#MNN@24X7 दरभंगा, मैथिली सृजन,दरभंगा, द्वारा 22.12.2024 केँ,चारिम “माला झा मैथिली सृजन सम्मान”, 2024ई, “मिथिला शब्द दर्शन” नामक पोथी लेल, मैथिलीक वरिष्ठ साहित्यकार आ भाषा- दार्शनिक, भाषा-विचारक डॉ. रामचैतन्य धीरज केँ, बाबूजीक लाइब्रेरी,दरभंगा मे आयोजित एक विशिष्ट कार्यक्रम मे प्रदान कयल गेल।
कार्यक्रमक आरंभ, बाबूजीक लाइब्रेरीक राजेश सिंह ठाकुरक ‘स्वागत-भाषण’ आ तदुपरांत, ‘सम्मान कार्यक्रम’ सँ भेल,जाहि मे डा.धीरज जी केँ पाग, चद्दरि,मोमेंटो, घोषित नगद-राशि आ प्रशस्ति-पत्र प्रदान कयल गेल।
‘सम्मान-सत्र’ मे, माला झा स्वयं सेहो उपस्थित छलीह।’सम्मान-प्रदान’क पछाइत, रमेश जीक द्वारा पुरस्कृत पोथीक परिचयक संग, धीरज जीक रचना- संसारक विषय मे सारगर्भित जनतब सेहो देल गेल।
सम्मान आ पोथी परिचयक बाद मैथिली कविता मे वर्तमान समय मे अपन मजगूत नाम बनेनिहार कवि गोपाल झा ‘अभिषेक’क नव कविता-संग्रह, “सुनू महाराज”क लोकार्पण मंच पर उपस्थित विद्वज्जनक हाथे भेल।
एकरा बाद डा.रामचैतन्य धीरज जीक साहित्य पर समीक्षा-कार्यक्रम आरंभ भेल।
सभ सँ पहिने, मैथिलीक मेधावी छात्र नंद कुमार राय द्वारा “मिथिला शब्द दर्शन” पर विस्तृत समीक्षा प्रस्तुत कयल गेल। अपन समीक्षा-आलेख मे नंद कुमार राय अपन बात केँ विश्लेषण करैत राखलनि।
एकर बाद मैथिलीक साहित्यकार श्रीमती उषा चौधरी “मिथिला शब्द दर्शन” पर अपन आलेखक पाठ कयलनि, जाहि मे ओ धीरज जीक भाषा-आधारित काजक महत्ता पर ध्यान आकृष्ट करौलनि।
एकरा बाद “मैथिली भाषाक वैचारिक अस्मिता”, नामक डा.धीरज’क पोथी पर अपन पाठकीय प्रतिक्रिया वैद्य गणपति नाथ झा द्वारा प्रस्तुत कयल गेल।
समीक्षाक क्रम मे वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. योगानंद झा पोथी ” भाषा,विचार आ मैथिलीक प्राचीन साहित्य” पर विश्लेषणात्मक समीक्षा कयलनि।
एहि क्रम के आओर आगू बढ़बैत, रामचैतन्य धीरज जीक गीत-गजलक पोथी “द्विपर्णा” पर युवा कवि प्रियरंजन झा द्वारा समीक्षात्मक आलेखक पाठ कयल गेल।
एहि पोथीक बाद धीरज जी क कविताक दोसर पोथी “मुक्ति गीत”, जे हिनक दीर्घ- कविता अछि, तकर समीक्षा बाल साहित्यक निस्सन स्वर अमित मिश्र कयलनि।
एकरा बाद समीक्षाक क्रम के बदलैत, डा.धीरजक लेखनक संदर्भ मे, “लेखकक समक्ष वार्त्ता”, मैथिलीक दू गोट युवा कवि सर्वश्री सुमित मिश्र गुंजन आ प्रियरंजन झा द्वारा कएल गेल। उक्त वार्त्ता मे दुनू गोटे, आपस मे प्रश्नोत्तरीक माध्यमे, धीरज जीक साहित्य एवं भाषा पर काजक महत्व केँ बेकछाबैक प्रयास कयलनि।
एकर बाद डॉ.केष्कर ठाकुर, धीरज जीक रचना-संसार पर,अपन बात रखलनि।ताहि क्रम केँ आबू बढ़बैत,डॉ.रामचैतन्य धीरज जी,अपन आत्मकथ्य प्रस्तुत कयलनि। संगहि,अपन एक गोट कविताक पाठ सेहो कयलनि।
एहि सभक पछाइत, गीतकार फूलचंद्र झा ‘प्रवीण’, कवि डॉ.सत्येन्द्र कुमार झा, वरेण्य साहित्यकार भीमनाथ झा, आदरणीय फूलचंद्र मिश्र ‘रमण’क संग-संग आन साहित्यकार लोकनि द्वारा सेहो, अपन-अपन समीक्षात्मक टिप्पणी प्रस्तुत कयल गेल।
अंत मे, कार्यक्रमक अध्यक्ष आ मैथिलीक वरिष्ठ साहित्यकार राजनाथ मिश्र द्वारा अपन अध्यक्षीय सम्बोधन देल गेल, जाहि मे भाषाक संदर्भ मे एखन धरिक विकास-यात्रा पर सेहो, आ डा.धीरजक महत्वपूर्ण योगदान पर सेहो गप्प कयलनि।
कार्यक्रमक समाप्ति, राजेश सिंह ठाकुर, बाबूजीक लाइब्रेरी द्वारा, ‘धन्यवाद-ज्ञापन’ सँ भेल।
कार्यक्रमक संचालन रमेश जी कयलनि। संचालनक क्रम मे, डा.धीरजक भाषाविज्ञानी योगदानक आधार पर,ठाम-ठाम भाषावैचारिक बात सभ केँ सोझराबैत, मैथिलीक नव-समूह/नव-परिवार वर्गीकरण के सोझराबैत, अपन ध्वनिशैली के सुस्पष्ट करैत, ‘मैथिलीक जननी’ ‘मानुषी भाषा’ आ ‘बैखरी -वाणी/ध्वनि’ के सुस्पष्ट करैत, कार्यक्रम केँ ‘विषय-केंद्रित’ बनौने रहलाह,से सहजहिं भाषा विज्ञान मे नव-संदेश प्रसारित करैत अछि।
कार्यक्रमक संयोजन रमेश जी, सह-संयोजक सुमित मिश्र गुंजन आ नंद कुमार राय द्वारा एवं कार्यक्रमक आयोजन “बाबूजीक लाइब्रेरी”क संस्थापक-संरक्षक राजेश सिंह ठाकुर/ लक्ष्मी सिंह ठाकुर द्वारा कयल गेल।