– सदर अस्पताल के फाइलेरिया क्लिनिक में हर शनिवार को होता है ऑपरेशन
– सुबह 8 बजे से दोपहर 2 बजे तक रोज संचालित होता है फाइलेरिया क्लिनिक
– मधुबनी के सभी पीएचसी में फाइलेरिया क्लिनिक खोला जाना है: डी. एस. सिंह
#MNN@24X7 मधुबनी, जिले में एक साल में 78 हाइड्रोसील मरीजों का सफल ऑपरेशन किया गया है। सदर अस्पताल स्थित फाइलेरिया क्लिनिक में मरीजों को बेहतर सुविधाएं मुहैया कराई जाती है। क्लिनिक में हाथीपांव के मरीज सलाह, उपचार एवं सफाई को लेकर प्रतिनियुक्त प्रशिक्षित स्टाफ़ नर्स (जीएनएम) से जानकारी लेते हैं। क्लिनिक का संचालन प्रतिदिन सुबह 8 बजे से दोपहर 2 बजे तक होता है और हर शनिवार को इसमें हाइड्रोशील का ऑपरेशन किया जाता है। सदर अस्पताल में फाइलेरिया क्लिनिक की शुरूआत सदर 2 फरवरी 2023 को हुई थी। वर्तमान में जिले में फाइलेरिया के चिन्हित मरीजों की संख्या 1526 है। जिसमें लिंफोडेमा के 1154, हाइड्रोसील के 372, हाइड्रोसील के ऑपरेशन 78 मरीज, वहीं 251 फाइलेरिया के मरीज के बीच एमएमडीपी किट का वितरण किया गया है.
जिले में 10 अगस्त से सर्वजन दवा कार्यक्रम का तहत खिलाई जाएगी दवा:
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉक्टर डी. एस. सिंह ने बताया कि जिले में फाइलेरिया उन्मूलन के लिए चयनित प्रखंडों में सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम (एमडीए) की शुरुआत 10 अगस्त से की जाएगी। इस अभियान में आशा घर-घर जाकर 2 साल से अधिक उम्र के लोगों को अपने सामने फाइलेरिया की दवा खिलाएँगी। फाइलेरिया एक गंभीर रोग है जिसे फाइलेरिया की दवा सेवन से ही बचा जा सकता है। कभी-कभी फाइलेरिया के परजीवी शरीर में होने के बाद भी इसके लक्षण सामने आने में वर्षों लग जाते हैं। इसलिए फाइलेरिया की दवा का सेवन सभी लोगों के लिए जरूरी है।
सभी पीएचसी में खोला गया है फाइलेरिया क्लिनिक:
डॉ. सिंह ने बताया कि फाइलेरिया मरीजों की देखभाल के लिए सभी पीएचसी में रुग्णता प्रबंधन एवं विकलांगता रोकथाम (एमएमडीपी) फाइलेरिया क्लिनिक शुरू किया गया है । इसके माध्यम से फाइलेरिया से बचाव, उपचार तथा लक्षणों के बारे में जानकारी दी जाती है । इसके साथ ही एमडीए कार्यक्रम के तहत दवा सेवन कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए भी प्रेरित किया जाता है । फाइलेरिया परजीवी से संक्रमित मादा क्यूलैक्स मच्छर के काटने से फैलता है। जब यह मच्छर किसी फाइलेरिया से ग्रस्त व्यक्ति को काटता है तो वह संक्रमित हो जाता है। फिर यह मच्छर किसी स्वस्थ्य व्यक्ति को काटता है तो फाइलेरिया के विषाणु रक्त के माध्यम से उसके शरीर में प्रवेश कर जाते हैं और उसे भी फाइलेरिया हो जाता है। ज्यादातर संक्रमण अज्ञात या मौन रहते हैं और लंबे समय बाद इनका पता चल पाता है। इस बीमारी का कारगर इलाज नहीं है। इसकी रोकथाम ही इसका समाधान है।
फाइलेरिया मरीज अपने रोग प्रबंधन के प्रति हों जागरूक:
एसीएमओ डॉ आर. के. सिंह ने बताया कि फाइलेरिया के मरीजों को अपने रोग प्रबंधन के प्रति जागरूक होना जरूरी है। उन्होंने बताया कि हाथीपांव से ग्रसित मरीज की देखभाल के लिए जिले में मॉरबिडिटी मैनेजमेंट एंड डिस्टेबिलिटी प्रीवेंशन यानी एमएमडीपी किट का वितरण किया जा रहा है। एमएमडीपी किट के वितरण के साथ इसके इस्तेमाल की जानकारी दी जा रही है।