य से ही परिवार फलता-फूलता है और समेकित समृद्धि आती है। दोनों एक दूसरे के पूरक हैं, स्पर्धात्मक नहीं। इसीलिए सच है कि स्वस्थ परिवारों से ही स्वस्थ समाज की परिकल्पना सम्भव है।
उन्होंने आगे कहा कि दोनों पति नहीं हो सकते और दोंनो पत्नी नही हो सकती। शारीरिक व मानसिक गुणों के व्यवस्थित अंतर से ही कुछ मामलों में दोनों अलग अलग होते हैं।वैचारिक समानताएं ज्यादा जरूरी है। पाश्चात्य संस्कृति के बढ़ते फैलाव ने मौजूदा हालात में पति पत्नी की परिभाषा भी बदल कर रख दी है लेकिन हमारी भारतीय संस्कृति अभी भी नारी के सम्मान व प्रतिष्ठा को पहला स्थान देती है।
इसी क्रम में उन्होंने नारी स्वतन्त्रता पर भी फोकस किया। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता का अर्थ अमूमन हमलोग आजादी से घूमने -फिरने एवं बोलने-चलने से लेते हैं जबकि ऐसा नही है।इसका असली मतलब होता है स्व तंत्र यानी अपना स्वावलम्बन।अपना वजूद। इसलिए महिलाओं को इस ओर भी साकांक्ष होना होगा। सुरक्षा, स्वतन्त्रता, स्वावलम्बन जरूरी है। कई सन्दर्भों को लेते हुए कुलपति ने कहा कि महिलाओं को हमेशा निःस्वार्थ नहीं होना चाहिए।उन्हें भी समय व काल के साथ परिस्थिति के अनुसार व्यवहार करना चाहिए। वहीं, चर्चा के क्रम में उन्होंने कहा कि हसबैंड इज ए ट्रस्टेड सर्वेन्ट। इसके शाब्दिक अर्थ में न जाकर, इसकी भवना को महसूस करने की जरूरत है। इसमें समर्पण व प्रेम छिपा है। उन्होंने कहा की पार्वती के कारण ही तो औघर भूतेश जगदीश्वर बन पाए।
वहीं,विषय प्रवर्तन करते हुए प्रतिकुलपति प्रो0 सिद्धार्थ शंकर सिंह ने कहा कि बहुत ही सोचकर अर्द्ध नारीश्वर संकल्पना पर संगोष्ठी आयोजित की गई है। पुरुष कभी भी बिना नारी पूर्ण नजी हो सकता। नारी की महिमा प्राचीन काल से ही होती रही है। नारी सम्मान की हमारी सनातनी व्यवस्था है। इसे अक्षुण्ण रखने की जरूरत है। प्रो0 सुरेश्वर झा ने शिवपुराण समेत कई ग्रन्थों में उल्लेखित अर्द्ध नारीश्वर पर प्रकाश डालते हुए कहा कि विचित्र रूप में प्रकटीकरण ही संकल्पना है।
वहीं, मिथिला विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग की प्रो0 रश्मि शर्मा ने कहा कि पितृ प्रधान सत्ता व समाज मे नारी की स्थिति कई मामलों में दयनीय है। समाज मे बराबरी का हक उसे आज बजी नहीं है। यह भी सच है कि स्त्री का जलन स्त्री के लिए अधिक रहता है। उन्होंने तो यहां तक कहा की खास दिवस तो कमजोरों का मनाया जाता है। महिला दिवस तो रोज मनाना चाहिए, वह भी सभी घरों में। उन्होंने सीताराम, राधेश्याम, गौरीशंकर आदि उदाहरणों से समझाया कि नारी की महत्ता अधिक है।
उक्त जानकारी देते हुए पीआरओ निशिकांत ने बताया कि चूंकि अन्तर्राष्ट्रीय
महिला दिवस आठ मार्च को आयोजित किया जाता है।लेकिन उस दिन शिवरात्रि को लेकर विश्वविद्यालय में अवकाश था । इसलिए यह कार्यक्रम विलम्ब से आयोजित किया गया।
सांसद एसपी,सिंडिकेट सदस्या समेत पांच को विशिष्ट सम्मान
समाज मे महिला विकास व उत्थान में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर आयोजित कार्यक्रम के दौरान राज्य सभा सांसद डॉ धर्मशीला गुप्ता, ग्रामीण एसपी काम्या मिश्र,सिंडिकेट सदस्या शकुंतला गुप्ता, मिथिला विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग की प्राध्यापिका डॉ रश्मि शर्मा, संस्कृत विश्वविद्यालय के साहित्य विभाग की प्रो0 रेणुका सिंहा को विशिष्ट सम्मान दिया गया।
कुलपति एवं प्रतिकुलपति समेत अन्य विद्वानों ने पाग चादर व प्रशस्ति पत्र देकर सभी को सम्मानित किया। सांसद डॉ गुप्ता व एसपी श्रीमती मिश्रा चुनाव कार्यो में वयस्त रहने के कारण कार्यक्रम में शामिल नही हो पायीं।
वहीं बेहतर कार्यो के लिए व्याकरण विभाग की डॉ साधना शर्मा व डॉ एल सविता आर्या, शिक्षा शास्त्र विभाग की डॉ प्रीति रानी व डॉ अनामिका कुमारी, लेखा विभाग की स्मृति कुमारी, प्रीता कुमारी, जैमूल निशा का अभिनन्दन किया गया। इसी क्रम में केएस0 कालेज में गणित की प्राध्यापिका डॉ अमृता सिंह का भी अभिनन्दन किया गया।
इधर,सभी ने कुलपति व प्रतिकुलपति के प्रति आभार जताया।
दर्शन विभाग के डॉ धीरज कुमार पांडेय द्वारा मंच संचालन किया गया जबकि स्वागत भाषण प्रो0 दिलीप कुमार झा ने एवम धन्यवाद ज्ञापन डॉ घनश्याम मिश्र ने किया।
दरबार हॉल की व्यवस्था में डॉ नरोत्तम मिश्रा, डॉ विभव कुमार झा समेत अन्य कर्मी लगे रहे।मौके पर सभी पदाधिकारी व कर्मी मौजूद थे।