स्वस्थ रहने के लिए योग जरूरी : प्रतिकुलपति
दिनचर्या में शामिल होना चाहिए योग : पूर्व कुलपति
#MNN@24X7 दरभंगा, कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय में अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर शुक्रवार को मुख्यालय के दरबार हॉल में योगाभ्यास के साथ संगोष्ठी भी आयोजित की गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रभारी कुलपति सह प्रतिकुलपति प्रो0 सिद्धार्थ शंकर सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी जी ने संयुक्त राष्ट्र संघ के सम्मेलन में विश्व कल्याण हेतु सभी का ध्यान आकर्षित करने के लिए योग के महत्त्व पर ओजस्वी भाषण दिया था। तत्पश्चात् 21 जून को अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने का प्रस्ताव लाया गया जिसे सर्वसम्मति से मान लिया गया। यह सम्मान न केवल योग का सम्मान था अपितु भारतीय परंपरा का भी सम्मान था। उन्होंने कहा कि योग शरीर की हर कोशिका को स्वस्थ और बेहतर बनाने की दिशा में काम करता है। इसके नियमित अभ्यास से शरीर में अपने आप ही रोग प्रतिरोधक क्षमता बलवती हो जाती है। योग के अन्तर्गत मुख्य रूप से यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान को चरणबद्ध तरीके से व्यवहार में लाया जाता है।
वहीं मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो0 देवनारायण झा ने योग को लेकर शास्त्रीय वर्णन पर फोकस डाला। उन्होंने कहा कि योग हमारी दिनचर्या का एक आवश्यक भाग होना चाहिए। योग से विभिन्न दुखों का शमन होता है। इस बात की पुष्टि श्रीमद्भगवद्गीता में वर्णित ‘योगो भवति दुःखहा’ श्लोक से भी होती है। साथ ही उन्होंने कहा कि ‘योगः कर्मसु कौशलम्’, ‘योगः समाधिः’, ‘समत्वं योग उच्यते’ इत्यादि समाज में प्रसिद्ध उक्तियां योग की महत्ता को ही बताती हैं।
विशिष्ट अतिथि स्नातकोत्तर प्रभारी प्रो. सुरेश्वर झा ने कहा कि युज् समाधौ’, ‘युज् संयमने’ और ‘युजिर् योगे’ इन तीन धातुओं से योग शब्द की उत्पत्ति होती है। उन्होंने बताया कि आसन का योगसूत्र में केवल नाम मात्र उल्लेख प्राप्त होता है । आगे बताया कि योग को केवल ‘योग दिवस’ के रूप में नहीं अपितु ‘संकल्प दिवस’ के रूप में मनाना चाहिए।
वहीं,धर्मशास्त्र विभागाध्यक्ष प्रो. दिलीप कुमार झा ने विषय प्रवर्तन करते हुए योग के विषय में बताया कि इस समय योग का अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर महत्त्व क्यों बढ़ा है। उन्होंने कहा कि योग से न केवल शारीरिक अपितु मानसिक स्वास्थ्य में भी लाभ मिलता है।
उक्त जानकारी देते हुए पीआरओ निशिकांत ने बताया कि कार्यक्रम का आरम्भ दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। संचालक गोपाल कृष्ण मिश्र ने लौकिक मंगलाचरण प्रस्तुत किया। छात्रा नेहा कुमारी और श्रुति सिंह ने विश्वविद्यालय का कुलगीत गाया।
कुलसचिव डा दीनानाथ साह ने स्वागत भाषण एवं अध्यक्ष छात्र कल्याण डॉ शिवलोचन झा ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया और कहा कि योग एवं भारतीय ज्ञान परम्परा पर ऐसे कार्यक्रम विश्वविद्यालय में निरन्तर आयोजित होते रहनना चाहिए। योग प्रशिक्षक शशि भूषण गुप्ता एवं डॉ उपासना सिंह ने योगाभ्यास कराया। एनएसएस पदाधिकारी डॉ सुधीर कुमार झा की देख-रेख में आयोजित इस कार्यक्रम के संयोजक शिक्षाशास्त्र विभाग के पवन सहनी तथा सहसंयोजक राष्ट्रीय सेवा योजना के रामेश्वर लता संस्कृत महाविद्यालय, दरभंगा के समन्वयक डॉ मुकेश प्रसाद निराला बनाये गए थे। इस संगोष्ठी में वेद विभागाध्यक्ष डॉ विनय कुमार मिश्र, ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ कुणाल कुमार झा , व्याकरण विभागाध्यक्ष प्रो.दयानाथ झा, दर्शन विभागाध्यक्ष डा शम्भू शरण तिवारी, सी.सी.डी.सी. डा दिनेश झा, विकास सह बजट पदाधिकारी डा पवन कुमार झा , विधि पदाधिकारी डा कृष्णा नन्द मिश्र , परीक्षा नियंत्रक डा शैलेन्द्र मोहन झा , सह परीक्षा नियंत्रक डा तेज नारायण झा , उप कुलसचिव डा सुनील कुमार झा , डा रविन्द्र कुमार मिश्र , विजय शंकर झा , अभिमन्यु कुमार , सुशील कुमार झा ,आनन्द भास्कर और सुधीर कुमार सिंह सहित सभी कर्मी
उपस्थित रहे।