#MNN@24X7 दरभंगा,इससे पहले मैथिली साहित्य के शीर्ष पुरूष रहे चंद्रनाथ मिश्रअमर जी की तीसरी पुण्यतिथि पर उपस्थित लोगों ने दिवंगत पुण्यात्मा के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि प्रदान की। संस्थान की ओर से श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए महासचिव डा बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने कहा कि अमर जी बहुविधा में रचनाशील होने के साथ-साथ अनुशासन एवं समय के काफी पाबंद थे। उन्होंने कहा कि मैथिली साहित्य जगत के महा मनीषी एवं विद्यापति सेवा संस्थान के आजीवन अध्यक्ष रहे पं चन्द्रनाथ मिश्र अमर अपनी कृतियों में सदा अमर रहेंगे। विद्यापति सेवा संस्थान के प्रधान कार्यालय में आयोजित शोक सभा उन्होंने कहा कि जनक-जानकी की भाषा मैथिली की समृद्धि के लिए उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता।
मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष पं कमलाकांत झा ने अमरजी के कृतित्व एवं व्यक्तित्व की विस्तार से चर्चा करते हुए उन्हें सरल व्यक्तित्व, विलक्षण कृतित्व एवं सामाजिक प्रवृत्ति का निष्णात विद्वान बताया।
मीडिया संयोजक प्रवीण कुमार झा झा ने अमरजी को विभिन्न विधाओं में पारंगत प्रबुद्ध साहित्यकार होने के साथ-साथ एक कुशल रंगकर्मी बताते कहा कि अपनी कृतियों में वे सदा अमर रहेंगे। दुर्गा नन्द झा ने कहा कि अमरजी एकमात्र ऐसे साहित्यकार हुए, जिनके पास मिथिला, मैथिली व मैथिल के विकास के चिंतन की समग्र सामग्री उपलब्ध थी। आशीष चौधरी ने उनके कृतित्व पर आधारित शोध कार्य को बढ़ावा देने को उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि बताया।
शंभु नाथ मिश्र ने अमर जी को मैथिली साहित्य के विकास की दिव्य दृष्टि से संपन्न कालजयी साहित्यकार बताते हुए मैथिली साहित्य के भंडार को भरने में उनके महत्वपूर्ण योगदान को रेखांकित किया।