दरभंगा। यहाँ नित्य होम, योग ,आसन, प्राणायाम,सूर्यनमस्कार, ध्यान आदि कार्यक्रम प्रातः 6-7बजे होते हैं।प्रिन्सिपल(डा) दिनेश्वर प्रसाद के निर्देशन में यह कार्यक्रम 15-9-21 से चल रहा है।
योग शिक्षक डा शैलेन्द्र लाल दास नित्य की तरह आज भी होम कराये।
ऊँ से प्रारम्भ इस योग में पद्मासन,वीरासन,भुजंगासन,पर्वतासन,वृक्षासन ,अनुलोम- विलोम,प्राणायाम आदि कराया गया।
पद्मासन-से हम चंचल मन को एकाग्र करते हैं।इससे रीढकी हड्डी सीधा होती है।पेट,छाती,हाथ, पैर सभी दुरुस्त होते हैं।यों कहें तो सर्वांग शरीर का योग हो जाता है।हमें नित्य पद्मासन कम से कम आधा घंटा जरुर करना चाहिये।
वीरासन- इस योग से पाचनतंत्र को हम दुरुस्त करते हैं।शरीर के हर जोड़ को बल मिलता है।मजबूत होता है।बिकार दूर होता है।
भुजंगासन-इसमें दोनों कंधा मजबूत होता है।गर्दन,पेट,पैर के जोड़,दोनों हाथ आदि इससे मजबूत होता है।
पर्वतासन-कमर,गर्दन,दोनो बांह,दोनो पैर,श्वसन तंत्र,आदि पर इस योग का बहुत प्रभाव होता है।ये योग उसे मजबूत बनाता है।
वृक्षासन-श्वांस- प्रश्वांस,दोनो हाथ,दोनो पैड़,छाती,पेट कंधा,आदि इस आसन से ब्यवस्थित होता है।
अनुलोम- बिलोम- छाती ,पेट,श्वांस यंत्र,पेट बिकार,आदि हम इससे ठीक करते हैं।श्वांस पचाने (रोक सकने)का काम ये करता है।
नाक सम्बन्धी,छाती सम्बन्धी बिकार ठीक होता है।यानी रोग आने नही देता ।यदि आ गया तो उसे भगाने का काम ये करता है।
प्राणायाम-जिस क्रिया से हमारे ॠषि लोग श्वांस रोक लेते थे बहुत समय तक यही क्रिया से सम्भव होता था,वही है प्राणायाम।
आज विश्व योग दिवस पर प्रिन्सिपल दिनेश्वर प्रसाद ने प्रशिक्षु को शुभकामना दिया तथा नित्य योग करने की सलाह दी।
डा शैलेन्द्र ने सबों को समय पर आ योग कर समाज मेंअन्य सबों को योग कराने की सलाह दी।