बाढ़ प्रभावित प्रक्षेत्र के लिए मखाना सह मत्स्य पालन बेहतर विकल्प: डॉ दिव्यांशु।

#MNN@24X7 दरभंगा, कृषि विज्ञान केंद्र जाले के अध्यक्ष डॉ दिव्यांशु ने समसामयिक सुझाव देते हुए बताया कि वैसे प्रक्षेत्र जिसमें कतिपय कारण से अप्रैल से जुलाई माह तक कम से कम 2 से 3 फीट पानी लगा रहता है अथवा दो से तीन फीट पानी को नियंत्रित किया जा सकता है। वैसे प्रक्षेत्र में मखाना सह मत्स्य पालन किसानों के लिए बेहतर विकल्प है।

उन्होंने बताया कि सामान्यत बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के किसान या तो गेहूं मूंग की खेती करते हैं अथवा धान गेहूं की खेती करते हैं। जबकि किसान बंधु बाढ़ अथवा जल भराव के कारण किसान कभी धान की फसल ले पाते हैं अथवा नहीं ले पाते हैं। वैसे में किसानों के पास बेहतर विकल्प के रूप में मखाना सिंघाड़ा गेहूं का फसल चक्र अपनाना अथवा मूंग सिंघाड़ा गेहूं का फसल चक्र तथा जिन क्षेत्रों में अधिक पानी रहता है वहां मखाना सह मत्स्य पालन सिंघाड़ा का फसल चक्र अपनाना बेहतर विकल्प है। जहां धान गेहूं के फसल चक्र से शुद्ध आय 40 से ₹50000 प्प्रतिवर्ष प्रति एकर पाते हैं, वहीं नवीन फसल चक्र को अपनाकर किसान एक से डेढ़ लाख रुपए प्रति एकड़ की शुद्ध आय सुगमता से प्राप्त कर सकते हैं। जहां इन फसल चक्र में किसानों को उत्पादन लागत भी काम आता है तथा इन फसल चक्र में जलवायु परिवर्तन का उतना प्रतिकूल असर नहीं पड़ता हैं।

उन्होंने बताया कि कृषि विज्ञान केंद्र इस दिशा में किसानों को प्रशिक्षण देने के साथ-साथ तकनीकी सहायता एवं गुणवत्ता युक्त मखाना के पौधे भी उपलब्ध करा रहा है। मखाना अनुसंधान केंद्र एवं कृषि विज्ञान केंद्र के इन तकनीकों को अपना कर जिले के कई किसान अच्छी आई की प्राप्ति कर रहे हैं। कृषि विज्ञान केंद्र में मखाना के स्वर्ण वैदेही प्रभेद के उन्नत पौधे उपलब्ध हैं। इच्छुक किसान कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क कर पौधे प्राप्त कर सकते हैं। इस वर्ष कृषि विज्ञान केंद्र के द्वारा जिला उद्यान विभाग को भी बीज उपलब्ध कराया गया है।

कृषि विज्ञान केंद्र विद्यालय के उद्यान वैज्ञानिक डॉक्टर प्रदीप विश्वकर्मा ने बताया की दरभंगा जिले की पहचान कालातीत से माछ मखाना एवं पान के लिए रहा है जबकि विगत कुछ वर्षों से जिले के विभिन्न संस्थाओं भारत सरकार एवं राज्य सरकार के प्रयास से दरभंगा के मखाना को एक नई पहचान मिली है जिला उद्यान विभाग मखाना अनुसंधान केंद्र एवं कृषि विज्ञान केंद्र के द्वारा इसके विस्तार के लिए विभिन्न कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं जिसका सुखद परिणाम दिखने भी लगा है दरभंगा के कई नई क्षेत्र में नए-नए किसान उद्यमी इसके उत्पादन प्रसंस्करण एवं विपणन से जुड़ रहे हैं देश और विदेश में दरभंगा के मखाना की मांग तेजी से बढ़ रही है आवश्यकता है की कृषक बंधु उद्यमी जागरूक हो इस अवसर का लाभ उठाएं।