दरभंगा के गाँवों में मेला जैसा दृश्य।
महिला संवाद बना गाँव में मेले जैसा उत्सव, जागरूकता और आत्मबल का माहौल
#MNN24X7 दरभंगा जिले के विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों में आयोजित महिला संवाद ने सामाजिक जागरूकता और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में एक नया उदाहरण प्रस्तुत किया*। ग्राम संगठन की पहल पर आयोजित इस कार्यक्रम में महिलाओं की भागीदारी और संवाद की शैली ने इसे किसी उत्सव जैसा जीवंत और प्रेरणादायक बना दिया।
महिला संवाद में विविध माध्यमों से ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं, महिला अधिकारों और सामाजिक मुद्दों के बारे में जानकारी मिलती है। बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं बड़ी संख्या में वाहन के पास एकत्रित होकर इसे ध्यान से देखते हैं। यह दृश्य गाँव में लगे किसी मेले की तरह उत्सवमय हो जाता है।
कुछ महिलाएं अपने छोटे बच्चों को गोद में लेकर तो कुछ सहेलियों के साथ उत्साहपूर्वक कार्यक्रम में शामिल हुईं। सभी के चेहरे पर उत्सुकता और उम्मीद की झलक साफ है।
महिला सशक्तिकरण व बालिकाओं के उत्थान से संबंधित विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी वाली लघु फिल्म देखने के बाद कुछ दीदियों ने अपने जीवन के संघर्ष और आत्मनिर्भर बनने की कहानियाँ साझा करती हैं।
बिरौल प्रखण्ड की रेखा देवी ने बताया कि उन्हें सतत जीविकोपार्जन योजना के अंतर्गत 45,000 रुपये की सहायता राशि प्राप्त हुई, जिससे उन्होंने चाय और नाश्ते की दुकान शुरू की। अब वे अपने बच्चों की पढ़ाई, दवा और घर खर्च स्वयं चला रही हैं।
कार्यक्रम में गौरा बौराम की कई महिलाओं ने अपने अनुभव साझा किए कि कैसे उन्हें विधवा पेंशन, छात्रवृत्ति, राशन कार्ड और जनधन खाता जैसी योजनाओं का लाभ मिला। किरतपुर प्रखण्ड की महिलाओं ने कहा कि जीविका से जुड़ने के पहले वे इन योजनाओं के बारे में जानती ही नहीं थीं, लेकिन अब वे जानकारी लेकर दूसरों को भी जागरूक कर रही हैं।
जब चर्चा सामाजिक मुद्दों पर पहुँची, तो माहौल और भी गंभीर और सजीव हो गया। बाल विवाह, घरेलू हिंसा, शराबबंदी, दहेज प्रथा जैसे विषयों पर खुलकर बातचीत हुई। शुरुआत में कुछ महिलाएं झिझक रही थीं, लेकिन जब बहेरी प्रखण्ड की शांति देवी ने कहा, “हमारे घर में भी शराब के कारण बहुत तकलीफ हुई, अब हमने ठान लिया है कि गाँव में शराब नहीं आने देंगे,” तो महिलाओं ने तालियाँ बजाकर उनका समर्थन की।
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समूह में उन्होंने महसूस किया कि वे अकेली नहीं हैं – हर एक की कहानी में एक समान संघर्ष है, और साथ मिलकर ही वे बदलाव ला सकती हैं।
कार्यक्रम के अंत में सभी महिलाओं ने एक साथ खड़े होकर संकल्प लिया कि वे स्वयं को सशक्त बनाएँगी, अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाएँगी और अन्य महिलाओं को भी जागरूक करेंगी।
उन्होंने यह भी संकल्प लिया कि वे अपने गाँव को बाल विवाह, घरेलू हिंसा और शराब जैसी सामाजिक बुराइयों से मुक्त कर नया आदर्श व कीर्तिमान स्थापित करेंगी।