बजट पर वैकल्पिक प्रस्तावों के समर्थन में 14-20 फरवरी तक चलेगा व्यापक अभियान।

#MNN@24X7 पटना, भाकपा-माले के राज्य सचिव कुणाल, सीपीएम के राज्य सचिव ललन चौधरी, सीपीआई के राज्य सचिव रामनरेश पांडेय, फारवर्ड ब्लॉक और आरएसपी के नेताओं ने संयुक्त बयान जारी कर 2025-26 के केंद्रीय बजट को जनविरोधी करार दिया। उन्होंने राष्ट्रव्यापी आह्वान पर 14-20 फरवरी तक बजट के खिलाफ और वैकल्पिक प्रस्तावों के समर्थन में व्यापक अभियान चलाने की घोषणा की।

वाम दलों का कहना है कि यह बजट जनता की मूलभूत आवश्यकताओं, रोजगार और सामाजिक कल्याण को पूरी तरह नजरअंदाज करता है। सरकार की नीतियां अमीरों और बड़े कॉरपोरेट्स को अधिक लाभ पहुंचाने वाली हैं, जबकि आम जनता पर महंगाई, बेरोजगारी और घटती आय का बोझ बढ़ता जा रहा है।

जनता की क्रय शक्ति बढ़ाने, व्यापक रोजगार सृजन और मजदूरी दर में लगातार हो रही गिरावट को रोकने की बजाय सरकार ने अमीरों को और अधिक छूटें देने का काम किया है।

यदि सरकार बड़े कॉरपोरेट्स और अमीरों पर टैक्स बढ़ाकर सार्वजनिक क्षेत्र में निवेश बढ़ाती, तो रोजगार और न्यूनतम मजदूरी की गारंटी संभव होती। लेकिन बजट इसके विपरीत दिशा में है।

यह बजट निजी निवेश को बढ़ावा देने और सार्वजनिक क्षेत्र को कमजोर करने का एजेंडा आगे बढ़ाता है। पावर सेक्टर सहित अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में निजीकरण को बढ़ावा देकर धन के केंद्रीकरण को तेज किया गया है। बजट में बेरोजगारी के गंभीर संकट की पूरी तरह अनदेखी की गई है। और यदि मुद्रास्फीति को ध्यान में रखा जाए तो फूड सब्सिडी, कृषि, कृषि आधारित उद्योग, शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्रामीण और शहरी विकास तथा सामाजिक कल्याण योजनाओं का बजट या तो स्थिर रखा गया या घटा दिया गया है।

मनरेगा की राशि में कोई वृद्धि नहीं की गई, जबकि ग्रामीण रोजगार की मांग लगातार बढ़ रही है।

12 लाख तक की आय पर इनकम टैक्स में छूट केवल उच्च मध्य वर्ग के एक छोटे हिस्से को फायदा पहुंचाएगी। कामकाजी वर्ग, जो महंगाई और जीएसटी जैसे अप्रत्यक्ष करों की मार झेल रहा है, को कोई राहत नहीं मिलने वाली है।

*वाम दलों के वैकल्पिक प्रस्ताव*

वाम दलों ने इस जनविरोधी बजट को खारिज करते हुए निम्नलिखित वैकल्पिक प्रस्तावों को लागू करने की मांग की है, जिससे आर्थिक असमानता कम हो, रोजगार सृजन बढ़े और जनता को राहत मिले:

1. देश के लगभग 200 अरबपतियों पर 4% वेल्थ टैक्स लगाया जाए।

2. एमएसपी पर फसलों की खरीद की गारंटी हो, और एग्रीकल्चरल मार्केटिंग पर प्रस्तावित नेशनल पॉलिसी फ्रेमवर्क को वापस लिया जाए।

3. बीमा क्षेत्र में 100% एफडीआई निवेश के प्रस्ताव को रद्द किया जाए।

4. मनरेगा के बजट में 50% की वृद्धि की जाए, शहरी रोजगार योजना लागू की जाए, और पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल हो।

5. स्वास्थ्य पर जीडीपी का 3% और शिक्षा पर 6% खर्च किया जाए।

6. जनवितरण प्रणाली (PDS) को मजबूत किया जाए ताकि गरीब और मध्यम वर्ग को सस्ती खाद्य सुरक्षा मिल सके।

7. SC-ST, महिला और बाल विकास योजनाओं के बजट में वृद्धि की जाए।

8. स्कीम वर्कर्स (आंगनबाड़ी, आशा, मिड-डे मील) के लिए केंद्र सरकार की मद में वृद्धि की जाए।

9. केंद्र प्रायोजित योजनाओं में राज्यों को उनका वैध हिस्सा समय पर मिले ताकि विकास परियोजनाओं में बाधा न आए।

*14-20 फरवरी तक राष्ट्रव्यापी अभियान*

वाम दल जनविरोधी बजट प्रस्तावों को खारिज करने और उपरोक्त वैकल्पिक प्रस्तावों को लागू करने की मांग को लेकर 14 से 20 फरवरी तक पूरे देश में व्यापक अभियान चलाएंगे।

बिहार में यह अभियान गांव-गांव, चट्टी-बाजारों और शहरों तक ले जाया जाएगा, ताकि जनता को बजट के असली चरित्र और वाम दलों के वैकल्पिक प्रस्तावों के बारे में जागरूक किया जा सके।

वाम दल इस जनविरोधी बजट के खिलाफ संघर्ष जारी रखेंगे और जनता की वास्तविक जरूरतों को पूरा करने वाले बजट के लिए लड़ते रहेंगे।