•आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं में से एक है नियमित टीकाकरण
•12 तरह के बीमारियों से बचाव के लिए दिया जाता है टीका
•आरआई दिवस पर नियमित टीकाकरण पर विशेष जोर

#MNN@24X7 मधुबनी, नियमित टीकाकरण कार्यक्रम को सुदृढ़ करने तथा इसके लक्ष्य को शत प्रतिशत हासिल करने के लिए विभाग प्रतिबद्ध है। इसी कड़ी में नियमित टीकाकरण को लेकर स्थानीय होटल में कार्यशाला का आयोजन किया गया.

जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ शैलेंद्र कुमार विश्वकर्मा के द्वारा सभी प्रखंड के कर्मियों को सभी टीका रोधी बीमारी के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया गया कि कौन कौन सी ऐसी बीमारी है जिससे टीकाकरण से दूर किया जा सकता है इन बीमारियों का लक्षण क्या है इसे क्या नुकसान हो सकता है इसे कैसे बचा जा सकता है.उन्होंने उपस्थित सभी कर्मियों को लक्ष्य अनुरूप ड्यू लिस्ट बनाकर शत प्रतिशत टीकाकरण करने का निर्देश दिया.

कार्यशाला के दौरान उन्होंने बताया कार्यक्रम अंतर्गत 12 प्रकार की जानलेवा बीमारियों से बचाव के लिए टीकाकरण किया जाता है। नियमित टीकाकरण के आच्छादन में गिरावट होने से जानलेवा बीमारियों के संक्रमण के बढ़ने की संभावना बनी रहती है। छूटे हुए बच्चों में वैक्सीन प्रीवेंटबल डिजिज के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। आरआई दिवस (बुधवार एवं शुक्रवार) को नियमित टीकाकरण का कार्य अनिवार्य रूप से कराया जाए।

नियमित टीकाकरण में तेजी लाने के लिए रणनीति विकसित करें:
डब्लूएचओ के एसएमओ डॉ माईल कामरान, ने बताया कि नियमित टीकाकरण में तेजी लाने के लिए रणनीति विकसित करें ताकि संबंधित शमन गतिविधियों के कारण उभरने वाले टीकाकरण अंतराल को दूर किया जा सके। नियमित टीकाकरण के लिए विशिष्ट दिनों की पहचान की जानी चाहिए और गतिविधियों की योजना इस तरह से बनाई जानी चाहिए कि समय, कार्यबल की भागीदारी आदि के संबंध में आरआई टीकाकरण गतिविधियों के साथ कोई ओवरलैप न हो।

शिशुओं का संपूर्ण टीकाकरण है जरूरी:
एसीएमओ डॉ आरके सिंह ने बताया कि इस समय नवजात शिशुओं के भी स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। जिसमें उनका सम्पूर्ण टीकाकरण करा कर उन्हें भविष्य में होने वाली कई बीमारियों से सुरक्षा प्रदान की जा सके। बच्चे के जन्म पर बीसीजी, ओरल पोलियो वैक्सीन और हेपेटाइटिस बी का टीका देना है। छह हफ्ते पर पेंटावेलेंट, 10 हफ्ते पर पेंटावेलेंट ओपीवी टू , रोटावायरस टू,14 हफ्ते पर पेंटावेलेंट, ओपीवी थ्री, रोटावायरस थ्री, आईपीवी टू, पीसीवी टू दिया जाना है। वहीं 9 से 12 महीनों पर खसरा और रूबेला वन टीका देना है। 16 से 24 महीनों पर खसरा, डीपीटी बूस्टर वन, ओपीवी बूस्टर और 5 से 6 साल पर डीपीटी बूस्टर टू का टीका देना है। इसके बाद 10 साल पर और 16 साल पर टेटनस एंड एडल्ट डिप्थीरिया, पीसीवी तथा जे. ई.का टीका दिया जाता है।

मौके पर एसीएमओ डॉ. आर. के. सिंह, प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉक्टर एस के विश्वकर्मा, जिला कार्यक्रम प्रबंधक पंकज मिश्रा, जिला सामुदायिक उत्प्रेरक नवीन दास, यूएनडीपी, डब्लूएचओ के एसएमओ डॉ माईल कामरान, अनिल कुमार सहित अन्य कर्मी उपस्थित थे.