बिरसा मुंडा की वीरता, जनजातीय धरोहर और संस्कृति पर विशेष व्याख्यान
पोस्टर–स्लोगन, लोकगीत, कविता एवं युवा अभिव्यक्ति से कार्यक्रम में बनी जीवंतता
जंगल–जीवन–ज़मीन की रक्षा का संकल्प — प्रतिभागियों ने ली प्रतिज्ञा
#MNN24X7 दरभंगा कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना द्वारा स्वयं की इकाइयों, स्नातकोत्तर- इकाई, शिक्षा शास्त्र इकाई तथा रमेश्वर लता संस्कृत महाविद्यालय इकाई के संयुक्त तत्वावधान में आज ‘जनजातीय गौरव दिवस’ का आयोजन विश्वविद्यालय परिसर में उत्साहपूर्वक सम्पन्न हुआ।यह कार्यक्रम कुलपति प्रो.लक्ष्मीनिवास पाण्डेय तथा कुलसचिव प्रो. ब्रजेशपति त्रिपाठी के निर्देशन में आयोजित हुआ। आज के प्रभारी कुलपति प्रो. दिलीप कुमार झा ने भी कार्यक्रम के लिए शुभकामनाएँ प्रेषित कीं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता छात्र कल्याणाध्यक्ष प्रो. पुरेन्द्र बारिक ने की। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त प्रो. विनोदानन्द झा, , तथा स्नातकोत्तर व्याकरण–साहित्य संकायाध्यक्ष प्रो. दयानाथ झा आयोजक के रूप मे उपस्थित थे। , शिक्षा शास्त्र इकाई के निदेशक डॉ. घनश्याम मिश्र आयोजक थे। डॉ. यदुवीर स्वरूप शास्त्री; डॉ. एल. सविता आर्या; डॉ. रामसेवक झा, डा. रामनिहोरा राय, डा. अवधेश कुमार श्रोत्रिय सम्मिलित थे। संयोजक राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम समन्वयक डा. सुधीर कुमार थे, सह संयोजक स्नातकोत्तर इकाई के कार्यक्रम पदाधिकारी डा. साधना शर्मा एवं शिक्षा शास्त्र इकाई के कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ. पवन कुमार साहनी थे।
पी आर ओ डा. निशिकान्त सिंह ने बताया कि कार्यक्रम का शुभारम्भ रामकुमार एवं आशुतोष द्वारा मंगलाचरण से हुआ। तत्पश्चात् शिवम् मिश्रा ने विषय-प्रवर्तन प्रस्तुत किया। सांस्कृतिक कार्यक्रमों में बिना ने लोकगीत प्रस्तुत किया तथा आकाश, रंजना, आशुतोष आदि विद्यार्थियों ने विषय-प्रस्तुति दी। आशुतोष एवं रामकुमार ने कविता सुनाई जबकि शिक्षा शास्त्र विभाग के त्र्यम्बक ने युवाओं पर आधारित काव्य-प्रस्तुति दी।
रमेश्वर लता संस्कृत महाविद्यालय के कार्यक्रम पदाधिकारी डा. मुकेश प्रसाद निराला ने बिरसा मुंडा के जीवन, संघर्ष, सामाजिक चेतना और जनजातीय समाज में उनकी देवतुल्य प्रतिष्ठा का उल्लेख किया। ज्योतिष विभाग के डॉ. अवधेश कुमार ने बिरसा मुंडा द्वारा मिशनरी शक्तियों के विरोध और सामाजिक जागरण की विस्तृत चर्चा की।
राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम संयोजक डॉ. सुधीर कुमार ने बताया कि पिछले पाँच वर्षों से यह दिवस जनजातीय समाज के जल, जीवन और ज़मीन जैसे मूल मुद्दों की ओर जनजागरण के उद्देश्य से मनाया जा रहा है।
अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रो. पुरेन्द्र बारिक ने भारत की प्रमुख जनजातियों का उल्लेख करते हुए कहा कि सभी ने समाज-उद्धार में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि बिरसा मुंडा मात्र 22 वर्ष की आयु में अंग्रेजों के बमों के सामने तीर–धनुष लेकर निर्भीकता से खड़े रहे, जो आज की पीढ़ी के लिए अदम्य साहस का आदर्श है।
धन्यवाद-ज्ञापन डॉ. एल. सविता आर्या ने किया। डा. साधना शर्मा ने कार्यक्रम का संचालन किया,
कार्यक्रम से पूर्व विद्यार्थियों ने पोस्टर एवं स्लोगन-राइटिंग प्रतियोगिता में भाग लिया, जिसमें प्रमुख स्लोगन थे—
“जनजातीय गौरव : भारत का गौरव”,
“भारत की शान : भगवान बिरसा मुंडा”।
राष्ट्रीय सेवा योजना की कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ. साधना शर्मा ने सभी प्रतिभागियों को यह प्रतिज्ञा दिलाई कि वे जनजातीय समुदाय का सम्मान करेंगे तथा जंगल-जीवन-जमीन की रक्षा हेतु सदैव जागरूक रहेंगे और दूसरों को भी प्रेरित करेंगे।
कार्यक्रम में लगभग 100 से अधिक प्रतिभागियों ने सक्रिय सहभागिता की।
