#MNN@24X7 दरभंगा, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में शैक्षणिक विकास की असीमित संभावनाएं मौजूद हैं। खुशी की बात है कि यहां के शिक्षक, कर्मचारी एवं विद्यार्थी स्वयं की प्रतिभा का पूरी ईमानदारी के साथ प्रदर्शन करते हुए इस शिक्षा मंदिर के विकास के लिए कार्य संस्कृति में अपेक्षित सुधार लाने के लिए कृत संकल्प हैं। यह बात ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो संजय कुमार चौधरी ने शुक्रवार की देर शाम विद्यापति सेवा संस्थान के तत्वावधान में उनके कार्यकाल का पहला सफल साल पूर्ण होने के उपलक्ष्य में आयोजित अभिनंदन समारोह में कही।
उन्होंने कहा कि अब तक के कार्यकाल में उन्होंने महसूस किया कि विभिन्न कारणों से शिक्षकों, कर्मचारियों एवं विद्यार्थियों में निरंतर उत्साह में क्षरण होता रहा है और इसके त्वरित निदान को अपनी कार्य सूची में प्राथमिकता के आधार पर शामिल करते हुए विश्वविद्यालय में विभिन्न न्यायादेश और नियम-परिनियम के दायरे में छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों के हित साधन के निरंतर प्रयास में लगे हैं।
उन्होंने कहा कि आने वाला समय मिथिला विश्वविद्यालय का होगा और इसके सर्वांगीण विकास के दरवाजे चारों दिशाओं में खुलेंगे। इसके विकास के लिए धन की कोई कमी नहीं रहेगी। क्योंकि अपने प्रदर्शन के बल पर इस विश्वविद्यालय ने पीएम ऊषा के तहत मिलने वाली सहायता राशि के लिए मजबूत स्थान बनाने में सक्षम हुआ है और जल्दी ही प्रस्तावित विभिन्न योजनाओं के लिए विश्वविद्यालय को बिहार सरकार से पर्याप्त सहायता राशि मिलने वाली है। उन्होंने डा बैद्यनाथ चौधरी बैजू की प्रशंसा करते कहा कि इनके जैसे निःस्वार्थी लोग विश्वविद्यालय की मूल पूंजी हैं।
स्थानीय एमएलएसएम कॉलेज के सभागार में आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्रधानाचार्य डा शंभू कुमार यादव ने की। एमएलएसएम कॉलेज की छात्रा द्वय अर्चना एवं रत्न प्रिया द्वारा प्रस्तुत कवि कोकिल विद्यापति रचित गोसाउनि गीत ‘जय जय भैरवि…’ से प्रारंभ हुए कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो संजय कुमार चौधरी, रूसा के उपाध्यक्ष डा कामेश्वर झा, पूर्व विधान पार्षद प्रो दिलीप कुमार चौधरी, विश्वविद्यालय के वित्त परामर्शी डा इंद्र कुमार, एफओ जानकी रमण मिश्र, मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष पं कमलाकांत झा, विद्यापति सेवा संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष डा बुचरू पासवान, मारवाड़ी कालेज के प्रधानाचार्य डा विनोद बैठा, एमआरएम कालेज के प्रधानाचार्य डा श्याम चंद्र गुप्ता, एमएलएसएम कॉलेज के पूर्व प्रधानाचार्य डा विद्यानाथ झा, परीक्षा नियंत्रक डा ओझा एवं विद्यापति सेवा संस्थान के महासचिव डा बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने साथ मिल दीप प्रज्वलित कर किया। इससे पहले मिथिला विभूति भारत रत्न जननायक पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर की 101वीं जयंती के अवसर पर उनके तैल चित्र पर श्रद्धा सुमन अर्पित कर उनके कृतित्व एवं व्यक्तित्व पर विस्तार से प्रकाश डाला गया।
संस्थान के मीडिया संयोजक प्रवीण कुमार झा के संचालन में आयोजित कार्यक्रम में संगीत की सुरमयी लहरियों के बीच कुलपति के अभिनंदन में बधाई एवं शुभकामनाओं के स्वर खूब फूटे। मौके पर ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति के उपलब्धि पहला साल पूरा होने के अवसर पर संस्थान परिवार की ओर से उनका भावपूर्ण अभिनंदन किया गया। डा अमलेंदु शेखर पाठक एवं डा रामचंद्र सिंह द्वारा रचित अभिनंदन पत्र का सस्वर वाचन इन दोनों ने स्वयं किया।
इससे पहले स्वागत संबोधन में संस्थान के महासचिव डा बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने कहा कि ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के यशस्वी कुलपति प्रो संजय कुमार चौधरी के पहले साल के उपलब्धिपूर्ण कार्यकाल के लिए अभिनंदन से विश्वविद्यालय के विकास को मिठास मिलेगी।
उन्होंने कहा कि उनके कार्यकाल में विश्वविद्यालय का उत्तरोत्तर विकास हो रहा है, जिससे मिथिला के आम व खास सभी लोग आह्लादित हैं। उन्होंने कुलपति के कार्यकाल के पहले साल की उपलब्धियों की विस्तार से चर्चा करते हुए बताया कि उन्होंने अपना पदभार संभालते ही मिथिला के विभूतियों क्रमशः कवि कोकिल विद्यापति, मंडन मिश्र, अयाची मिश्र, लक्ष्मीनाथ गोसाई, राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर, जननायक कर्पूरी ठाकुर अमर शहीद ललित नारायण मिश्र, बाबा नागार्जुन आदि के नाम पर विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों में चेयर स्थापना एवं इसके समुचित क्रियान्वयन के लिए विश्वविद्यालय के बजट में प्रावधान किए जाने में जो तत्परता दिखाई है यह ना सिर्फ काबिले तारीफ है, बल्कि इससे आम मिथिलावासी में उमंग एवं उत्साह का संचार हुआ है।
उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त उनके नेतृत्व में विश्वविद्यालय में कामकाज का उत्साही माहौल कायम करने में दिख रही सक्रियता भी काफी अहम है। आज उनके कुशल नेतृत्व में विश्वविद्यालय की कार्य संस्कृति में आई तत्परता का परिणाम है कि छह महीने की छोटी सी अवधि में विश्वविद्यालय में चारों तरफ उमंग, उत्साह व विश्वास का वातावरण काफी द्रूतगति से कायम हुआ है। जहाँ शिक्षकों एवं कर्मचारियों की प्रोन्नति की दिशा में कुलपति ने आत्मीय तत्परता दिखाई है। वहीं वेतन एवं पेंशन सहित अतिथि शिक्षकों के मानदेय भुगतान को उन्होंने अपनी कार्य सूची में सबसे ऊपर रख इसका त्वरित भुगतान किया है।इसके साथ ही विश्वविद्यालय के हेल्थ सेंटर की जरूरत को ध्यान में रखते हुए इसके पुनरूद्धार के लिए संकल्पित होना, ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए विश्वविद्यालय परिसर के समुचित रख-रखाव में तत्परता दिखाना, दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के सुदृढ़ीकरण सहित खेल निदेशालय व अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम की स्थापना में अभूतपूर्व दिलचस्पी दिखाना, खेल प्राधिकरण के गठन आदि में उनकी दूर दृष्टि विश्वविद्यालय के स्वर्णिम भविष्य के निर्माण काफी महत्वपूर्ण होगा।
रूसा के उपाध्यक्ष डा कामेश्वर झा ने कुलपति को कुशल प्रशासक एवं प्रभावशाली अनुशासक बताते हुए कहा कि कुलपति ने अपने तीन वर्षीय कार्यकाल के पहले साल में यह अपनी दूरदर्शी सोच को साबित कर दिखाया है। साथ ही सबको साथ लेकर चलने की उनकी मंशा ने उन्हें उनका कायल बना दिया है। उन्होंने कुलपति को यशस्वी कार्यकाल की मंगलमय शुभकामनाएं दी।
प्रो प्रभाकर पाठक ने कुलपति के कार्यशैली की चर्चा करते हुए कहा कि ‘सर्वजन हिताय’ की उनकी मनोभावना न सिर्फ काबिले-तारीफ है बल्कि इसमें विश्वविद्यालय का सर्वांगीण विकास भी सर्वथा निहित है। अध्यक्षीय संबोधन मे डा शंभु कुमार यादव ने कहा कि अभिनंदन समारोह में लोगों की स्वत: स्फूर्त जीवंत उपस्थिति कुलपति के नेतृत्व में हर उम्मीद व आशा के जीवंत होने का प्रमाण है। मौके पर महाविद्यालय की पत्रिका प्रतिबिम्ब का लोकार्पण भी किया गया।
कार्यक्रम में कृष्ण कुमार कन्हैया की डरोड़ी के संत स्नेहलता रचित गीतों की संगीतमय प्रस्तुतियां समा बांधने में कामयाब रही। तबला पर महाविद्यालय के शिक्षक सुधीर कुमार मिश्र और हारमोनियम पर संगीत विभागाध्यक्ष प्रो चंद्रनाथ मिश्र की उंगलियों ने जमकर अपना जादू बिखेरा।
धन्यवाद ज्ञापन वरिष्ठ साहित्यकार डा महेंद्र नारायण राम ने किया। समारोह में प्रो रमेश झा, अरुण सिंह, अरविंद सिंह, गोपाल चौधरी, विनोद कुमार झा, प्रो चंद्रशेखर झा बूढ़ा भाई, हर्षवर्धन सिंह, डा महेश ठाकुर, मिथिलेश मिश्र, रंगनाथ ठाकुर, उत्सव पराशर, गणपति झा, आशीष चौधरी, पुरुषोत्तम वत्स, मणिभूषण राजू आदि समेत बड़ी संख्या में गणमान्य लोग उपस्थित हुए।