शिक्षाशास्त्र विभाग में ‘भारतीय भाषा उत्सव’ कार्यक्रम का आयोजन
उड़िया,बंगाली, मैथिली,तेलगु, संस्कृत एवं हिन्दी के वक्ता हुए सम्मिलित
#MNN24X7 दरभंगा कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के शिक्षाशास्त्र विभाग में गुरुवार को भारतीय भाषा उत्सव बड़े ही उत्साह और गरिमा के साथ आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. लक्ष्मी निवास पाण्डेय ने की। उन्होंने इस अवसर पर भारतीय भाषाओं के सांस्कृतिक वैभव, ज्ञान-परंपरा और राष्ट्रीय एकता में उनकी भूमिका पर विस्तार से अपने विचार रखे।
वीसी प्रो. पाण्डेय ने कहा कि भारत की भाषाएँ हमारी पहचान, संस्कृति और सभ्यता की जीवंत धारा हैं, और इनका संरक्षण व संवर्द्धन प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है। उन्होंने संस्कृत को ‘भारतीय भाषाओं की जननी’ बताते हुए कहा कि सभी भारतीय भाषाएँ एक-दूसरे से गहरे सांस्कृतिक सूत्रों से जुड़ी हुई हैं।वस्तुतः जिसमें भारतीयता झलके उसे ही हम भारतीय भाषा के श्रेणी मे ग्रहण करते है । नीप-2020 में भी चार से पांच भाषाएं सिखने पर बल दिया गया है ।
उक्त जानकारी देते हुए पीआरओ निशिकांत ने बताया कि
मुख्यातिथि विश्व शान्ति निकेतन, कलकता के सेवानिवृत्त प्राध्यापक प्रो.अरुण रंजन मिश्र ने बंगली भाषा की महत्ता को रेखांकित किया ।
विशिष्टातिथि आकाशवाणी दरभंगा के संवाददाता सह दरभंगा आइकॉन मणिकान्त झा ने कहा कि सभी भाषाओं की जड़ संस्कृत है । आज का यह दिवस सभी भारतीय भाषाओं को सम्मान करने का अवसर है । उन्होंने भाषा और बोली मे अन्तर स्पष्ट करते हुए संविधान में मैथिली के स्थान को परिभाषित किया ।
वहीं बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ के प्राध्यापक डॉ.विपिन कुमार झा ने स्पोकेन टिटोरियल के माध्यम से भाषा शिक्षण पर बल दिया । साथ ही अन्तर्जाल के माध्यम से मिथिलाक्षर लिपि सहित अन्य लिपियों के सन्दर्भ में हो रहे कार्यों का चित्रण किया ।
उड़िया भाषा के वक्ता के रूप में छात्र कल्याण अध्यक्ष प्रो. पुरेन्द्र वारिक ने उत्कल भाषा की मधुरता का विवेचन करते हुए मैथिली एवं उड़िया भाषा की साम्यता पर प्रकाश डाला ।
वहीं केएसडीएसयू के कुलसचिव प्रो. ब्रजेश पति त्रिपाठी ने अपने सम्बोधन में क्षेत्रीय भाषा को बढ़ावा देने की बातें कही । साथ ही जिस भाषा की लिपि नही है उनकी लिपि समृद्ध करने का आह्वान किया ।
कार्यक्रम के संयोजक सह शिक्षाशास्त्र विभाग के निदेशक डॉ.घनश्याम मिश्र ने प्रास्ताविक भाषण में भारतीय भाषोत्सव की महत्ता तथा तमिल भाषा के कवि सुब्रमण्य भारती के जयंती पर उच्च शिक्षा द्वारा निर्देशित कार्यक्रम को विस्तार से बताया ।
कार्यक्रम में उपस्थित शिक्षाशास्त्र के छात्रों ने भारतीय भाषाओं में गीत, कविताएँ, श्लोक आदि प्रस्तुत कर उत्सव को जीवंत बना दिया।
कार्यक्रम की शुरुआत नटवर एवं ओमप्रकाश के वैदिक मंगलाचरण से हुआ । लौकिक मंगलाचरण जुली, साक्षी, निशा एवं रागनी ने की । मंचासीन अतिथियों द्वारा दीप प्रज्जवलन कर कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन किया गया । आगत अतिथियों को मिथिला के परम्परानुसार पाग-चादर एवं पुष्पगुच्छ से स्वागत किया गया । स्वागत भाषण प्राध्यापिका डॉ. निशा तथा स्वागतगान छात्र सावन कुमार एवं अक्षय कुमार ने किया ।
कार्यक्रम का संचालन प्राध्यापक सह नोडल पदाधिकारी डॉ.रामसेवक झा ने किया । धन्यवाद ज्ञापन डॉ.प्रीति रानी ने की ।
कार्यक्रम में व्याकरण साहित्य विभागाध्यक्ष प्रो.दयानन्द झा, डॉ.रामनन्दन झा, डॉ.अवन कुमार राय, डॉ.संजीव कुमार, गोपाल कुमार महतो ,पवन सहनी,राकेश कुमार,सतीश कुमार सहित दर्जनों छात्र-छात्राएं उपस्थित थे ।
