#MNN24X7 दरभंगा, मिथिला लेखक मंच द्वारा आयोजित संगोष्ठी राधेश्याम पोद्दार रचित नाटक “सेनुरक मोल” और “सुरदास” की समीक्षा हुईं। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता वैद्यनाथ विमल एवं मुख्य अतिथि कलकत्ता के नाटककार शम्भू नाथ मिश्र और संचालन श्रीचन्द्रेश ने की।

मुख्य अतिथि शम्भू नाथ मिश्र ने कहा कि अभिनयात्मक विधा एक विशिष्ट विधा है। कलकत्ता में मैथिली नाटक हिंदी नाटक एवं बंग्ला नाटक मैंने काम किया है। नाटककार समाज को अपने तरह से दिशा दी है जिसमें सुरदास और सेनुरक मोल में समाज बदलते मूल्य की चर्चा और समाधान भी दिया है।

स्वागत भाषण करते हुए प्रो श्रीउदय शंकर मिश्र ने कहा कि मिथिला में नाटक पर बहुत काम हुआ है परंच बांग्ला, मराठी आदि नाटकों के स्तर पर ले जाना है मैथिली नाट्य को।

लेखक राधेश्याम पोद्दार ने कहा कि समाज तीलक दहेज प्रथा की कुरीतियां को दिखाया और समाधान के तरफ़ बढ़ा हूं।।

डा सत्येन्द्र कुमार झा ने कहा नाटक में कमियां हैं पर समाज को मेसेज देने में सफल है। डा विजय शंकर झा ने कहा कि नाटक विधा में पोद्दार जी की रचना अविस्मरणीय है।

प्रो डा उषा चौधरी ने नाटक के क्षेत्र पोद्दार जी का प्रयास लेखन एवं अभिनयात्मक विधा में योगदान दिया है।

अध्यक्षीय भाषण में बैद्यनाथ विमल ने नाटक के क्षेत्र में पुतई में इनका अभिनय और लेखन में अद्भुत अन्वेषण किया है।

इस अवसर पर सुनिता झा डा विद्यानाथ झा प्रो चन्द्रमोहन पड़वा प्रो चन्द्रशेखर झा बुढ़ा भाई राम प्रसाद पोद्दार डा सुमन कुमार पोद्दार विपिन झा शिवम् कुमार झा सुमित कुमार झा भवन मिश्र प्रिंस राज सुभाष कुमार झा पंकज ठाकुर रौशन कुमार राही चन्द्र मोहन पोद्दार दूर्गा नंद ठाकुर
प्रोफेसर उदय शंकर मिश्र।