दरभंगा मैथिली साहित्य परिषद के प्रांगण में डॉ श्री शंकर झा जी की अध्यक्षता में एक परिचर्चा का आयोजन हुआ । चर्चा का विषय था भारत और नेपाल में “मिथिला आंदोलन क स्थिति ओ अगिला डेग”। इस सभा का संचालन श्री चंद्रेश ने किया।
इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में प्रोफेसर उदय शंकर मिश्र ने कहा कि भारत और नेपाल में मिथिला आंदोलन को जन समर्थन प्राप्त नहीं है ज्ञात हो कि 30 अप्रैल 2010 को जानकी नवमी के दिन जनकपुर में नेपाल के संविधान के अंतर्गत मिथिला राज्य की मांग को लेकर सैकड़ों लोगों का धरना चल रहा था जिसे वहां के माओवादियों ने बम मार कर उड़ा दिया जिसमें 5 लोग शहीद हुए साथ ही दर्जनों लोग घायल हुए उसके बाद उस हत्यारे को सरकार ने आज तक दंडित नहीं किया और ना ही आम जनता आज तक सड़क पर आ सके आज हालत यह है मधेश की राजधानी जनकपुर बन गई है। मिथिला राज्य नाम उसका नहीं पड़ा वहां की जनता के लिए यह बात कोई मायने नहीं रखती।
भारत में डा लक्ष्मण झा मिथिला की बाबू जानकी नंदन सिंह के मिथिला राज्य आंदोलन को जन समर्थन प्राप्त नहीं हुआ इस कारण से आजादी के बाद यह आंदोलन पृष्ठभूमि में चला गया। 80 के दशक में फिर से मिथिला राज्य आंदोलन का चर्चा मंजू के माध्यम से और धरना प्रदर्शन भारत में भी होने लगा और मिथिला राज संविधान सम्मत प्राप्त हो इसके लिए प्रयास चलने लगा पर आज यह आंदोलन जन समर्थन की प्रत्याशा में चल रहा है। जिन नेताओं ने अपने-अपने दल में रहकर मिथिला राज्य आंदोलन का आवाज उठाया उनको अपने राजनीतिक दल द्वारा निकाल दिया गया।
ऐसी स्थिति में जन समर्थन बढ़ाने के लिए गांव गांव शहर शहर संपर्क करना होगा तब ही भारत और नेपाल में संविधान सम्मत मिथिला राज्य की स्थापना हो सकेगी भारत में मिथिला राज्य पर ग्रहण बिहार का लगा हुआ है और नेपाल में मधेश का लगा हुआ है।
इस अवसर पर श्री चंद्रेश ने कहा कि यहां के साहित्यकारों यहां के बुद्धिजीवियों को आगे आकर आम जनता के बीच जाकर सर्वांगीण विकास के लिए मिथिला राज्य के औचित्य को समझाना होगा तब राज्य आंदोलन जोर पकड़ेगा।
इस इस अवसर पर अध्यक्षीय भाषण में डॉ श्री शंकर झा ने कहा कि मिथिला राज्य आंदोलन के लिए तन मन धन से समय दूंगा और मिथिला राज्य की स्थापना बहुत जल्द होगा यहां की भाषा का समुचित विकास मिथिला राज्य बनने पर ही होगा यहां पलायन से निदान मिथिला राज्य में बंद उद्योग को चालू करना और नई उद्योग को लागू करने से ही होगा।
धन्यवाद ज्ञापन धन्यवाद ज्ञापन प्रोफ़ेसर चंद्र मोहन पड़वा ने किया और साथ ही सभी लोगों ने नेपाल में 5 शहीदों के लिए 2 मिनट का मौन रखा साथ ही मई 3 मंच के तिजोरी के प्रमुख स्तंभ प्रोफेसर धीरेंद्र झा धीर के निधन पर भी 2 मिनट का मौन रखा गया।
30 Apr 2022