#MNN@24X7 दरभंगा, भा. कृ. अनु. प. – केंद्रीय शुष्क भूमि कृषि अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद से आये हुये अनुसंधान अनुयाई डा० लोकेश, सुश्री संध्या और सुश्री प्रीति के द्वारा राष्ट्रीय जलवायु उत्थान कृषि में नव परिवर्तन परियोजना के प्रभाव का सर्वे चंदौना, जोगियारा और मुरैठा गांव मे किया गया एवम् किसानों से खेती से संबंधित समस्या और उसके कारणों को समझा।
जलवायु अनुकूलित खेती को बढ़ावा देना एवम् बदलते मौसम का असर के प्रति सहिष्णु प्रजाति एवम् तकनीकों को अपनाने के लिए किसानों को जागरूक करना है। इस परियोजना के अंतर्गत लाभार्थी किसानों की खेती एवम् उनके रहन सहन का निरक्षण किया गया एवम् उनकी उतथान के लिए एवम् दोगुणी आय के लिए नवीन तकनीकियों को अपनाने की सलाह दी गयी।
परियोजना के सह प्रभारी वैज्ञानिक डा प्रदीप विश्वकर्मा ने बताया कि निकरा परियोजना के 100 लाभार्थी एवम् नॉन- निक्रा ग्राम घोघराहा के 50 लाभार्थी ने सर्वेक्षण मे भाग लिया।
ज्ञात हो कि कृषि विज्ञान केंद्र जाले द्वारा बाढ़ प्रभावित गांव जोगियारा, चंदौना एवं मुरैठा में 2022 से राष्ट्रीय जलवायु उत्थान कृषि में नव परिवर्तन परियोजना संचालित की जा रही है
परियोजना के उद्देश्यों की जानकारी देते हुए कृषि विज्ञान केंद्र के अध्यक्ष डॉ दिव्यांशु शेखर ने बताया कि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए ऐसे क्षेत्र जो बाढ़ प्रभावित है वहां के किसानों के लिए उन्नत तकनीक का प्रत्यक्षण एवं मूल्यांकन किया जा रहा है जिससे कि अन्य क्षेत्रों के किसानों को इन तकनीकों की अनुशंसा की जा सके जलवायु परिवर्तन के कारण न केवल हमारे फसल की उत्पादकता प्रभावित हो रही है बल्कि उद्यानकी फसलों पशुधन एवं मत्स्य पालन पर भी इसका प्रभाव पड़ रहा है इस परियोजना अंतर्गत कृषि के इन तीनों आयामों पर हो रहे प्रभाव एवं उत्पन्न स्थिति में उन्नत तकनीक का अध्ययन किया जा रहा है जिससे कि किसने की हानि को कम करते हुए अधिक से अधिक आय प्राप्त की जा सके
परियोजना के अनुसंधान अनुयाई लोकेंद्र कुमार ने बताया हैदराबाद से आए हुए अनुसंधानकों ने परियोजना की प्रगति पर प्रसन्नता एवं किसानों के सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया।